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Huzur Gaus e Azam History in hindi

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Huzur Gaus e Azam History in hindi

विलादत की बशारत (जन्म की शुभ सूचना)

आपके जन्म की बशारत (शुभ सूचना) बे शुमार मशइख ने दी थी, जिनमें हज़रत शेख़ ख़लील बल्खी, हज़रत शेख़ मंसूर मत्ताही, हज़रत अबू अब्दुल्लाह मुसलीमी, हज़रत शेख़ अबू बकर हर्रार, हज़रत शेख़ अबू बकर बिन हुवार बत्ताही, हज़रत जुनैद बग़दादी, हज़रत शेख़ अकील, और हज़रत अबू अहमद अब्दुल्लाह जैसे प्रमुख शेख शामिल हैं। बचपन से ही आपके चेहरे पर पवित्रता और बुज़ुर्गी के चिन्ह स्पष्ट थे, जो इस बात का संकेत थे कि यह चांद जल्द ही विलायत के आकाश पर बदर ए मुनीर की तरह चमकेगा।

शैख सादी शीराज़ी ने कहा है:

“बाला ए सरश ज़ होशमंदी मी ताफ़्त सितारे ए बलंदी”

Gaus e Azam की विलादत (जन्म)

हज़रत ग़ौस-ए-आज़म, पीरान-ए-पीर, पीर दस्तगीर, महबूब सुभानी, शाहबाज़-ए-लामकानी, हज़रत शेख़ सैयद अब्दुल क़ादिर जीलानी हसनानी व हुसैनी क़ुद्दुस सर्रुह का जन्म 1 रमज़ान मुबारक 470 हिजरी की रात में हुआ। एक रिवायत के अनुसार, उस रात गिलान क्षेत्र में 1100 बच्चे पैदा हुए, जो सभी अपने समय के वाली ए कामिल बने। यह आपके जन्म की बरकत का पहला संकेत था। इसके बाद गिलान से उठने वाली इस इल्म व मअरिफत की घटा ने दुनिया के चारों ओर को इस तरह से सराबोर किया कि क़यामत तक इसका असर रहेगा। बचपन में, रमज़ान के महीने में दिन के समय खाना-पीना छोड़ देना भी एक स्थापित रिवायत है।

खानदानी हालात (परिवारिक स्थिति)

आपके नाना, हज़रत सैयद अब्दुल्लाह सूमई, गिलान के प्रमुख सूफी संतों और प्रमुखों में से थे और उनकी दुआएं हमेशा कबूल होती थीं। आपके वालिद (पिता) का नाम सैयद अबू सालेह मूसा और वालिदा (माता) का नाम फ़ातिमा था, जिन्हें उम्मुल ख़ैर और अमतुल जब्बार के नाम से भी जाना जाता था।

आपके पिता की ओर से आपका नसब (वंश) हज़रत इमाम हसन और माता की ओर से हज़रत इमाम हुसैन से मिलता है, इस तरह आप हसनी और हुसैनी सय्यद बने, यानी हज़रत अली के दोनों बेटे इमाम हसन और हुसैन की संतानों से। बचपन में ही आपके पिता का साया आपके सिर से उठ गया था, इसलिए पहले आपने अपने नाना की देखरेख में शिक्षा प्राप्त की और बाद में अपनी माता की सरपरस्ती में पले। बचपन के कई चमत्कार इतिहास के पन्नों की शोभा हैं।

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वुर्द-ए-बग़दाद (बग़दाद की यात्रा)

आपकी माता ने आपको लगभग 18 साल की उम्र में ज्ञान प्राप्ति के लिए बग़दाद भेजा। उस समय, बग़दाद एक ऐसा शहर था जो विद्या और ज्ञान का केंद्र था और वहां उस समय के प्रमुख सूफी संत और इस्लामिक विद्वानों का जमावड़ा था। यह समय ख़लीफ़ा अबू-अल-अब्बास मुस्तजहर बिल्लाह का था। इसी यात्रा के साल, बग़दाद में ही हज़रत इमाम ग़ज़ाली ने बग़दाद से हिजरत की

बगदाद के सौभाग्य के बारे में क्या कहा जा सकता है कि जब इस्लाम के एक विचारक ने उसे शुभकामनाएँ दीं, तो दूसरा अज़ीम व्यक्ति ने अपने सफ़र से मुशर्रफ़ किया। बग़दाद पहुंचकर आपने उस समय के प्रमुख विद्वानों और सूफी संतों से शिक्षा प्राप्त की। आपके शिक्षकों के नाम इस प्रकार हैं:

  • 1. हज़रत अबू-अल-वफ़ा अली अकील अल-हनबली
  • 2. हज़रत अबू-अल-ख़त्ताब महफूज़ अल-कुलज़ानी अल-हनबली
  • 3. हज़रत अबू-अल-हसन मोहम्मद बिन अल-क़ाज़ी अबू याल्ला मोहम्मद बिन अल-हुसैन बिन मोहम्मद बिन अल-फ़र्राह अल-हनबली
  • 4. हज़रत अबू सईद मुबारक बिन अली अल-मखज़ूमी अल-हनबली (साहित्य शिक्षक)
  • 5. हज़रत अबू ज़करिया याह्या बिन अली अल-तबरिज़ी (हदीस शिक्षक)
  • 6. हज़रत अबू गालिब मोहम्मद बिन अल-हसन अल-बाक़लानी
  • 7. हज़रत अबू सईद मोहम्मद बिन अल-करीम बिन ख़ुशिशा
  • 8. हज़रत अबू-अल-ग़नाइम मोहम्मद बिन मोहम्मद बिन अली बिन मैमून अल-फरसी
  • 9. हज़रत अबू बकर अहमद बिन अल-मज़फ़र
  • 10. हज़रत अबू जाफर बिन अहमद बिन हुसैन अल-क़ारी सिराज
  • 11. हज़रत अबू अल-कासिम अली बिन अहमद बिन बिनान अल-कर्की
  • 12. हज़रत अबू तालिब अब्दुल क़ादिर बिन मोहम्मद बिन यूसुफ
  • 13. हज़रत अब्दुर्रहमान बिन अहमद
  • 14. हज़रत अबू नसर मोहम्मद
  • 15. हज़रत अबू-अल-बरकात हिबतुल्लाह बिन अल-मुबारक
  • 16. हज़रत अब्दुल अज़ीज़ मोहम्मद बिन अल-मुख्तार
  • 17. हज़रत अबू गालिब अहमद
  • 18. हज़रत अबू अब्दुल्लाह याह्या (जो अली अल-बना के वंशज हैं)
  • 19. हज़रत अबू-अल-हसन बिन अल-मुबारक बिन अल-तैयूर
  • 20. हज़रत अबू मंसूर अब्दुर्रहमान अल-क़ज़्ज़ार
  • 21. हज़रत अबू-अल-बरकात तल्हा अल-आक़ूली और अन्य

आपने 9 साल तक उलूम ए ज़ाहिरी वा वातिनी की पढ़ाई की साधना में कठोर परिश्रम किया। इसके बाद, सुफ़ी मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए 25 साल तक तपस्या और साधना की। अपने जीवन के अंतिम 40 साल आपने लोगों की रहनुमाई और सुधार में बिताए।

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शेख़ अल-जामिया और वअज़ का आरंभ

शिक्षा पूरी करने के बाद, आपको जामिया मुबारक अल-मख़ज़ूमी के शेख़ अल-जामिया (प्रधानाचार्य) के पद पर नियुक्त किया गया, जहां आपने पढ़ाई के साथ-साथ वाज़ और उपदेश देना भी शुरू किया। रिवायतों के अनुसार, आप शुक्रवार की सुबह अपने जामिया में उपदेश देते, मंगलवार की शाम ख़ानकाह में, और रविवार को विद्वानों के बीच उपदेश देते।

जब श्रोताओं की संख्या बढ़ने लगी, तो जामिया के साथ लगी इमारतों और अन्य जगहों को भी मदरसे में शामिल कर लिया गया, लेकिन लोगों की बढ़ती संख्या के कारण उन्हें अन्य जगहों पर जाना पड़ा। अंततः, आपको शहर से बाहर एक बड़ा मैदान चुनना पड़ा। अधिकतर इतिहासकारों ने श्रोताओं की संख्या 70,000 से अधिक बताई है, जिसमें प्रमुख सूफी संत, विद्वान, मुफ़्ती, और साथ ही फ़रिश्ते, जिन्न और अज्ञात लोग भी बड़ी संख्या में शामिल होते थे।

आपकी उपदेश सभा में उपस्थित लोगों की संख्या इतनी अधिक थी कि मैदान के चारों ओर लोग अपनी सवारियों पर खड़े होते और आपके उपदेश को लिखने के लिए 400 लोग सभा में उपस्थित रहते। आपके उपदेश की विशेषताओं में से एक यह थी कि आपकी आवाज़ दूर और पास समान रूप से पहुँचती थी। गर्मी के मौसम में बादल छाए रहते थे, और आपके उपदेश के दौरान कभी आँधी या बारिश नहीं होती थी। पूरे सभा में शांति और संतोष की भावना होती थी। आपके कुछ शिष्यों ने दूर-दराज के क्षेत्रों में उपदेशों का आयोजन किया, और करामत (चमत्कार) के रूप में, वहां भी आपका उपदेश सुना जाता था।

(वअज़ का असर) उपदेश की प्रभावशीलता

क़लाम का असर ऐसा था कि कोई भी वाज़ की महफ़िल ऐसी नहीं होती थी जिसमें ज़ौक़-ओ-शौक़, तसल्लुत-ओ-हैबत और अज़मत-ओ-जलाल के कारण कई जनाज़े न उठते और सामईन की बड़ी तादाद कई-कई दिनों तक मदहोश न रहती। दौरान-ए-वाज़, ख़शियत-ए-इलाही से रोने-धोने और आह-ओ-फ़ुग़ाँ का एक महशर बरपा रहता, हज़ारों गिरबान चाक होते और सैकड़ों निम्म बिस्मिल महफ़िल से तड़पते हुए उठाए जाते।

Gaus e Azam के दौर में समाज की हालत

हज़रत जिस ज़माने में आलम-ए-अमकान में तशरीफ़ लाए, वह मुसलमानों के लिए इंतिहाई सख़्त और इम्तेहानी दौर था। बग़दाद में ख़िलाफ़त-ए-अब्बासिया पर उमवी ख़िलाफ़त का पूरा रंग चढ़ गया था, इसलिए उसकी साख ख़त्म हो चुकी थी। दुनिया-दारी की रूह अपनी पूरी गंदगी के साथ इंसानी ज़िंदगी में समाई हुई थी, इल्हाद और ज़ंदिक़ा का शोर था। बैतुलमाल हुक्मरानों की ऐश-ओ-आराम पर बेतहाशा लुटाया जा रहा था। ऐश-ओ-इशरत के बाज़ार गर्म थे और इसकी ख़राबियां अपने पूरे मेहलिक असरात के साथ मौजूद थीं।

मुअतज़िला और मुबतदीइन के फ़ितने उरूज पर थे। आप अभी बचपन की मंज़िल से भी नहीं गुज़रे थे कि बातिनियों के मशहूर-ओ-मआरूफ़ सरदार और इत्तेहाद-ए-इस्लामी के सबसे बड़े दुश्मन हसन बिन सब्बाह ने क़िला हज़र मौत पर क़ब्ज़ा कर लिया था। यह वह ज़माना था जब जाहिल और ख़ुद-साख़्ता सूफ़िया शरियत और तरीक़त को अलग करने में मशगूल थे। इस्लाम के सादगी भरे और ऊंचे अख़लाक़ी दर्स, मज़ाहिब-ए-बातिला के ज़हरीले नज़रिया के नीचे दबे हुए थे और कोई पुरसान-ए-हाल नहीं था। आपने जब होश संभाला तो आलम-ए-इस्लाम को रुब-ए-ज़वाल पाया।

अंदलस (Indulus) में मुसलमानों पर क़यामत टूट पड़ी थी। तारीक़ बिन ज़ियाद के फतूहात, ईसाईयों के क़ब्ज़े में जा रहे थे। आपके बग़दाद में तशरीफ़ लाने के कुछ ही अरसे बाद सलीबी जंग शुरू हो गई थी, जिसमें अंताकिया और हम्स पर फिरंगियों ने क़ब्ज़ा करके मुसलमान आबादी को कत्ल कर डाला और अल-क़ुद्स पर क़ब्ज़े के बाद मुसलमानों के खून से होली खेली जा रही थी। 794 हिजरी में उन्होंने अक्का पर क़ब्ज़ा कर लिया और 305 हिजरी में (त्राबलस) त्रिपोली भी ईसाइयों के क़ब्ज़े में चला गया था।

ग़रज़ पांचवीं सदी के इस दौर में आलम-ए-इस्लाम पूरी तरह सियासी और फ़िक्री इंतिशार और ए’तिक़ादी कमजोरी का शिकार हो चुका था। सारी उम्मत-ए-मुस्लिमा पर तशकीक, इल्हाद और बे-राह-रवी के मनहूस साये मंडला रहे थे। ऐसे में जहां इमाम ग़ज़ाली के अफ़्कार से तशकीक के फ़ितने का खात्मा किया गया, वहीं तालीमात-ए-गौसिया ने बेयक़ीनी और बे-आमली के मेहलिक अमराज़ का मुआलिजा किया। आपने तौहीद को दिलों में रासिख़ किया और फ़रमाया:

“कि शिर्क सिर्फ़ बुत-परस्ती का नाम नहीं है बल्कि अपने नफ़्स की पैरवी और गैर-अल्लाह की तलब भी शिर्क में शामिल हैं।”

तौहीद और रिसालत को क़ौल-ओ-फ़ैल और इल्म-ओ-अमल से आम करके हज़रत गौस-ए-आज़म ने तसव्वुफ़ की तज़किया-ओ-तरबियत पर तवज्जो दी। आपकी विलादत से पहले आलम-ए-इस्लाम में बातिनी तहरीक में मंसूर हलाज की सदाए अनल-हक़ से तसव्वुफ़, शरियत से जुदा होने का एक अजीब मख़लूत बना गया था, जिसमें नवप्लातोनी ख़्यालात और फलसफ़ियाना मोशगाफ़ियों ने जड़ पकड़ ली थी। आपने तसव्वुफ़ को शरियत के ताबे किया और इसके आदाब को आम फ़हम ज़बान में बयान करके इसके दरवाज़े आम आदमी पर खोल दिए।

आप इज्तिमा-ए-उम्मत के दाई थे और दीन की तशहीर, तौसीअ, और फ़लाह-ओ-इस्लाह में हर मुसलमान की शिरकत को लाज़मी समझते थे। इस तरह गौस-ए-पाक ने इस्लाह-ओ-तजदीद और अहयाए दीन का वह अज़ीम और लाज़वाल कारनामा सरअंजाम दिया कि मुहीउद्दीन के ज़िंदा-ए-जाविद लक़ब से सरफ़राज़ हुए। हज़रत के अहद-ए-सईद में वह वक्त भी आया कि सलीबी जंगों में मुसलमानों को बाला-दस्ती हासिल होना शुरू हो गई और नूरुद्दीन ज़ंगी ने फिरंगियों को शिकस्त-ए-फ़ाश दी। अहल-ए-ईमान के हौसले बढ़े और अल-क़ुद्स दोबारा मुसलमानों के कब्जे में आ गया। दीन-ए-हक़ का बोल-बाला और चारों तरफ़ उजाला हुआ।

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हुक्काम-ए-वक़्त के साथ सलूक

आपने अपने मवाइज़ में इस सारी सूरते हाल का जायज़ा लेना शुरू किया और मुआशरे के हर तबक़े में मौजूद ख़राबियों की निशानदेही करते हुए उम्मत-ए-मुस्लिमा के नाक़ा-ए-बेज़माम को फिर सूए हरम लाना शुरू किया। अअला-ए-कलिमातुल-हक़ में आपकी ज़ात-ए-जलीला की मुसलहतकुशी की रवादार नहीं थी, उमराओ और हुक्काम-ए-वक़्त के लिए अम्र बिल मआरूफ़ के सिलसिले में हज़रत शेख़ के यहां किसी रियायत की गुंजाइश नहीं थी।

मशहूर खलीफ़ा अल-मुक़तफ़ी-ल-अम्रिल्लाह ने अबुल-वफ़ा-यहया बिन सईद बिन यहया बिन अल-मज़फ्फर को मंसब-ए-क़ज़ा तफ्वीज़ किया, हालांकि यह शख्स इब्न-उल-मज़ाहिम अल-ज़ालिम के लक़ब से मशहूर था। इस मौके पर हज़रत ने खलीफ़ा-ए-वक्त के इस तकर्रुर की बर-ए-मिनबर मज़म्मत की और दौरान-ए-वाज़ उसे मुख़ातिब करते हुए फ़रमाया:

“तुमने मुसलमानों पर एक ऐसे शख्स को हाकिम बना दिया है, जो अज़लम-उज़्जालिमीन है। कल क़यामत के दिन उस रब-उल-आलमीन को क्या जवाब दोगे, जो अरहमुर्राहिमीन है?”

खलीफा तक यह बात पहुंची तो वह कांप उठा और क़ाज़ीए मज़्कूर को फ़ौरन मुअज़ूल कर दिया।

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खलीफा-ए-वक्त के नाम ख़त

हज़रत अगर खलीफा-ए-वक्त को मकतूब इरसाल फ़रमाते तो सियाक़-ए-इबारत इस तरह होता:

“यह मकतूब अब्दुलक़ादिर की जानिब से है, जो तुम्हें फलाँ फलाँ बातों का हुक्म देता है। इसका हुक्म तुम पर नाफ़िज़ और इसकी इताअत तुम पर लाज़िम है, इसलिए कि वह मुक़्तदा है और तुम पर उसकी हुज्जत क़ायम है।”

जब यह मकतूब खलीफ़ा को पहुंचता तो वह इसको चूमता, आँखों से लगाता और कहता कि बेशक हज़रत ने दुरुस्त फ़रमाया।

امر بالمعروف اور نہی عن المنکر का यह ग़लग़ला चालीस बरस की फ़ज़ाओं में जिस उलू-ए-मरतबत, तमकुनत और वक़ार, इतमाद और अज़म और जोर-ओ-दबदबा के साथ गूंजता रहा, उसकी मिसाल पूरी तारीख़-ए-इस्लामी में मौजूद नहीं। आपके दस्त-ए-हक़ पर हजारों यहूदो-नसारा हलक़ा बग़ोश-ए-इस्लाम हुए, जबकि दरया-ए-मआसीयत में ग़र्क लाखों मुसलमान तौबा करके रहमत-ए-हक़ के मस्ताहिक ठहरे।

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Gaus e Azam की सूरत और स्वभाव

हज़रत का शरीर पतला था, कद मध्यम था, छाती चौड़ी थी, बाल घने थे, रंग सांवला था, भौंहें मिलती थीं, आवाज़ ऊँची थी। आपकी शख्सियत और गुण उच्च थे। आप ज्ञान और कर्म में पूरी तरह सक्षम थे और सम्मान और प्रसिद्धि में उच्च स्थान पर थे। आपके शब्दों में एक विशेष प्रभाव था, जो सुनने वालों के दिल पर गहरा असर डालता था। आपकी उपस्थिति से सबसे कठोर दिल भी विनम्र और सजग हो जाता था। जब आप मस्जिद में आते, तो सभी लोग आपके लिए दुआ करते थे।

आपका स्वभाव और चरित्र बहुत ही उत्तम और प्रशंसनीय था। आप अत्यंत दयालु, विनम्र और उदार थे। गरीबों और जरूरतमंदों के प्रति आपकी ममता इतनी अधिक थी कि हर व्यक्ति को लगता था कि हज़रत सबसे अधिक उसकी मदद कर रहे हैं। आप गरीबों की समस्याओं को गंभीरता से सुनते और उनकी मदद करते थे। आपने मुश्किलों और कठिनाइयों में धैर्य बनाए रखा।

आपकी महिमा और सम्मान की कहानियाँ सब जगह फैली हुई थीं। आप इतने विनम्र और साधारण थे कि अपनी व्यक्तिगत ज़िंदगी के काम खुद करते थे, जबकि आपकी धार्मिक और प्रशासनिक स्थिति बहुत उच्च थी।

हज़रत के लिबास के लिए दूर-दराज़ देशों से नफ़ीस कपड़ा तैयार होकर आता, जिससे आप उलेमा का लिबास बनवा कर ज़ेब-ए-तन फ़र्माते और रोज़ाना बदलते, पहला लिबास गरीबों और मिसाकीन में ख़ैरात कर देते। रोज़ाना लिबास बदलने की हिकमत गरीबों की परवरी थी, तबदीली तो महज़ एक बहाना था! गंदगी से तबियत ए पाकीजा को सख़्त नफरत थी, इबादत के वक्त खुशबू इस्तेमाल करते।

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करामात-ए-Gaus e Azam

हज़रत ग़ौस पाक की कसरत ए करामात पर तमाम मुअरखीन का इत्तिफ़ाक़ है, यहाँ तक कि शेख़ुल-इस्लाम इब्न तैमिया और शेख़ुल-इस्लाम इज़्ज़ुद्दीन बिन अब्दुलसलाम जैसे मुतशद्दिद हज़रत भी इस हक़ीकत के क़ुबूल-नामा हैं कि हज़रत की करामात हद-ए-तवातुर तक पहुंची हुई हैं।

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Gaus e Azam के लेख और रचनाएँ

हैरानी की बात है कि हज़रत ने शिक्षा, उपदेश, फतवा, खानकाही प्रशिक्षण और सुधार की महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों के साथ-साथ लेखन और रचनात्मक कार्य भी किया। आपने कई महत्वपूर्ण और मूल्यवान किताबें लिखीं जो धर्म के पुनरुत्थान में योगदान देती हैं।

आपकी प्रमुख रचनाओं में निम्नलिखित किताबें शामिल हैं:

  • 1. घ़नियतुत-तालेबीन
  • 2. अल-फतहु-र्रब्बानी वाल-फैज़ुर्रहमानी
  • 3. अल-फयूज़ातुर्रब्बानिया फ़ी अल-औराब क़ादरिया
  • 4. फुतूहुल-ग़ैब
  • 5. बशायरुल-खैरात
  • 6. तुफ़हतुल-मुत्तक़ीन व सबीलुल-आरिफीन
  • 7. हिज़बुल-रिजा और अलन्तिहा
  • 8. अल-रसाला अल-ग़ौसिया
  • 9. अल क़िब्रीतु-अल-अख़र फ़ी अस-सलाति अला अन-नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम
  • 10. मरातिबुल-वजूद
  • 11. यावाक़ीतुल-हिकम
  • 12. मराजुल-लतीफ़ अल-मानि
  • 13. जिलाउल-ख़ातिर फ़ी अल-बाटिन वाल-ज़ाहर
  • 14. सर्रुल-असरार व मज़हरुल-अनवार फ़ीमा याह्ताजु इलैहि अल-अबरार
  • 15. आदाबुस-सुलूक व तवासुल इलि मनाज़िल मलिकी-मलूक
आपका विसाल

फक़्र और विलायत के आकाश का यह चमकदार सितारा और ज्ञान का यह प्रकाश, इक्यानवे (91) साल की लंबी अवधि तक अपनी चमत्कारी रोशनी, अपार दया और आश्चर्यजनक प्रभाव के साथ रहा। फिर, रबी’ अल-थानी 561 हिजरी में, रात के समय, नमाज़-ए-इशा के बाद, उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया और एक नई, आध्यात्मिक दुनिया में प्रवेश किया।


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prophet muhammad history in hindi qist 7

बहीरा ने यह भी देखा कि हज़रत मुहम्मद साहब पर एक बादल साया किए हुए है। जब काफिला एक पेड़ के नीचे आकर ठहरा तो उसने बादल को देखा कि वह अब उस पेड़ पर साया कर रहा था। उस पेड़ की शाखें उस दिशा में झुक गई थीं जहां हज़रत मुहम्मद साहब बैठे थे। Prophet Muhammad History in Hindi Qist 7
ब्लॉग, हमारे हुज़ूर ﷺ

Prophet Muhammad History in Hindi Qist 6

हज़रत आमिना के इंतकाल के पाँच दिन बाद उम्म-ए-अैमन आपको लेकर मक्का पहुँचीं। आपको अब्दुल मुत्तलिब के हवाले किया। आपके यतीम हो जाने का उन्हें इतना सदमा था कि बेटे की वफ़ात पर भी इतना नहीं हुआ था। Prophet Muhammad History in Hindi Qist 6
ब्लॉग, हमारे हुज़ूर ﷺ

Prophet Muhammad History in Hindi Qist 5

“ख़ुदा की क़सम! मुझे यह बात बहुत नागवार गुज़र रही है कि मैं बच्चे के बिना जाऊँ, दूसरी सब औरतें बच्चे लेकर जाएँ, ये मुझे ताने देंगे, इस लिए क्यों न हम इसी यतीम बच्चे को ले लें।” Prophet Muhammad History in Hindi Qist 5
ब्लॉग, हमारे हुज़ूर ﷺ

prophet muhammad history in hindi qist 4

“इस बारे में अपनी ज़ुबान बंद रखो, यानी किसी को कुछ मत बताओ, नहीं तो लोग उस बच्चे से जबरदस्त ईर्ष्या करेंगे, इतनी ईर्ष्या जितनी अब तक किसी से नहीं की गई और उसकी इतनी कड़ी मुखालफत होगी कि दुनिया में किसी और की इतनी मुखालफत नहीं हुई।” prophet muhammad history in hindi qist 4
ब्लॉग, हमारे हुज़ूर ﷺ

prophet muhammad history in hindi

“मैं इस ग़म से बेहोश हुआ था कि मेरी कौम में से नबूवत खत्म हो गई… और ऐ क़ुरैशियो! अल्लाह की कसम! यह बच्चा तुम पर जबरदस्त ग़ालिब आएगा और इसकी शोहरत मशरिक से मगरिब तक फैल जाएगी।” prophet muhammad history in hindi
ब्लॉग, हमारे हुज़ूर ﷺ

yahya sinwar ki wasiyat

मैं ये शब्द लिख रहा हूँ और इस वक्त मेरी जिंदगी का हर लम्हा मेरी नज़रों के सामने है। गलियों के बीच गुजरने वाला बचपन, फिर जेल के लंबे साल, फिर वो खून का हर कतरा जो इस ज़मीन की मिट्टी पर बहाया गया। Yahya Sinwar ki Wasiyat
ब्लॉग, इतिहास/History

Hazrat Adam Alaihissalam Biography in Hindi

Hazrat Adam Alaihissalam Biography in Hindi
ब्लॉग, सीरत ए औलिया

हज़रत अब्दुल्लाह के बदले 100 ऊंटों की क़ुर्बानी

इसलिए उन्होंने क़ुरआंदाज़ी (लॉटरी) करने का इरादा किया। सभी बेटों के नाम लिखकर क़ुरआ डाला गया। अब्दुल्लाह का नाम निकला। अब उन्होंने छुरी ली, अब्दुल्लाह को बाजू से पकड़ा और उन्हें ज़िबह करने के लिए नीचे लिटा दिया।
ब्लॉग, हमारे हुज़ूर ﷺ

zamzam water well digging history in hindi

Zamzam Water Well Digging History in Hindi ┈┉┅❀🍃🌸🍃❀┅┉┈Seerat e Mustafa Qist 1┈┉┅❀🍃🌸🍃❀┅┉┈ हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के बेटे हज़रत इस्माइल अलैहिस्सलाम के 12 बेटे थे। …
ब्लॉग, हमारे हुज़ूर ﷺ

Hazrat Abu Huzaifa History in hindi

उनके पिता मारे गए, तो हजरत अबू हुज़ैफा रज़ीअल्लाहु अन्हु का चेहरा उदास देखकर पैगंबर ﷺ ने पूछा: “अबू हुदैफा! शायद तुम्हें अपने पिता का कुछ अफसोस है।” उन्होंने कहा Hazrat Abu Huzaifa History in hindi
ब्लॉग, Biography/जीवनी, सीरत ए सहाबा

The People of Saturday वो कौम जो बंदर बना दी गई

सागर के किनारे स्थित एक बस्ती जिसका नाम “ऐला” था, जो वर्तमान में लाल सागर के किनारे, मदीयन और तूर के बीच स्थित थी, में एक अजीब घटना हुई जिसका उल्लेख अल्लाह ने अपने कलाम में किया है The People of Saturday
ब्लॉग, Qur’an

Mohabbat Sirf Nikaah hai, Aur Agar Nikaah Nahi to Gunaah hai

अच्छी लड़कियों को पसंद करके, उनका ईमान खराब करके, उनसे इनबॉक्स में वादे करके, उनके पर्दे की धज्जियाँ उड़ाकर, उन्हें बुरी लड़की का लेबल लगाकर छोड़ने वालों, एक रब भी है उसका खौफ करो। लानत है ऐसी तालीम, गैरत और शराफत पर, जो तुम लोगों से शुरू होकर तुम लोगों पर ही खत्म हो जाती है। Mohabbat Sirf Nikaah hai, Aut Agar Nikaah Nahi to Gunaah hai
ब्लॉग

Lawrence of Arabia: Who Broke the Unity of the Muslim Ummah in Hindi

Lawrence of Arabia: Who Broke the Unity of the Muslim Ummah in Hindi
ब्लॉग, इतिहास/History

Qayamat ki Nishaniyan, Signs of the near end of the day

Qayamat ki Nishaniyan, Signs of the near end of the day
ब्लॉग, Qur’an

kya hum universe se bahar nikal sakte hain

kya hum universe se bahar nikal sakte hain अगर आपकी उम्र 60 साल है और आप इस कैदखाने से बाहर निकलने की सोच रहे हैं, तो ऐसा सोचने की भी ज़रूरत नहीं, क्योंकि यह मुमकिन नहीं है। अगर आपकी उम्र 60 हज़ार या 60 लाख साल हो जाए, तब भी यह मुमकिन नहीं है।
ब्लॉग, Qur’an

Revolutionary discoveries and inventions of Muslim scientists in hindi

discoveries and inventions of Muslim scientists Revolutionary discoveries and inventions of Muslim scientists in hindi
ब्लॉग, इतिहास/History

kya islam mein love marriage ki ijazat hai

इसी के साथ शरियत ने निकाह के मामले में माँ-बाप और बच्चों दोनों को ये हिदायत दी है कि वो एक-दूसरे की पसंद का ख़याल रखें। माँ-बाप को चाहिए कि अपने बच्चों का निकाह वहाँ न करें जहाँ वो बिल्कुल राज़ी न हों।
ब्लॉग, Qur’an

hazrat huzaifa bin yaman history in hindi

हज़रत हुज़ैफा बिन यमान की ज़िंदगी जब आपने हुज़ूर ﷺ को देखा, तो आदब से पूछा: ” हुज़ूर में मुहाजिर हूं या अंसार ” आप ﷺ ने कहा: “चाहो मुहाजिर कहलाओ या अंसार, तुम्हें पूरा अधिकार है।” हज़रत हुज़ैफा ने कहा: “यारसूल अल्लाह! मैं अंसारी बनना पसंद करूंगा।” hazrat huzaifa bin yaman
ब्लॉग, Biography/जीवनी, इतिहास/History

Mansa Musa Full History in Hindi

मानसा मूसा (Mansa Musa) या माली के मूसा प्रथम को दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति के रूप में जाना जाता है, जिनकी संपत्ति का अनुमान आज के समय में $400 अरब से अधिक होती। माली साम्राज्य के इस शासक ने 14वीं सदी में इतना धन अर्जित किया कि उसे अकल्पनीय माना जाता है। लेकिन मानसा मूसा केवल धनवान नहीं थे; बल्कि उन्होंने अपने साम्राज्य की आर्थिक, सांस्कृतिक और धार्मिक स्थिति को भी काफी हद तक बदल दिया। इस लेख में, हम मानसा मूसा के जीवन, शासनकाल, और उनकी विरासत को जानेंगे। Mansa Musa Full History in Hindi
ब्लॉग, इतिहास/History

Biography of the Prophet ﷺ in the mirror of Hijri Date (important events)

Biography of the Prophet ﷺ in the mirror of Hijri Date (important events) महीने और साल के आईने में पैगंबर ﷺ की जीवनी (महत्वपूर्ण घटनाएँ) سیرتِ نبوی ﷺ (اہم واقعات) ماہ و سال کے آئینے میں
Biography/जीवनी, हमारे हुज़ूर ﷺ

Fateh-e-Baitul Muqaddas Sultan Salahuddin Ayyubi ke Aakhiri 6 Saal

दुनिया में कुछ लोग हमेशा के लिए किसी बात की अलामत और निशान बन जाते हैं या कोई ख़ास चीज़ उनकी पहचान बन कर रह जाती है इसी तरह, महान मुजाहिद, गोरिल्ला कमांडर और शानदार सेनापति Sultan Salahuddin Ayyubi रहमतुल्लाह अलैह अपने कारनामों की वजह से बहादुरी और साहस का प्रतीक बन गए। जब भी कहीं दिलेरी और बहादुरी की बात होती है, तो तुरंत Sultan Salahuddin Ayyubi का नाम याद आता है।
ब्लॉग, सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी

Hajre Aswad 22 Saal Ke Liye Kaha Gayab Ho Gaya Tha

यह जनवरी 930 की बात है जब मक्का में एक ऐसी घटना घटी जिसने उस समय की पूरी मुस्लिम दुनिया को हिलाकर रख दिया। जब एक समूह ने मक्का में प्रवेश किया और काबा से Hajre Aswad को उखाड़ लिया, जिसे मुसलमान पवित्र मानते हैं। हालाँकि, यह समूह Hajre Aswad को अपने साथ ले गया और अगले 22 वर्षों तक वापस नहीं लौट सका। येवो वक्त था जब अब्बासी खिलाफात आंतरिक इख्तिलाफ़ से जूझ रही थी Hajre Aswad 22 Saal Ke Liye Kaha Gayab Ho Gaya Tha
ब्लॉग, इतिहास/History

Age of Hazrat Ayesha Shadi ke Waqt Hazrat Ayesha ki umar kitni thi

इस्लाम के दुश्मन खास तौर पर पश्चिमी दुनिया के लोग इस बात को लेकर हज़रत मुहम्मद ﷺ की शान में गुस्ताख़ी करते नज़र आते हैं। और आप ﷺ के पाकिज़ा किरदार को नज़रअंदाज़ करने की कोशिश करते हैं। इनकी देखा-देखी, आजकल हिंदुस्तान के कुछ तंग-ज़हन, इस्लाम मुखालिफ लोग भी इसे मुद्दा बनाकर मुसलमानों के जज़्बात को आहत करने की कोशिश कर रहे हैं।Shadi ke Waqt Hazrat Ayesha ki umar kitni thi Age of Hazrat Ayesha
ब्लॉग, Biography/जीवनी, हमारे हुज़ूर ﷺ

Quantum Teleport aur Takht e Bilqees: एक हैरान कर देने वाली रिसर्च

दोस्तो! ये कौन सा धर्म है? यह किस प्रकार की किताब है? मैं अपनी जिंदगी पर शर्त लगा सकता हूं कि यह किताब किसी इंसान द्वारा नहीं लिखी जा सकती। यह बिल्कुल असंभव है; इस किताब में लिखे हैं इतने बड़े खुलासे? मात्र तीन श्लोकों (आयतों) में हमें उस तकनीक के बारे में बताया गया है जिसे सीखने में मनुष्य को 3000 साल लग गए। Quantum Teleport aur Takht e Bilqees: एक हैरान कर देने वाली रिसर्च
ब्लॉग, Qur’an, इतिहास/History

सबसे पुराना धर्म कौन सा है-sabse purana dharm kaun sa hai

इस पोस्ट में आप जानेंगे के सबसे पुराना धर्म कौन सा है
ब्लॉग, इतिहास/History

Jung e Azadi mein Ulma e Kiram ka Kirdar

इस समय वतन अज़ीज़ हिंदुस्तान में 78वां यौम-ए-आज़ादी बड़े धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। लेकिन यह एक अफ़सोसनाक हक़ीक़त है कि आज के दिन लोग तहरीक-ए-आज़ादी में पसीना बहाने वालों को तो खूब याद करते हैं, लेकिन ख़ून बहाने वालों को भूल जाते हैं। यह एक मुस्लिम-उस्सबूत और नाक़ाबिल-ए-तर्दीद हक़ीक़त है कि हिंदुस्तान की आज़ादी उलेमा-ए-किराम के ही दम-ए-कदम से मुमकिन हुई है। आज हम आज़ादी की जिस खुशगवार फिज़ा में ज़िंदगी के लमहात गुज़ार रहे हैं, यह उलेमा-ए-हक़ के ही सरफरोशाना जज़्बात और मुजाहिदाना किरदार का नतीजा है। Jung e Azadi mein Ulma e Kiram ka Kirdar
ब्लॉग, इतिहास/History

Jang e Azadi aur Musalman स्वतंत्रता संग्राम और मुसलमान

Jang e Azadi aur Musalman स्वतंत्रता संग्राम और मुसलमान अपनी जान-माल की कुर्बानी देकर भारत को आज़ाद कराने वाले असली जांबाज़ कौन हैं?
ब्लॉग, इतिहास/History

अल्लाह के लिए रोने में खूबसूरती

अल्लाह के लिए रोने में खूबसूरती हमारे दीन में अकेले में रोने को विशेष बताया गया है, क्योंकि अकेले रहने पर दिल और भी कठोर हो जाता है।
ब्लॉग, Qur’an, सीरत ए औलिया

Huzur Gaus e Azam History in hindi

Huzur Gaus e Azam History आपका जन्म, आपकी पढ़ाई, आपके दौर के बादशाह, बादशाहों को हुक्म, आपके उस्तादों की लिस्ट, अपके मां बाप, आपकी किताबों की लिस्ट, आपकी करामत, आपका विसाल, बगरैह
ब्लॉग, सीरत, सीरत ए औलिया

Oslo Peace Agreement 1993, 18 months of secret negotiations, and massacre of Palestinians, Hamas Movement in hindi

फिलिस्तीनी संगठन जब अमेरिका में इजराइल के साथ आम बातचीत कर रहा था, उसी समय यासर अराफात और इजराइल के बीच ओस्लो में बेहद गुप्त बातचीत हो रही थी। ये बातचीत डेढ़ साल तक 10 राजधानी में 14 दौरों तक सख्त गुप्तता में चली। Oslo Peace Agreement 1993, 18 months of secret negotiations, and massacre of Palestinians, Hamas Movement in hindi
ब्लॉग, तारीख़े फिलिस्तीन/मस्जिदे अक्सा

Proclamation of an imaginary Palestinian state: Iraqi occupation of Kuwait: Hamas movement in hindi

Proclamation of an imaginary Palestinian state: Iraqi occupation of Kuwait: Hamas movement in hindi
ब्लॉग, तारीख़े फिलिस्तीन/मस्जिदे अक्सा

Jannat ki Technology: kya Jannat mein Internet Hoga

जन्नत की टेक्नोलॉजी: क्या जन्नत में इंटरनेट होगा? Jannat ki Technology: kya Jannat mein Internet Hoga
हमारे हुज़ूर ﷺ, ब्लॉग

Jabir ibn Hayyan: Great Scientist of Islamic Golden Age

जाबिर बिन हय्यान: इस्लामी सुनहरे दौर के एक महान वैज्ञानिक Jabir ibn Hayyan: Great Scientist of Islamic Golden Age
ब्लॉग, Biography/जीवनी, जाबिर बिन हय्यान जीवनी

कर्बला के झूठे किस्से

कर्बला के झूठे किस्से कर्बला की घटना को बयान करने में सबसे बड़ी कठिनाई यह थी कि हजरत सैयदना इमाम हुसैन रज़ि. के काफिले के बचे हुए लोगों में से किसी ने भी अपनी पूरी जिंदगी में इस घटना की पूरी जानकारी नहीं दी। अगर उन व्यक्तियों से कुछ आंशिक जानकारी मिली भी, तो वह ऐसी नहीं थी जो सबाई योजना को पूरा करने में सहायक साबित हो। इसलिए, इस त्रासदी को असाधारण रूप से बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने के लिए झूठ और अपमान पर आधारित ऐसे-ऐसे किस्से मशहूर किए गए कि अगर सबाई मानसिकता को ध्यान में रखते हुए सरसरी निगाह से भी उनका अध्ययन किया जाए, तो यह झूठ पूरी तरह उजागर हो जाता है।
ब्लॉग, इतिहास/History

नाकाम शहज़ादे और दीन की सौदागरी

जिस तरफ देखो शरीअत से खिलवाड़ का दौर-ए-दौरा है, जहाँ नज़र करो दीन के मुसल्मात से छेड़ छाड़ करने वाले नज़र आ रहे हैं और जिस तरफ़ तवज्जो करो उसी तरफ इज्मा-ए-उम्मत क्या इज्मा-ए-सहाबा तक को चैलेंज किया जा रहा है। नाकाम शहज़ादे और दीन की सौदागरी
ब्लॉग, Qur’an

क्या महिलाएं उत्तेजक कपड़े पहनकर यौन हिंसा और बलात्कार को आमंत्रित करती हैं?

इस में, हम जाँच करेंगे कि “सभ्य पश्चिम” इस विषय पर क्या कहता है। उनका सामान्य जनसमूह, कानून, अध्ययन, सर्वेक्षण, जूरी सदस्य और यहाँ तक कि बलात्कारी भी। क्या महिलाएं उत्तेजक कपड़े पहनकर यौन हिंसा और बलात्कार को आमंत्रित करती हैं?
ब्लॉग, Qur’an

यूरोप के बाद इस्लामिक देशों में इस्लामी रीति-रिवाजों पर प्रतिबंध क्यों लगाया जा रहा है?

अब तक फ्रांस और इटली जैसे यूरोपीय देशों से ही इस्लामी लिबास और शआर पर पाबंदी की खबरें सुनाई देती थीं, अब खुद को संस्कृति परस्त और लिबरल दिखाने के जुनून में मुस्लिम देश भी इस्लामी तालीमात पर पाबंदियां लगाने पर उतर आए हैं। यूरोप के बाद इस्लामिक देशों में इस्लामी रीति-रिवाजों पर प्रतिबंध क्यों लगाया जा रहा है?
ब्लॉग, Qur’an

1982 massacre and rape of Palestinians, release of 1145 prisoners in exchange for 3 ,1987 Intifada, Hamas movement in hindi

1982 massacre and rape of Palestinians, release of 1145 prisoners in exchange for 3 ,1987 Intifada, Hamas movement in hindi 1982 में फिलिस्तीनियों का नरसंहार और बलात्कार, 3 के बदले 1145 कैदियों की रिहाई, 1987 इंतिफादा, हमास आंदोलन हिंदी में
ब्लॉग, तारीख़े फिलिस्तीन/मस्जिदे अक्सा

Why did the Prophet marry multiple times in hindi

Why did the Prophet marry multiple times in hindi हुज़ूर ने कई शादियां क्यों कीं,
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Adam to Muhammad Family Tree in hindi

Adam to Muhammad Family Tree in hindi
ब्लॉग, हमारे हुज़ूर ﷺ

eid e ghadeer ki haqeeqat ईद ए गदीर क्या है

eid e ghadeer ki haqeeqat ईद ए गदीर क्या है
ब्लॉग, इतिहास/History

27 amazing verses of the Quran about the universe in hindi

27 amazing verses of the Quran about the universe in hindi
ब्लॉग, Qur’an

Holy Quran & Space Science in hindi

Holy Quran & Space Science about universe, sun, planets, Earth, moon, etc.
ब्लॉग, Qur’an

Qur’an is about the universe, earth and the sky, depths of the sea, Big Bang, victory of the Romans and lowest point on earth in Hindi

Qur’an is about the universe, the earth and the sky, the depths of the sea, the Big Bang, the victory of the Romans and the lowest point on earth in Hindi
ब्लॉग, Qur’an

palestine liberation organization, lebnon war, hamas movement in hindi

palestine liberation organization, lebnon war, hamas movement in hindi
ब्लॉग, तारीख़े फिलिस्तीन/मस्जिदे अक्सा

slavery in islam in hindi

slavery in islam in hindi
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burning Al-Aqsa Mosque by the Israelis and Al Fatah Tehreek, 1973 war between isreal and egypt in hindi

burning Al-Aqsa Mosque by the Israelis and Al Fatah Tehreek, 1973 war between isreal and egypt in hindi फिलिस्तीन का इतिहास किस्त 21
ब्लॉग, तारीख़े फिलिस्तीन/मस्जिदे अक्सा

6 day war, war of 1967 between israel and palestine in hindi

6 day war, war of 1967 between israel and palestine in hindi
तारीख़े फिलिस्तीन/मस्जिदे अक्सा, ब्लॉग

Nakba of Palestine 1948, betrayal of Arabs, establishment of Israel in hindi

Nakba of Palestine 1948, betrayal of Arabs, establishment of Israel in hindi
ब्लॉग, तारीख़े फिलिस्तीन/मस्जिदे अक्सा

Partition of Palestine into two parts, massacre of Muslims and the betrayal of Arabs, WW2 in hindi

Partition of Palestine into two parts, massacre of Muslims and the betrayal of Arabs, WW2 in hindi
ब्लॉग, तारीख़े फिलिस्तीन/मस्जिदे अक्सा

Palestinian revolutions after the Arab betrayal to the Ottoman Empire in hindi

Palestinian revolutions after the Arab betrayal to the Ottoman Empire in hindi
ब्लॉग, तारीख़े फिलिस्तीन/मस्जिदे अक्सा

arab revolution, arab betrayal of Palestinians, British,WW1 and Ottoman Empire in hindi

फिलिस्तीन के साथ अरबों की मक्कारी, विश्व युद्ध 1 और ब्रिटिश शासन arab revolution, arab betrayal of Palestinians, British,WW1 and Ottoman Empire in hindi
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फिलिस्तीन में यहूदियों का घुसना Penetration of the Jews into the Palestine in hindi

फिलिस्तीन में यहूदियों का घुसना Penetration of the Jews into the Palestine in hindi
ब्लॉग, Ottoman Empire, तारीख़े फिलिस्तीन/मस्जिदे अक्सा

Ottoman Empire and French Revolution in Palestine in hindi

Ottoman Empire and French Revolution in Palestine in hindi
ब्लॉग, Ottoman Empire, तारीख़े फिलिस्तीन/मस्जिदे अक्सा

मंगोलों के हाथ 8 लाख मुसलमानों का कत्ल ए आम-अब्बासी खिलाफत का अंत

मंगोलों के हाथ 8 लाख मुसलमानों का कत्ल ए आम-अब्बासी खिलाफत का अंत फिलिस्तीन का इतिहास (किस्त 13)
ब्लॉग, तारीख़े फिलिस्तीन/मस्जिदे अक्सा

salahuddin ayyubi ka inteqal (फिलिस्तीन का इतिहास किस्त 12)

salahuddin ayyubi ka inteqal aur unke baad (फिलिस्तीन का इतिहास किस्त 12)
ब्लॉग, तारीख़े फिलिस्तीन/मस्जिदे अक्सा

Sultan Salahuddin Ayyubi History in hindi (फिलिस्तीन का इतिहास किस्त 11)

Sultan Salahuddin Ayyubi History in hindi
तारीख़े फिलिस्तीन/मस्जिदे अक्सा, सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी

Salahuddin ayyubi masjid aqsa history in Hindi (फिलिस्तीन का इतिहास किस्त 10)

Salahuddin ayyubi masjid aqsa history in Hindi (फिलिस्तीन का इतिहास किस्त 10)
तारीख़े फिलिस्तीन/मस्जिदे अक्सा, सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी

Sultan Salahuddin Ayyubi (फिलिस्तीन का इतिहास क़िस्त 9) in Hindi

Sultan Salahuddin Ayyubi (फिलिस्तीन का इतिहास क़िस्त 9) in Hindi
तारीख़े फिलिस्तीन/मस्जिदे अक्सा, सुल्तान सलाहुद्दीन अय्यूबी

Roze ke Scientific Fayede-scientific benefits of ramadan fasting in hindi

Roze ke Scientific Fayede-scientific benefits of ramadan fasting in hindi
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नूरुद्दीन ज़ंगी-फिलिस्तीन का इतिहास (किस्त 8)

नूरुद्दीन ज़ंगी-फिलिस्तीन का इतिहास (किस्त 8)
तारीख़े फिलिस्तीन/मस्जिदे अक्सा, सुल्तान नूरुद्दीन ज़ंगी

मस्जिदे अक्सा की तबाही और मुसलमानों की खूनरेज़ी (किस्त 7)

मस्जिदे अक्सा की तबाही और मुसलमानों की खूनरेज़ी
तारीख़े फिलिस्तीन/मस्जिदे अक्सा, ब्लॉग

सलीबी जंगों का आगाज़

सलीबी जंगों का आगाज़ फिलिस्तीन का इतिहास (क़िस्त 6
तारीख़े फिलिस्तीन/मस्जिदे अक्सा, ब्लॉग

गजवा ए हिन्द क्या है-gazwa e hind

गजवा ए हिन्द क्या है-gazwa e hind
ब्लॉग, इतिहास/History, हमारे हुज़ूर ﷺ

Tailbone in Islam hindi

Tailbone in Islam hindi
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फिलिस्तीन का इतिहास अब्बासी ख़िलाफ़त (किस्त 5)

फिलिस्तीन का इतिहास: अब्बासी ख़िलाफ़त (भाग 5)
तारीख़े फिलिस्तीन/मस्जिदे अक्सा

फिलिस्तीन उमर बिन ख़त्ताब के दौर में

फिलिस्तीन उमर बिन ख़त्ताब के दौर में फिलिस्तीन का इतिहास किस्त 4
तारीख़े फिलिस्तीन/मस्जिदे अक्सा, ब्लॉग

Romans control over Quds (Palestine)

तारीख़ ए फिलिस्तीन (क़िस्त 3) ईसा अलैहिस्सलाम तारीख़ ए फिलिस्तीन Romans control over Quds (Palestine)
तारीख़े फिलिस्तीन/मस्जिदे अक्सा, ब्लॉग

what is haikal e sulemani

यहाँ आकर हम यह कह सकते हैं कि फिलिस्तीन में बनी इस्राइल की पहली हुकूमत 995 ईसा पूर्व को क़ायम हुई थी, लेकिन गुज़िश्ता औराक से पता चलाता है कि बनी इस्राइल से बहुत पहले फिलिस्तीन पर कनानी और येबुसीयों ने अर्शे दराज़ से हुकूमत करते चले आ रहे थे, उनका ज़माना 2600 ईसा पूर्व का था, यह बहुत प्राचीन इतिहास है, इसमें और बनी इस्राइल की सल्तनत के क़ायम होने में 1600 साल का ज़माना है। What is Haikal e Sulemani तारीख़ ए फिलिस्तीन (किस्त 2)
तारीख़े फिलिस्तीन/मस्जिदे अक्सा, ब्लॉग

फिलिस्तीन का इतिहास किस्त 1

फिलिस्तीन का नाम कैसे पड़ा यहूदी किसकी औलाद हैं फिलिस्तीन का इतिहास (किस्त 1)
ब्लॉग, तारीख़े फिलिस्तीन/मस्जिदे अक्सा

इमामे आज़म अबु हनीफा || imaam e azam abu hanifa history in hindi

अल-नुमान बिन साबित, जिन्हें आमतौर पर अबू हनीफ़ा के रूप में जाना जाता है, सुन्नी कानून की चार विद्यालयों में से एक के संस्थापक माने जाते हैं। वे अल-इमाम अल-अज़म (ग्रेट इमाम) और सिराज़ अल-आइम्मा (इमामों का दीपक) के रूप में व्यापक रूप से जाने जाते हैं।
ब्लॉग, इमाम ए आज़म अबु हनीफा

मस्जिदे अक्सा का इतिहास

मस्जिदे अक्सा का इतिहास मस्जिद अल-अक्सा फ़िलिस्तीन के दारुलहुकूमत बैतुलमकदस में स्थित है। बैतुलमकदस को अल-कुदस भी कहा जाता है, और अल-कुदस को पश्चिमी शब्दों में यरुशलम कहा जाता है। इबरानी में अल-कुदस को यरुशलम कहा जाता है। इसका एक नाम इलिया भी है। इस्लाम से पहले इसे एक रोमी बादशाह ने इलिया रखा था।
तारीख़े फिलिस्तीन/मस्जिदे अक्सा, ब्लॉग

hazrat ameer Muawiya history in hindi || हज़रत अमीर मुआविया

hazrat ameer Muawiya history in hindi || हज़रत अमीर मुआविया कौन थे
सीरत ए सहाबा, ब्लॉग

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