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हज़रत अमीर मुआविया।। Hazrat Ameer Muawiya ll हज़रत अमीर मुआविया कौन

हजरत अमीर मुआविया कौन थे

इस्लाम में समुद्री लड़ाइयों की शुरूआत करने वाले आप [हजरत अमीर मुआविया] हैं। जंगी बेड़ों की तअमीर का कारखाना भी आप ने बनवाया। खुश्की और समन्दरी फौजों की बेहतरीन तनज़ीम फ़रमाई और जेहादों की बदौलत इस्लामी हुकूमत की सरहदों को खूब खूब बढ़ाते रहे और इशाअते इस्लाम का दाइरा बराबर बढ़ता रहा, जगह जगह मसाजिद की तअमीर और दर्स गाह्रों का क्याम फरमाते रहे।

रजब सन् 60 हिजरी में आपने राजधानी दमश्क में विसाल फ़रमाया। बवक्ते विसाल आप ने वसियत फ़रमाई थी कि मेरे पास हुजूरे अकदस का एक पैराहन, एक चादर, एक लूंगी और कुछ बाल मुबारक और नाखूने अकदस के चन्द तराशे हैं। इन तीनों मुकद्दस कपड़ों को मेरे कफन में शामिल किया जाए और मुए (बाल) मुबारक और नाखून अकदस को मेरी आँखों में रख कर मुझे सुपुर्द ए ख़ाक किया जाए। चुनान्चे लोगों ने आप की इस वसियत पर अमल किया।

Hazrat Ameer Muawiya ki Death kab hui

आप हजरत अमीर मुआविया: बवक्ते विसाल 78 या 86 बरस की उम्र थी। विसाल के वक़्त उन का बेटा यज़ीद दमश्क में मौजूद नहीं था। इस लिए ज़हाक बिन कैस ने आप के कफ़न दफ़न का इन्तज़ाम किया और उसी ने आप की नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई। हज़रत अमीरे मआविया बहुत ही खूबसूरत, गोरे रंग वाले और निहायत ही वजीह और रोब वाले थे। चुनान्चे अमीरूल मोमिनीन हज़रत उमर फ़रमाया करते थे कि “मआविया” अरब के “किसरा” हैं।

Hazrat Ameer Muavia Life History

नाम मुबारक और लक़ब व कुन्नियत :- हज़रत अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु का नामे नामी इस्मे गिरमि “मुआविया” है कई सहाबए किराम अलैहिमुर्रिज़वान का नाम “मुआविया” था जैसा के शरह बुखारी अल्लामा बदरुद्दीन मेहमूद बिन अहमद ऐनी हनफ़ी अलैहिर्रहमा फरमाते हैं: “मुआविया” नाम के 20 से ज़्यादा सहाबए किराम अलैहिमुर्रिज़वान हैं | जब मुतलक़न मुआविया बोला जाए तो इससे मुराद हज़रात अमीर मुआविया इब्ने अबू सुफ़यान रदियल्लाहु अन्हुमा होते हैं | आपकी कुन्नियत “अबू अब्दुर्रहमान” है लक़ब “नासिरुद्दीन” यानि अल्लाह के दीन के मददगर है और “नासिरुन लिहककिल्लाह” यानि अल्लाह के हक़ के मददगार भी आपका लक़ब है और यही ज़्यादा मशहूर है |

हज़रत अमीर मुआविया की विलादत

शरह बुखारी हज़रत अल्लामा अबुल फ़ज़ल अहमद बिन अली इब्ने हजर अस्क़लानी शाफ़ई अलैहिर्रहमा फरमाते हैं: हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु की विलादत मुबारक 604 ईस्वी में हुई और यही क़ौल ज़्यादा मशहूर है |

सिलसिलए नसब :- हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु का सिलसिलए नसब “अब्दे मनाफ़” पर नबीए करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के सिलसिलए नसब से जा मिलता है | हुज़ूर अकरम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम का नसब मुबारक मुलाहिज़ा फरमाएं: मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह अब्दुल मुत्तलिब बिन हाशिम बिन अब्दे मनाफ़ |

वालिदैन का तआरुफ़ और क़बूले इस्लाम :- हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु के वालिद हज़रत सय्यदना अबू सुफ़यान और वालिदा हज़रत सय्यदह हिन्द रदियल्लाहु अन्हुमा ने फ़तेह मक्का (8 हिजरी मुताबिक़ 629 ईस्वी) के रोज़ सरकारे दो आलम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के दस्ते हक़ परस्त पर इस्लाम क़बूल किया | (ज़रक़ानी, अलल मवाहिब)

सय्यदना अबू सुफ़यान की क़ुर्बानियां

हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु के वालिद हज़रत सय्यदना अबू सुफ़यान रदयाल्लाहु अन्हु क़बीलाए क़ुरैश की शाख बनु उमय्या की अहम् तिरीन शख्सियत थे यही वजह है के अबू जहल के ग़ज़वए बदर में क़त्ल होने के बाद तमाम क़बाइल की मुत्तफिका राय से सरदारे मक्का मुन्तख़ब (चुनना) हुए फ़तहे मक्का के दिन आप ने इस्लाम क़ुबूल किया और इसी रोज़ नबीए करीम सल्लाहअलैह वस्सलाम ने हज़रत सय्यदना अबू सुफ़यान रदियल्लाहु अन्हु के घर को “दारुलआमान” यानी अमन व चैन का घर करार देकर आप को खुसूसी इम्तियाज़ से नवाज़ा | हज़रत सय्यदना अबू सुफ़यान रदियल्लाहु अन्हु ने इस्लाम क़ुबूल करने के बाद अपनी तमाम तर कोशिशे दीने इस्लाम की सरबुलन्दी में सर फ़रमाई |

इस दौरान आपने बहुत क़ुर्बानीया दीं और अपनी जुरअतो बहादुरी का अमली मुज़ाहिरा फ़रमाया यहाँ तक के अपनी दोनों आँखे रहे खुदा में क़ुर्बान कर दी जैसा के हज़रत सय्यदना अबू सुफ़यान रदियल्लाहु अन्हु ग़ज़वए हुनैन में हाज़िर हुए तो नबीए करीम सल्लाहअलैह वस्सलाम ने आप को माले गनीमत से सौ ऊँठऔर चालीस उकिया अता फरमाए और आपके दोनों फ़रज़न्द हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया और हज़रत सय्यदना यज़ीद बिन अभी सुफ़यान रदियल्लाहु अन्हुमाको भी इतना ही अत फ़रमाया ग़ज़वए ताइफ़ में भी आपने शिरकत की और उसमे आपकी एक आँख शहद हो गई आपकी दूसरी आँख जंगे यरमूक में शहीद हुई |

याद रहे जंगे यरमूक के सिपेह सालार हज़रत सय्यदना अबू सुफ़यान रदियल्लाहु अन्हु के फ़रज़न्द हज़रत सय्यदना यज़ीद बिन अभी सुफ़यान रदियल्लाहु अन्हु थे (ये यज़ीद पलीद के चाचा थे वो बद बख्त था लेकिन वालिद और चचा खुश बख्त थे) दोनों आँखों का रहे खुदा में शहीद हो जाना ये किस क़द्र अज़मत की बात है |

अमीर मुआविया बरगाहे रिसालत में

hazrat ameer Muawiya history in hindi || हज़रत अमीर मुआविया

एक मौके पर हज़रत सय्यदना अबू सुफ़यान रदियल्लाहु अन्हु ने बारगाहे रिसालत में अर्ज़ की: या रसूलल्लाह मेरी तीन बातें क़बूल फरमाए एक उम्मे हबीबा बिन्ते अबी सुफ़यान अरब में सबसे हसीन व जमील हैं में उनका निकाह आपसे करता हूँ दूसरी मुआविया को अपना कातिब बना लीजिये तीसरी मुझे लश्कर का अमीर मुक़र्रर फरमा दीजिये ताके में कुफ्फार से ऐसे ही लड़ूं जैसे मुसलमानो से लड़ता था नबी करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हर सवाल पर रजा मंदी का इज़हार फ़रमाया |

हज़रत सय्यदना अबू ज़ुमैल रहमतुल्लाह अलैह फरमाते है: अगर हज़रत सैयदना अबू सुफ़यान रदियल्लाहु अन्हु आपसे सवाल न करते तो आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम अता न फरमाते आपकी आदते मुबारक थी के आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम किसी साइल का सवाल रद्द नहीं फरमाते थे | (मुस्लिम शरीफ)

हज़रत सय्यदह हिन्द की प्यारे आक़ा से मुहब्बत :- हज़रत सय्यदना अबू सुफ़यान रदियल्लाहु अन्हु की तरह हज़रत सय्यदह बिन्ते उतबा रदियल्लाहु अन्हु ने भी क़बूले इस्लाम के बाद अपनी तमाम तर कोशिशें दीने इस्लाम की सरबुलन्दी में सर्फ़ फ़रमादीं आप भी सहाबियात में दाखिल हो गईं और हुज़ूर अलैहिस्सलाम को सरे जहां से बढ़ कर चाहने लगी जैसा के हज़रते आएशा सिद्दिक़ाह रदियल्लाहु अन्हा फरमाती हैं

हिंदा बिन्ते उतबा नबी करीम की बारगाह में हाज़िर हुईं और अर्ज़ की या रसूलल्लाह सलल्लाहु अलैहि वसल्लम इस्लाम लाने से पहले रूए ज़मीन पर आपके घर वालों से ज़्यादा किसी घर वालों का रुस्वा होना मुझे महबूब न था मगर अब मेरा ये हाल है के रूए ज़मीन पर आपके घर वालों से ज़्यादा किसी घर वालों का इज़्ज़त दार होना मुझे पसंद नहीं | (बुखारी शरीफ)

सूरत व सीरते मुबारिका :- हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु दराज़ क़ामत थे आपका रंग सफेद व खूबसूरत और शख्सियत रोअब दार थी सर और दाढ़ी मुबारक में मेंहदी लगाया करते थे जिसके रंग के सबब दाढ़ी सोने की तरह मालूम होती थी आप हलीम, बुर्दबार बावक़ार, मालदार और लोगों में सरदार थे करम फरमाने वाले और बेहरे सूरत इन्साफ करने वाले | (अल बिदाया वननिहाया)

हज़रत अमीर मुआविया की जवानी और इस्लाम से पहले का दौर:- हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु की विलादत हुज़ूर अलैहिस्सलाम के ऐलाने नबुव्वत से पांच साल पहले मक्का में हुई इस हिसाब से आपकी उमर 18 साल थी और आप जवान थे लेकिन सरदार मक्का के घर मे तरबियत पाने और कुफ्फारे मक्का के दरमियान रहने के बावजूद इस्लाम के खिलाफ होने वाली साज़िशों और जंगों में आपकी शमूलियत नहीं यानि ज़मानाए जाहिलियत में आपका दामन इज़ाए मुस्लिम के बदनुमा दाग से पाक व साफ़ रहा |

हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु :- जब छोटे थे तो मुशरिक़ीने मक्का ने आपके सामने हज़रत सय्यदना खुबैब रदियल्लाहु अन्हु को सूली पर खड़ा किया तो आपने अहले मक्का के लिए बद दुआ की हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं: मुझे मेरे बाप ने ज़मीन पर लिटा दिया क्योंकि उनका ख्याल था के अगर ज़मीन पर लेट जाएँ तो बद दुआ का असर नहीं होता | इस बद दुआ से सुफ़यान रदियल्लाहु अन्हु पर एक बेचैनी तारी हो गई मुझ पर इस बद दुआ का ये असर हुआ के कई सालों तक मेरी शोहरत ख़त्म हो गई के जितने आदमी भी सूली पर चढ़ाते वक़्त मौजूद थे एक साल के अंदर अंदर सब मर खप गए | (शवाहिदुं नबुव्वत)

औलाद व अज़वाज :- हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु के निकाह में चार ख़वातीन आईं जिनसे अल्लाह तआला ने औलाद भी अता फ़रमाई

1_ मैसून बिन्ते बहदल अल्लाह तआला ने आपको बेपनाह फ़हिम अक़्ल और तक़वा परहेज़ गारी जैसी आला सिफ़ात से नवाज़ा था शरीअत के मामले में आप बेहद मुहतात थीं आपका शुमार ताबीयात में होता है जैसा हज़रत सय्यदना हसन बिन मुहम्मद सनआनी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं:

मैसून बिन्ते बेहदल अमीर मुआविया की ज़ौजा हैं और ताबीईयात में शामिल हैं अक्सर औलाद इन्ही से है यज़ीद, अमाता, रब्बिल मशरिक़, रमला, हिन्द,

2_ फाख्ता बिन्ते क़राज़ा इनसे हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु की दो औलादें हुईं अब्दुर्रहमान, और अब्दुल्लाह,

3_ कनूद बिन्ते क़राज़ा ये फाख्ता बिन्ते क़राज़ा की बहिन हैं रूम के एक जज़ीरे कुबरस की फ़तेह के वक़्त ये सय्यदना अमीर मुआविया के साथ थीं |

3_ नाईला बिनते अमरा

हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु :- को अल्लाह तआला ने आला सिफ़ात का मालिक बनाया आपको बेशुमार नेमतों से नवाज़ा और ऐसा क्यों न होता के आप नबीए रहमत, क़सिमे नेमत सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के सहाबी होने का शरफ़ रखते हैं हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु अख़लाक़े हसना के जामे और अख़लाक़े राजीला से कोसों दूर और इस्लामका मिनराये मीनाराये नूर थे |

अपनी ताज़ीम पसंद न फरमाते :- हज़रत सय्यदना अबू मिजलज रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत करते हैं: के एक मर्तबा हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु हज़रत सय्यदना अब्दुल्लाह बिन आमिर और हज़रत सय्यदना अब्दुल्लाह बिन ज़ुबैर रदियल्लाहु अन्हुमा के पास तशरीफ़ लाये तो हज़रत सय्यदना अब्दुल्लाह बिन आमिर ताज़िमन खड़े हो गए जब के हज़रत अब्दुल्लाह बिन ज़ुबैर जो सय्यदना अमीर मुआविया और सय्यदना अब्दुल्लाह बिन आमिर से ज़्यादा भरी जिस्म वाले थे अपने वज़न के सबब बैठे रहे हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु ने हज़रत सय्यदना अब्दुल्लाह बिन आमिर रदियल्लाहु अन्हु से फ़रमाया:

बेशक मेने रसूलुल्लाह सलल्लाहु अलैहि वसल्लम को फरमाते सुना है: जो शख्स इस बात को पसंद करे के लोग उसकी ताज़ीम के लिए खड़े हों वो अपना ठिकाना जहन्नम बनाले

इस हदीसे पाक के तहत हकीमुल उम्मत मुफ़्ती अहमद यार खां रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं: इस फरमाने आली में हुज़ूर ने तमाम अंसार को दो हुक्म दिए: एक हज़रत सय्यदना साअद की ताज़ीम के लिए खड़ा होना दूसरे उनके इस्तक़बाल के लिए कुछ आगे जाना उनको लेकर आना बुज़ुगों की आमद पर ये दोनों काम यानी क़यामे ताजीमी और इस्तक़बाले क़िब्ला जाइज़ बल्कि सुन्नते सहाबा है हुज़ूर की सुन्नते कौली भी है मुफ़्ती साहब और फरमाते हैं जमहूर उलमा इस हदीस की बिना पर फ़रमाया है:

बुज़ुर्गों के लिए क़यामे ताजीमी मुस्तहब है हुज़ूर ने हज़रते अकरमा इब्ने अबू जाहिल और हज़रत इब्ने अबी हातिम की आमद पर उनकी इज़्ज़त अफ़ज़ाई के लिए क़याम फ़रमाया हज़रत सय्यदह फातिमा ज़हरा रदियल्लाहु अन्हा हुज़ूरे अनवर की तशरीफ़ आवरी पर ताजीमी क़याम करती थीं सहाबए किराम ने हुज़ूर सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के लिए क़यामे ताजीमी बारहा किया | (मिरअतुल मनाजीह)

किसी से जाती दुश्मनी न रखते :- हज़रत सय्यदना अबू अस्वद रहमतुल्लाह अलैह जंगे जमल में हज़रत सय्यदना आली मुर्तज़ा करामल्लाहु वजहुल करीम के साथ थे लेकिन जंग ख़त्म होने के बाद हज़रत सय्यदना अबू अस्वद रहमतुल्लाह अलैह हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु की बारगाह में हाज़िर हुए तो आपने उन्हें अपने पास बिठाया और क़ीमती तहाईफ़ से भी नवाज़ा | (सीअर अलामुल नुब्ला)

क़ैसारिया का फ़तेह

अमीरुल मोमिनीन हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु के दौरे खिलाफत में आपने मानेईने ज़कात, मुन्किरिने खत्म नुबुव्वत, झूठे मुददईयाने नुबुव्वत और मुर्तद दीं के खिलाफ जिहाद में भर पूर हिस्सा लिया और कई कारनामे अंजाम दिए | अमीरुल मोमिनीन हज़रत सय्यदना उमर फ़ारूक़े आज़म रदियल्लाहु अन्हु के दौरे खिलाफत में जो फुतूहात हुईं उसमे हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु का नुमाया किरदार रहा | अमीरुल मोमिनीन हज़रत सय्यदना उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु के दौरे खिलाफत में हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु जिहाद व फुतूहात में मसरूफ रहे |

आपने रूमियों को शिकिसते फाश देकर तराबुल्स, शाम, अन्ताकिया, और दीगर इलाक़ों को हुदूदे नसरानीयत से निकाल कर इस्लामी सल्तनत में शामिल फ़रमाया एक रिवायत में ज़िक्र किया जाता है अमीरुल मोमिनीन हज़रत सय्यदना उमर फ़ारूक़े आज़म रदियल्लाहु अन्हु ने हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु को क़ैसारिया (रूम का एक बहुत बड़ा शहर) के महाज़ के लिए अमीर मुक़र्रर किया

और उनकी जानिब एक खत भेजा हम्दो सलात के बाद मेने तुम्हे क़ैसारिया का वाली (हाकिम) मुक़र्रर किया तुम अल्लाह से मदद तलब करते हुए मुक़ाबले के लिए इस इलाक़े की तरफ जाओ लाहौल का विर्द करते रहो क्योके अल्लाह ही हमारा रब है इसी पर हमारा भरोसा वही हमारी उम्मीदों का मरकज़ है वही हमारा मौला है क्या ही अच्छा मौला और क्या ही अच्छा मददगार है

फिर हज़रत सय्यदना अमीरे मुआविया ने कैसरिया की जानिब लश्कर कशी फ़रमाई और कैसारिया का मुहासिरा कर लिया और कई मर्तबा दुश्मन की तरफ आगे बढे और जंग का आगाज़ हुआ और आपने उसमे निहायत ही शुजाअत व बहादुरी का मुज़ाहिरा फ़रमाया इस जंग में अल्लाह में आपको अज़ीमुश्शान फ़तेह से सरफ़राज़ फ़रमाया | (अल बिदाया वननिहाया)

कातिबे वही :- हज़रत सय्यदना अमीरे मुआविया रदियल्लाहु अन्हो का शुमार अरब के उन लोगों में होता था जो लिखना, पढ़ना जानते थे और सलाहियत व क़ाबिलियत में अपना एक मक़ाम रखते थे, जब आप दौलते ईमान से शरफ़ याब हुए तो नबीए अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उन्हें अपना ख़ास क़ुर्ब अता फ़रमाया | फ़तेह मक्का के बाद आप हुज़ूरे अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के साथ ही रहे और तमाम गज़्वात में हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की क़ियादत में जिहाद फी सबी लिल्लाह फरमाते रहे |

क़ुरआन मजीद को मेहफ़ूज़ रखने के ज़राये में से एक अहम जरिया “किताबते वही” था, यानि ज़बाने मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से अदा होने वाली आयते क़ुरआनी को लिखकर मेहफ़ूज़ करना इस अहम तरीन काम के लिए हुज़ूरे अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने तक़रीबन 40 सहाबए किराम अलैहिमुर्रिज़वान पर मुश्तमिल एक जमाअत मुक़र्रर कर रखी थी जो “बारगाहे रिसालत में वही लिखते थे” के मुक़द्दस नाम से जानी जाती थी, जिन में से कुछ के असमाये मुक़द्दसा ये हैं:

हज़रत सय्यदना सिद्दीक़े अकबर, हज़रत सय्यदना उमर फ़ारूक़े आज़म, हज़रत सय्यदना उस्माने गनी, हज़रत सय्यदना अली मुर्तज़ा, हज़रत सय्यदना आमिर बिन फुहीरा, हज़रत सय्यदना अब्दुल्लाह बिन अरक़म, हज़रत सय्यदना उबाई बिन कअब, हज़रत सय्यदना साबित बिन क़ैस, हज़रत सय्यदना खालिद बिन सईद, हज़रत सय्यदना हन्ज़ला बिन रबी असादी, हज़रत सय्यदना ज़ैद बिन साबित, हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया बिन सुफ़यान और हज़रत सय्यदना शर हबील बिन हसना वगैरा हुम् अलैहिमुर्रिज़वान बाज़ उलमा ने फ़रमाया हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया बिन सुफ़यान रदियल्लाहु अन्हु और हज़रत सय्यदना ज़ैद बिन साबित रदियल्लाहु अन्हु सिर्फ और सिर्फ “वही” लिखने पर मामूर थे | (मदारीजुन नुबुव्वत)

हुज़ूर अलैहिस्सलातो वस्सलाम की चादर से मुहब्बत :- हज़रत सय्यदना कअब बिन ज़ुहैर रदियल्लाहु अन्हु ने सरकार सलल्लाहु अलैहि वसल्लम की तारीफ में एक क़सीदा लिखकर बारगाहे रिसालत में सुनाया तो नबी करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने खुश होकर अपनी चादर मुबारक इनायत फ़रमाई हज़रत सय्यदना कअब बिन ज़ुहैर रदियल्लाहु अन्हु की वफ़ात के बाद हज़रत अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु ने ये मुक़द्दस चादर उनके साहब ज़ादे से बीस हज़ार दिरहम के बदले खरीदली आपके बाद तमाम खुलफ़ा ईदैन में वही चादर ओढ़कर निकलते अरसे दराज़ तक वो चादर सलातीने इस्लाम के पास एक मुक़द्दस तबर्रुक के तोर पर बाक़ी रही |

अली मुर्तज़ा मुझ से अफज़ल हैं

हज़रत सय्यदना अमीरे मुआविया रदियल्लाहु की बारगाह में हज़रत सय्यदना अली मुर्तज़ा रदियल्लाहु अन्हु का तज़किराह हुआ तो आपने फ़रमाया खुदा की क़सम जब अली मुर्तज़ा कलाम फरमाते तो आपकी आवाज़ में शेर की सी गर्ज होती, जब ज़ाहिर होते तो चाँद की तरह रोशन होते और जब नवाज़ते तो बारिश की तरह बे इंतिहा अता फरमाते बाज़ हज़रात ने पुछा के आप अफ़ज़ल हैं या हज़रत अली मुर्तज़ा रदियल्लाहु अन्हु ने

फ़रमाया: हज़रत सय्यदना अली के नुकूश भी आले अबू सुफ़यान से बेहतर हैं फिर फ़रमाया जो शख्स हज़रत अली मुर्तज़ा की तारीफ में शेर सुनाये में उसको हर शेर के बदले हज़ार दीनार इनाम दूंगा हाज़रीन ने शेर सुनाए हज़रत अमीर मुआविया फरमाते थे इन अशआर में जो आपने अमीरुल मोमिनीन हज़रतअली मुर्तज़ा रदियल्लाहु अन्हु की शान व अज़मत बयान की आप इससे भी ज़्यादा अफ़ज़ल हैं फिर हज़रत सय्यदना अमर बिन आस रदियल्लाहु अन्हो ने हज़रत अली मुर्तज़ा की शानो अज़मत में कई अशआर पढ़े | (फैजाने अमीर मुआविया)

में अली से मुहब्बत करता हूँ :- हज़रत सय्यदना इब्ने अब्बास रदियल्लो अन्हो ने फ़रमाया: में नबी सलल्लाहु अलैहि वसल्लम की बारगाह में हाज़िर था, हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़,हज़रत सय्यदना उमर फ़ारूक़े आज़म,हज़रत सय्यदना उस्माने गनी, और हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया अलैहिमुर्रिज़वान भी मौजूद थे | अचानक हज़रत अली मुर्तज़ा करमल्लाहु तआला वजहहुलकरीम तशरीफ़ लाये नबी पाक सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हज़रत अमीर मुआविया से फ़रमाया: ए मुआविया किया तुम अली से मुहब्बत करते हो?

हज़रत अमीर मुआविया ने अर्ज़ कि उस ज़ात कि क़सम जिस के सिवा कोई माबूद नहीं में अल्लाह के लिए उनसे बहुत मुहब्बत करता हूँ आकाए दो जहां सलल्लाहु अलाही वसल्लम ने फ़रमाया: अनक़रीब तुम दोनों के दरमियान आज़माइश होगी अमीर मुआविया ने अर्ज़ कि ए रसूलल्लाह उसके बाद किया होगा हुज़ूर ने फ़रमाया उसके बाद अल्लाह कि माफ़ी उसकी रजा मंदी और जन्नत में दाखला अमीर मुआविया ने अर्ज़ कि हम अल्लाह के फैसले पर राज़ी हैं| (फैजाने अमीर मुआविया)

शेरे खुदा पर आबदीद हो गए :- हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु को जब अमीरुल मोमिनीन अली मुर्तज़ा रदियल्लाहु अन्हु कि शहादत कि खबर मिली तो निहायत रंजीदह हुए रोने लगे और फ़रमाया लोगों ने फ़ज़्ले फ़िक़ाह और इल्म से कितना कुछ खो दिया है | (अल बिदाया वननिहाया)

हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु का विसाल :-हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु कि वफ़ात बरोज़ जुमेरात माहे रजब 22 तारीख 60 हिजरी में मुल्के शाम के मशहूर शहर “दमिश्क़” में हुई उस वक़्त आपकी उम्र 78 साल कि थी| (तारीख़ुल खुलफ़ा)

विसाले मुबारक कि तारीख :- मुअर्रिख़ीन का इस बात पर इत्तिफ़ाक़ है के हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु का विसाल मुबारक माहे रजब 60 हिजरी में हुआ लेकिन तारीखें विसाल में इख्तिलाफ है| हज़रत सय्यदना सुलैमान बिन अहमद तबरानी रहमतुल्लाह अलैहि हज़रत सय्यदना नूरुद्दीन अली बिन अबू बक्र हैस्मी रहमतुल्लाह अलैहि कि ज़िक्र करदा रिवायत और इमाम युसूफ बिन ज़की रहमतुल्लाह अलैहि के मुताबिक हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु का विसाल मुबारक चार रजबुल मुरज्जब साठ हिजरी में हुआ कुछ मुअर्रिख़ीन के नज़दीक आप का विसाल पन्द्र रजबुल मुरज्जब साठ हिजरी में हुआ और बाज़ के नज़दीक विसाले मुबारक बाइस रजबुल मुरज्जब साठ हिजरी में हुआ और यही क़ौल ज़्यादा मशहूर है | (तारीख इब्ने असाकर तारीख़ुल खुलफ़ा)


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