जाबिर बिन हय्यान: इस्लामी सुनहरे दौर के एक महान वैज्ञानिक
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परिचय
जाबिर बिन हय्यान, जिन्हें गेबेर (Geber) के नाम से भी जाना जाता है, इस्लामी स्वर्ण युग के एक प्रमुख वैज्ञानिक, रसायनज्ञ, और चिकित्सक थे। उनका जन्म 721 ईस्वी में तूस, खुरासान (आधुनिक ईरान) में हुआ था और उनका निधन 815 ईस्वी में कुफा, इराक में हुआ। जाबिर बिन हय्यान को रसायन विज्ञान के संस्थापक के रूप में माना जाता है और उनके योगदान ने पुरी दुनिया में एक नई दिशा प्रदान की।
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प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
जाबिर का जन्म एक शिक्षित और समृद्ध परिवार में हुआ था। उनके पिता, हय्यान अल-अजदी, एक औषधि विक्रेता और चिकित्सक थे। उन्होंने जाबिर को प्रारंभिक शिक्षा दी और औषधियों के बारे में बुनियादी जानकारी सिखाई। जब जाबिर छोटे थे, उनके पिता को अब्बासी खलीफा द्वारा राजनीतिक विरोध के कारण फांसी दे दी गई। इसके बाद, उनका परिवार तूस से कुफा चला गया।
कुफा में, जाबिर ने विभिन्न विषयों में शिक्षा प्राप्त की, जिसमें इस्लामी विज्ञान, गणित, खगोलशास्त्र, और चिकित्सा शामिल थे। उनके प्रमुख शिक्षक जाफर अल-सादिक थे, जो इस्लामी और वैज्ञानिक ज्ञान में मुफरिद थे। जाफर अल-सादिक के मार्गदर्शन में, जाबिर ने रसायन विज्ञान और दर्शनशास्त्र में गहरी समझ विकसित की।
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Jabir ibn Hayyan के योगदान
जाबिर बिन हय्यान के योगदान व्यापक और विविध थे। उन्होंने कई रासायनिक प्रक्रियाओं का विवरण दिया, नए उपकरणों का आविष्कार किया, और रसायन विज्ञान के सिद्धांतों को स्थापित किया। उनके कुछ प्रमुख योगदान निम्नलिखित हैं:
1. रासायनिक उपकरण
जाबिर ने कई रासायनिक उपकरणों का आविष्कार और उपयोग किया, जिनमें एम्बिक (Alembic), रिटोर्ट (Retort), और फ़िल्टरिंग उपकरण शामिल हैं। इन उपकरणों का उपयोग द्रवों के आसवन और शुद्धिकरण के लिए किया जाता है।
एम्बिक (Alembic) एम्बिक एक उपकरण है जिसका उपयोग द्रवों के आसवन के लिए किया जाता है। यह दो मुख्य भागों से बना होता है: एक बेसिन या बर्तन जिसमें द्रव को गरम किया जाता है, और एक कंडेंसर जो वाष्प को वापस द्रव में परिवर्तित करता है। जाबिर ने एम्बिक को विकसित किया और इसका उपयोग विभिन्न रासायनिक प्रक्रियाओं में किया।
रिटोर्ट (Retort) रिटोर्ट एक सीलबंद बर्तन होता है जिसमें द्रव को गरम किया जाता है और वाष्प को एक ट्यूब के माध्यम से संग्रहित किया जाता है। यह उपकरण रासायनिक यौगिकों के पृथक्करण और शुद्धिकरण के लिए महत्वपूर्ण है।
फ़िल्टरिंग उपकरण जाबिर ने विभिन्न प्रकार के फ़िल्टरिंग उपकरणों का आविष्कार किया, जो ठोस और द्रव मिश्रणों को अलग करने के लिए उपयोगी हैं। ये उपकरण आज भी रसायन विज्ञान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
2. अम्ल और क्षार
जाबिर बिन हय्यान ने विभिन्न अम्लों और क्षारों का उत्पादन और अध्ययन किया। उन्होंने सल्फ्यूरिक एसिड, नाइट्रिक एसिड, और हाइड्रोक्लोरिक एसिड जैसे कई महत्वपूर्ण अम्लों का विवरण दिया। उनके कार्यों ने इन अम्लों के उपयोग को समझने और उन्हें बनाने की विधियों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सल्फ्यूरिक एसिड: सल्फ्यूरिक एसिड, जिसे “तेल का विट्रियोल” भी कहा जाता है, जाबिर के कार्यों में से एक प्रमुख खोज थी। उन्होंने इसका उत्पादन और उपयोग विभिन्न रासायनिक प्रतिक्रियाओं में किया।
नाइट्रिक एसिड: जाबिर ने नाइट्रिक एसिड का भी उत्पादन किया और इसके उपयोग को विभिन्न धातुओं के संशोधन और शुद्धिकरण में किया। नाइट्रिक एसिड का उपयोग आज भी महत्वपूर्ण औद्योगिक प्रक्रियाओं में होता है।
हाइड्रोक्लोरिक एसिड: जाबिर ने हाइड्रोक्लोरिक एसिड का विवरण दिया और इसके उपयोग को विभिन्न रासायनिक प्रक्रियाओं में किया। यह अम्ल रसायन विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण यौगिक है।
3. रासायनिक सिद्धांत
जाबिर ने रासायनिक प्रक्रियाओं के सिद्धांतों को विकसित किया और उन्हें स्पष्ट रूप से समझाया। उन्होंने रासायनिक प्रतिक्रियाओं के संतुलन और तत्वों के गुणों के बारे में महत्वपूर्ण सिद्धांत प्रस्तुत किए। उनके कार्यों में तत्वों की परिभाषा और उनके गुणों का विवरण शामिल है।
तत्वों की परिभाषा: जाबिर ने तत्वों को उनके गुणों के आधार पर परिभाषित किया और उन्हें वर्गीकृत किया। उन्होंने कहा कि तत्व चार बुनियादी गुणों से मिलकर बने होते हैं: गर्म, ठंडा, गीला, और सूखा। उनके अनुसार, विभिन्न तत्वों का संयोजन और प्रतिक्रिया इन गुणों के आधार पर होती है।
रासायनिक प्रतिक्रियाओं का संतुलन: जाबिर ने रासायनिक प्रतिक्रियाओं के संतुलन के सिद्धांत को प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि एक रासायनिक प्रतिक्रिया तब तक होती है जब तक सभी प्रतिक्रिया तत्व एक संतुलित अवस्था में नहीं पहुँच जाते। यह सिद्धांत आज भी रसायन विज्ञान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
4. औषधि निर्माण
जाबिर ने औषधि निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने विभिन्न औषधियों और उनके निर्माण की विधियों का विवरण दिया, जो चिकित्सा के क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उनके कार्यों ने चिकित्सा विज्ञान को भी गहरा प्रभाव डाला।
औषधियों का वर्गीकरण: जाबिर ने औषधियों को उनके गुणों और प्रभावों के आधार पर वर्गीकृत किया। उन्होंने विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए औषधियों के निर्माण और उपयोग के तरीकों का विवरण दिया।
औषधि निर्माण की विधियाँ: जाबिर ने औषधियों के निर्माण की विभिन्न विधियों का विकास किया। उन्होंने औषधियों के निष्कर्षण, शुद्धिकरण, और संयोजन की तकनीकों का वर्णन किया। उनके कार्यों ने चिकित्सा विज्ञान को उन्नत किया और आज भी उनके सिद्धांतों का उपयोग किया जाता है।
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इस्लाम और धार्मिक जीवन
जाबिर बिन हय्यान एक समर्पित मुस्लिम थे और उनका जीवन इस्लामी सिद्धांतों और मान्यताओं पर आधारित था। उन्होंने अपने वैज्ञानिक कार्यों को इस्लाम के साथ संतुलित रखा और धार्मिक शिक्षा को भी महत्व दिया। उनके धार्मिक जीवन के कुछ प्रमुख पहलू निम्नलिखित हैं:
1. इस्लामी शिक्षा: जाबिर ने इस्लामी शिक्षा और धार्मिक सिद्धांतों का गहन अध्ययन किया। उन्होंने कुरआन और हदीस का अध्ययन किया और अपने धार्मिक ज्ञान को विज्ञान के साथ जोड़कर प्रस्तुत किया। उनके कार्यों में इस्लामी सिद्धांतों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विश्लेषण किया गया है।
2. नैतिकता और विज्ञान: जाबिर ने विज्ञान को नैतिकता और धार्मिकता के साथ जोड़ने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि विज्ञान और नैतिकता एक-दूसरे के पूरक हैं और दोनों का समन्वय आवश्यक है। उन्होंने अपने वैज्ञानिक अनुसंधानों को नैतिक और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार किया।
3. धार्मिक समुदाय के साथ जुड़ाव: जाबिर बिन हय्यान ने धार्मिक समुदाय के साथ अपने संबंधों को मजबूत रखा। उन्होंने धार्मिक समारोहों और इस्लामी सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय भाग लिया। उनके धार्मिक जीवन और वैज्ञानिक कार्यों का संगम उनके व्यक्तित्व का महत्वपूर्ण हिस्सा था।
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महत्वपूर्ण रचनाएँ
जाबिर बिन हय्यान ने कई महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखे, जिनमें से कुछ प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं:
1. किताब अल-किमिया (The Book of Chemistry) यह पुस्तक रसायन विज्ञान के सिद्धांतों और प्रक्रियाओं का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करती है। इसमें रासायनिक उपकरणों, अम्लों, क्षारों, और अन्य रासायनिक यौगिकों का वर्णन किया गया है।
2. किताब अल-जब्र वाल-मुकाबला (The Book of Algebra and Balancing) इस पुस्तक में गणित और रासायनिक संतुलन के सिद्धांतों का विवरण दिया गया है। यह पुस्तक रसायन विज्ञान और गणित के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है।
3. किताब अल-तज्मीअ (The Book of Compilation) यह पुस्तक विभिन्न रासायनिक यौगिकों और उनकी निर्माण विधियों का वर्णन करती है। इसमें औषधियों और अन्य रासायनिक उत्पादों की निर्माण विधियाँ भी शामिल हैं।
4. किताब-अल-ज़ुहर (The Book of Poisons) इस पुस्तक में विभिन्न विषाक्त यौगिकों और उनके प्रभावों का विवरण दिया गया है। यह पुस्तक विष विज्ञान के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है।
5. किताब अल-रहमा (The Book of Mercy) इस पुस्तक में चिकित्सा विज्ञान और औषधियों का वर्णन किया गया है। इसमें विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए औषधियों के निर्माण और उपयोग की विधियाँ शामिल हैं।
6. किताब अल-मिजान (The Book of Balance) यह पुस्तक रासायनिक प्रतिक्रियाओं के संतुलन और तत्वों के गुणों के बारे में विस्तृत विवरण प्रस्तुत करती है। इसमें रासायनिक संतुलन के सिद्धांतों का गहन अध्ययन किया गया है।
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Jabir ibn Hayyan का प्रभाव
जाबिर बिन हय्यान के योगदान ने रसायन विज्ञान और चिकित्सा के क्षेत्रों में क्रांति ला दी। उनके सिद्धांत और विधियाँ इस्लामी स्वर्ण युग में विज्ञान के विकास के लिए महत्वपूर्ण थे। उनके कार्यों का प्रभाव न केवल इस्लामी वैज्ञानिकों पर, बल्कि बाद के यूरोपीय वैज्ञानिकों पर भी पड़ा, जिसका इस्तेमाल आज भी होता है।
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इस्लामी स्वर्ण युग में प्रभाव
जाबिर बिन हय्यान के कार्यों ने इस्लामी स्वर्ण युग में विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके सिद्धांतों और विधियों ने इस्लामी वैज्ञानिकों को रसायन विज्ञान और चिकित्सा के क्षेत्र में नई खोजें करने के लिए प्रेरित किया।
यूरोपीय पुनर्जागरण पर प्रभाव
जाबिर बिन हय्यान के कार्यों का प्रभाव यूरोपीय पुनर्जागरण के दौरान भी देखा गया। उनके ग्रंथों का लैटिन भाषा में अनुवाद किया गया और यूरोपीय वैज्ञानिकों ने उनके सिद्धांतों और विधियों का अध्ययन किया। उनके योगदान ने यूरोप में रसायन विज्ञान और चिकित्सा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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निष्कर्ष
जाबिर बिन हय्यान एक महान वैज्ञानिक, रसायनज्ञ, और इस्लामी विद्वान थे। उनके योगदान ने रसायन विज्ञान और चिकित्सा के क्षेत्रों में क्रांति ला दी। उन्होंने विज्ञान और धर्म को एक साथ जोड़कर एक समग्र दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उनके कार्यों और सिद्धांतों ने विज्ञान के क्षेत्र में नई दिशा प्रदान की और आज भी उनके योगदान को सम्मानित किया जाता है।
जाबिर बिन हय्यान का जीवन और उनके कार्य हमें सिखाते हैं कि विज्ञान और धर्म एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं और दोनों का संतुलित विकास समाज के लिए लाभकारी हो सकता है। उनके योगदान ने उन्हें इतिहास में एक महान वैज्ञानिक और इस्लामी विद्वान के रूप में स्थापित किया है।
सीडियाना जेल, जो शाम के शहर दमिश्क के नज़दीक वाक़े है, दुनिया की सबसे सख्त और बदनाम जेलों में से एक मानी जाती है। इस जेल में कैदियों को बेहद सख्त हालात में रखा जाता था, जहां कई कैदियों ने दशकों तक सूरज की रोशनी नहीं देखी और बाहर की हवा को भी महसूस नहीं किया।
Story of prisoners of Sednaya prison in Syria Hindi
صیدیانہ جیل، جو شام کے شہر دمشق کے نزدیک واقع ہے، دنیا کی سب سے سخت اور بدنام جیلوں میں سے ایک مانی جاتی ہے۔ اس جیل میں قیدیوں کو انتہائی سخت حالات میں رکھا جاتا تھا، جہاں کئی قیدیوں نے دہائیوں تک سورج کی روشنی نہیں دیکھی اور باہر کی آب و ہوا کو بھی محسوس نہیں کیا۔
Story of prisoners of Sednaya prison in Syria Urdu
दमिश्क: बानो उमैय्या का दारुलख़िलाफ़ा रहने वाला वह क़दीम शहर जिसने कई ख़ुलफ़ा और बादशाहों का उरूज और ज़वाल देखा।
शाम जिसने अल्लाह की तलवार ख़ालिद बिन वलीद रज़ियल्लाहु अन्हु की सिपहसालारी देखी।
जिसकी ज़मीन पर अपने ज़माने के बेहतरीन लोगों के क़दमों के निशानात हैं।
जहाँ साए सलाहुद्दीन अय्यूबी उठा था जिनकी इज़्ज़त यूरोप में भी की जाती है।
History of Syria in Hindi
دمشق: بنو اُمیہ کا دارالخلافہ رہنے والا وہ قدیم شہر جس نے کئی خلفا اور بادشاہوں کا عروج و زوال دیکھا
شام جس نے اللہ کی تلوار خالد بن ولید رضی اللہ عنہ کی سپہ سالاری دیکھی
جس کی زمین پر اپنے زمانے کے بہترین لوگوں کے قدموں کے نشانات ہیں
جہاں سآے صلاح الدین ایوبی اٹھا تھا جن کی عزت یورپ میں بھی کی جاتی ہے
History of Syria in Urdu
Kya Syria mein Sufyani ka nikalna Qareeb hai शाम (सीरिया) से संबंधित इस्लामी हदीसों में “सुफयानी” नामक एक चरित्र का उल्लेख विशेष रूप से किया गया है। सुफयानी का प्रकट होना क़यामत से पहले की महत्वपूर्ण निशानियों में से एक बताया गया है। इसे एक अत्याचारी और फितना फैलाने वाले व्यक्ति के रूप में वर्णित … Read more
मुल्क ए शाम (Syria) से संबंधित एक-एक करके हदीसें पूरी हो रही हैं। कहा जाता है कि जब फितने फैलेंगे तो शाम में अमन होगा। शाम को आख़िरी ज़माने में मुसलमानों का हेडक्वार्टर कहा गया। इस ब्लॉग में हदीसों की रोशनी में शाम की अहमियत और फज़ीलत से संबंधित पूरी जानकारी है, जिससे आपको मौजूदा स्थिति (December 2024) को समझने में आसानी होगी।
Importance of Syria in the light of Hadiths
यह सुनकर हज्जाज का चेहरा गुस्से से लाल हो गया और उसने सईद को मारने का हुक्म दे दिया। जब हज़रत सईद को दरबार से बाहर ले जाया जा रहा था, तो वह मुस्कुरा दिए।
हज्जाज बिन यूसुफ की दर्दनाक मौत
Installing the Black Stone ( Prophet Muhammad History in Hindi ) ┈┉┅❀🍃🌸🍃❀┅┉┈Seerat e Mustafa Qist 11 ┈┉┅❀🍃🌸🍃❀┅┉┈ काबे की चौथी तामीर जब आप ﷺ की उम्र 35 साल हुई, मक्का में जबरदस्त बाढ़ आई। क़ुरैश ने बाढ़ से बचने के लिए एक बाँध बनाया था। यह बाढ़ इतनी ज़बरदस्त थी कि बाँध तोड़कर काबे में … Read more
उन्होंने एक ख़ातून नफीसाह बिन्त मुनिया को आपकी ख़िदमत में भेजा। उन्होंने आकर आपसे कहा कि अगर कोई दौलतमंद और पाकबाज़ ख़ातून खुद आपको निकाह की पेशकश करे तो क्या आप मान लेंगे?
huzur ka hazrat khadeeja se nikah (prophet muhammad history in hindi qist 10)
इस्लाम में स्त्री पुरुष की गुलाम नहीं है स्त्री को पुरुष की कनीज (दासी) नहीं माना गया है, जैसा कि कुछ अन्य धर्मों में होता है। बल्कि, वह पुरुष की साथी, सहचरी, और उसकी सच्ची मित्र है। कुरआन व हदीस में महिलाओं के अधिकार
women’s rights in islam
जब भी आप ﷺ मैदान-ए-जंग में पहुंचते, तो बनी किनाना को जीत मिलती और जब आप वहाँ न होते, तो उन्हें शिकस्त होने लगती। आपने इस जंग में सिर्फ़ इतना हिस्सा लिया कि अपने चाचाओं को तीर पकड़ाते रहे और बस।
prophet muhammad history
Prophet Muhammad ﷺ History in Hindi Qist 8 ┈┉┅❀🍃🌸🍃❀┅┉┈Seerat e Mustafa Qist 8 ┈┉┅❀🍃🌸🍃❀┅┉┈ आपको क़ाफ़िले के साथ इसलिए नहीं ले जाया गया था क्योंकि आप कम उम्र थे। आप वहीं पेड़ के नीचे बैठ गए। उधर बहीरा ने लोगों को देखा और उनमें से किसी में उसे वह गुण नजर नहीं आया जो आखिरी … Read more
बहीरा ने यह भी देखा कि हज़रत मुहम्मद साहब पर एक बादल साया किए हुए है। जब काफिला एक पेड़ के नीचे आकर ठहरा तो उसने बादल को देखा कि वह अब उस पेड़ पर साया कर रहा था। उस पेड़ की शाखें उस दिशा में झुक गई थीं जहां हज़रत मुहम्मद साहब बैठे थे।
Prophet Muhammad History in Hindi Qist 7
हज़रत आमिना के इंतकाल के पाँच दिन बाद उम्म-ए-अैमन आपको लेकर मक्का पहुँचीं। आपको अब्दुल मुत्तलिब के हवाले किया। आपके यतीम हो जाने का उन्हें इतना सदमा था कि बेटे की वफ़ात पर भी इतना नहीं हुआ था।
Prophet Muhammad History in Hindi Qist 6
“ख़ुदा की क़सम! मुझे यह बात बहुत नागवार गुज़र रही है कि मैं बच्चे के बिना जाऊँ, दूसरी सब औरतें बच्चे लेकर जाएँ, ये मुझे ताने देंगे, इस लिए क्यों न हम इसी यतीम बच्चे को ले लें।”
Prophet Muhammad History in Hindi Qist 5
“इस बारे में अपनी ज़ुबान बंद रखो, यानी किसी को कुछ मत बताओ, नहीं तो लोग उस बच्चे से जबरदस्त ईर्ष्या करेंगे, इतनी ईर्ष्या जितनी अब तक किसी से नहीं की गई और उसकी इतनी कड़ी मुखालफत होगी कि दुनिया में किसी और की इतनी मुखालफत नहीं हुई।”
prophet muhammad history in hindi qist 4
“मैं इस ग़म से बेहोश हुआ था कि मेरी कौम में से नबूवत खत्म हो गई… और ऐ क़ुरैशियो! अल्लाह की कसम! यह बच्चा तुम पर जबरदस्त ग़ालिब आएगा और इसकी शोहरत मशरिक से मगरिब तक फैल जाएगी।”
prophet muhammad history in hindi
मैं ये शब्द लिख रहा हूँ और इस वक्त मेरी जिंदगी का हर लम्हा मेरी नज़रों के सामने है। गलियों के बीच गुजरने वाला बचपन, फिर जेल के लंबे साल, फिर वो खून का हर कतरा जो इस ज़मीन की मिट्टी पर बहाया गया।
Yahya Sinwar ki Wasiyat
इसलिए उन्होंने क़ुरआंदाज़ी (लॉटरी) करने का इरादा किया। सभी बेटों के नाम लिखकर क़ुरआ डाला गया। अब्दुल्लाह का नाम निकला। अब उन्होंने छुरी ली, अब्दुल्लाह को बाजू से पकड़ा और उन्हें ज़िबह करने के लिए नीचे लिटा दिया।
Zamzam Water Well Digging History in Hindi ┈┉┅❀🍃🌸🍃❀┅┉┈Seerat e Mustafa Qist 1┈┉┅❀🍃🌸🍃❀┅┉┈ हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के बेटे हज़रत इस्माइल अलैहिस्सलाम के 12 बेटे थे। उनकी नस्ल इतनी बढ़ गई कि मक्का मुकर्रमा में न समा सकी और पूरे हिजाज़ में फैल गई। उनके एक बेटे कैदार की औलाद में अदनान हुए। अदनान के बेटे मअद … Read more
उनके पिता मारे गए, तो हजरत अबू हुज़ैफा रज़ीअल्लाहु अन्हु का चेहरा उदास देखकर पैगंबर ﷺ ने पूछा: “अबू हुदैफा! शायद तुम्हें अपने पिता का कुछ अफसोस है।”
उन्होंने कहा
Hazrat Abu Huzaifa History in hindi
सागर के किनारे स्थित एक बस्ती जिसका नाम “ऐला” था, जो वर्तमान में लाल सागर के किनारे, मदीयन और तूर के बीच स्थित थी, में एक अजीब घटना हुई जिसका उल्लेख अल्लाह ने अपने कलाम में किया है
The People of Saturday
अच्छी लड़कियों को पसंद करके, उनका ईमान खराब करके, उनसे इनबॉक्स में वादे करके, उनके पर्दे की धज्जियाँ उड़ाकर, उन्हें बुरी लड़की का लेबल लगाकर छोड़ने वालों, एक रब भी है उसका खौफ करो। लानत है ऐसी तालीम, गैरत और शराफत पर, जो तुम लोगों से शुरू होकर तुम लोगों पर ही खत्म हो जाती है।
Mohabbat Sirf Nikaah hai, Aut Agar Nikaah Nahi to Gunaah hai
kya hum universe se bahar nikal sakte hain
अगर आपकी उम्र 60 साल है और आप इस कैदखाने से बाहर निकलने की सोच रहे हैं, तो ऐसा सोचने की भी ज़रूरत नहीं, क्योंकि यह मुमकिन नहीं है। अगर आपकी उम्र 60 हज़ार या 60 लाख साल हो जाए, तब भी यह मुमकिन नहीं है।
इसी के साथ शरियत ने निकाह के मामले में माँ-बाप और बच्चों दोनों को ये हिदायत दी है कि वो एक-दूसरे की पसंद का ख़याल रखें। माँ-बाप को चाहिए कि अपने बच्चों का निकाह वहाँ न करें जहाँ वो बिल्कुल राज़ी न हों।
हज़रत हुज़ैफा बिन यमान की ज़िंदगी
जब आपने हुज़ूर ﷺ को देखा, तो आदब से पूछा: ” हुज़ूर में मुहाजिर हूं या अंसार ” आप ﷺ ने कहा: “चाहो मुहाजिर कहलाओ या अंसार, तुम्हें पूरा अधिकार है।” हज़रत हुज़ैफा ने कहा: “यारसूल अल्लाह! मैं अंसारी बनना पसंद करूंगा।”
hazrat huzaifa bin yaman
मानसा मूसा (Mansa Musa) या माली के मूसा प्रथम को दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति के रूप में जाना जाता है, जिनकी संपत्ति का अनुमान आज के समय में $400 अरब से अधिक होती। माली साम्राज्य के इस शासक ने 14वीं सदी में इतना धन अर्जित किया कि उसे अकल्पनीय माना जाता है। लेकिन मानसा मूसा केवल धनवान नहीं थे; बल्कि उन्होंने अपने साम्राज्य की आर्थिक, सांस्कृतिक और धार्मिक स्थिति को भी काफी हद तक बदल दिया। इस लेख में, हम मानसा मूसा के जीवन, शासनकाल, और उनकी विरासत को जानेंगे।
Mansa Musa Full History in Hindi
Biography of the Prophet ﷺ in the mirror of Hijri Date (important events)
महीने और साल के आईने में पैगंबर ﷺ की जीवनी (महत्वपूर्ण घटनाएँ)
سیرتِ نبوی ﷺ (اہم واقعات) ماہ و سال کے آئینے میں
दुनिया में कुछ लोग हमेशा के लिए किसी बात की अलामत और निशान बन जाते हैं या कोई ख़ास चीज़ उनकी पहचान बन कर रह जाती है
इसी तरह, महान मुजाहिद, गोरिल्ला कमांडर और शानदार सेनापति Sultan Salahuddin Ayyubi रहमतुल्लाह अलैह अपने कारनामों की वजह से बहादुरी और साहस का प्रतीक बन गए। जब भी कहीं दिलेरी और बहादुरी की बात होती है, तो तुरंत Sultan Salahuddin Ayyubi का नाम याद आता है।
यह जनवरी 930 की बात है जब मक्का में एक ऐसी घटना घटी जिसने उस समय की पूरी मुस्लिम दुनिया को हिलाकर रख दिया। जब एक समूह ने मक्का में प्रवेश किया और काबा से Hajre Aswad को उखाड़ लिया, जिसे मुसलमान पवित्र मानते हैं। हालाँकि, यह समूह Hajre Aswad को अपने साथ ले गया और अगले 22 वर्षों तक वापस नहीं लौट सका। येवो वक्त था जब अब्बासी खिलाफात आंतरिक इख्तिलाफ़ से जूझ रही थी
Hajre Aswad 22 Saal Ke Liye Kaha Gayab Ho Gaya Tha
इस्लाम के दुश्मन खास तौर पर पश्चिमी दुनिया के लोग इस बात को लेकर हज़रत मुहम्मद ﷺ की शान में गुस्ताख़ी करते नज़र आते हैं। और आप ﷺ के पाकिज़ा किरदार को नज़रअंदाज़ करने की कोशिश करते हैं। इनकी देखा-देखी, आजकल हिंदुस्तान के कुछ तंग-ज़हन, इस्लाम मुखालिफ लोग भी इसे मुद्दा बनाकर मुसलमानों के जज़्बात को आहत करने की कोशिश कर रहे हैं।Shadi ke Waqt Hazrat Ayesha ki umar kitni thi
Age of Hazrat Ayesha
दोस्तो! ये कौन सा धर्म है? यह किस प्रकार की किताब है? मैं अपनी जिंदगी पर शर्त लगा सकता हूं कि यह किताब किसी इंसान द्वारा नहीं लिखी जा सकती। यह बिल्कुल असंभव है; इस किताब में लिखे हैं इतने बड़े खुलासे? मात्र तीन श्लोकों (आयतों) में हमें उस तकनीक के बारे में बताया गया है जिसे सीखने में मनुष्य को 3000 साल लग गए।
Quantum Teleport aur Takht e Bilqees: एक हैरान कर देने वाली रिसर्च
इस समय वतन अज़ीज़ हिंदुस्तान में 78वां यौम-ए-आज़ादी बड़े धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। लेकिन यह एक अफ़सोसनाक हक़ीक़त है कि आज के दिन लोग तहरीक-ए-आज़ादी में पसीना बहाने वालों को तो खूब याद करते हैं, लेकिन ख़ून बहाने वालों को भूल जाते हैं। यह एक मुस्लिम-उस्सबूत और नाक़ाबिल-ए-तर्दीद हक़ीक़त है कि हिंदुस्तान की आज़ादी उलेमा-ए-किराम के ही दम-ए-कदम से मुमकिन हुई है। आज हम आज़ादी की जिस खुशगवार फिज़ा में ज़िंदगी के लमहात गुज़ार रहे हैं, यह उलेमा-ए-हक़ के ही सरफरोशाना जज़्बात और मुजाहिदाना किरदार का नतीजा है।
Jung e Azadi mein Ulma e Kiram ka Kirdar
फिलिस्तीनी संगठन जब अमेरिका में इजराइल के साथ आम बातचीत कर रहा था, उसी समय यासर अराफात और इजराइल के बीच ओस्लो में बेहद गुप्त बातचीत हो रही थी। ये बातचीत डेढ़ साल तक 10 राजधानी में 14 दौरों तक सख्त गुप्तता में चली।
Oslo Peace Agreement 1993, 18 months of secret negotiations, and massacre of Palestinians, Hamas Movement in hindi
कर्बला के झूठे किस्से कर्बला की घटना को बयान करने में सबसे बड़ी कठिनाई यह थी कि हजरत सैयदना इमाम हुसैन रज़ि. के काफिले के बचे हुए लोगों में से किसी ने भी अपनी पूरी जिंदगी में इस घटना की पूरी जानकारी नहीं दी। अगर उन व्यक्तियों से कुछ आंशिक जानकारी मिली भी, तो वह ऐसी नहीं थी जो सबाई योजना को पूरा करने में सहायक साबित हो। इसलिए, इस त्रासदी को असाधारण रूप से बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने के लिए झूठ और अपमान पर आधारित ऐसे-ऐसे किस्से मशहूर किए गए कि अगर सबाई मानसिकता को ध्यान में रखते हुए सरसरी निगाह से भी उनका अध्ययन किया जाए, तो यह झूठ पूरी तरह उजागर हो जाता है।
जिस तरफ देखो शरीअत से खिलवाड़ का दौर-ए-दौरा है, जहाँ नज़र करो दीन के मुसल्मात से छेड़ छाड़ करने वाले नज़र आ रहे हैं और जिस तरफ़ तवज्जो करो उसी तरफ इज्मा-ए-उम्मत क्या इज्मा-ए-सहाबा तक को चैलेंज किया जा रहा है।
नाकाम शहज़ादे और दीन की सौदागरी
इस में, हम जाँच करेंगे कि “सभ्य पश्चिम” इस विषय पर क्या कहता है। उनका सामान्य जनसमूह, कानून, अध्ययन, सर्वेक्षण, जूरी सदस्य और यहाँ तक कि बलात्कारी भी।
क्या महिलाएं उत्तेजक कपड़े पहनकर यौन हिंसा और बलात्कार को आमंत्रित करती हैं?
अब तक फ्रांस और इटली जैसे यूरोपीय देशों से ही इस्लामी लिबास और शआर पर पाबंदी की खबरें सुनाई देती थीं, अब खुद को संस्कृति परस्त और लिबरल दिखाने के जुनून में मुस्लिम देश भी इस्लामी तालीमात पर पाबंदियां लगाने पर उतर आए हैं। यूरोप के बाद इस्लामिक देशों में इस्लामी रीति-रिवाजों पर प्रतिबंध क्यों लगाया जा रहा है?
1982 massacre and rape of Palestinians, release of 1145 prisoners in exchange for 3 ,1987 Intifada, Hamas movement in hindi
1982 में फिलिस्तीनियों का नरसंहार और बलात्कार, 3 के बदले 1145 कैदियों की रिहाई, 1987 इंतिफादा, हमास आंदोलन हिंदी में
Qur’an is about the universe, the earth and the sky, the depths of the sea, the Big Bang, the victory of the Romans and the lowest point on earth in Hindi
फिलिस्तीन के साथ अरबों की मक्कारी, विश्व युद्ध 1 और ब्रिटिश शासन
arab revolution, arab betrayal of Palestinians, British,WW1 and Ottoman Empire in hindi
यहाँ आकर हम यह कह सकते हैं कि फिलिस्तीन में बनी इस्राइल की पहली हुकूमत 995 ईसा पूर्व को क़ायम हुई थी, लेकिन गुज़िश्ता औराक से पता चलाता है कि बनी इस्राइल से बहुत पहले फिलिस्तीन पर कनानी और येबुसीयों ने अर्शे दराज़ से हुकूमत करते चले आ रहे थे, उनका ज़माना 2600 ईसा पूर्व का था, यह बहुत प्राचीन इतिहास है, इसमें और बनी इस्राइल की सल्तनत के क़ायम होने में 1600 साल का ज़माना है।
What is Haikal e Sulemani
तारीख़ ए फिलिस्तीन (किस्त 2)
अल-नुमान बिन साबित, जिन्हें आमतौर पर अबू हनीफ़ा के रूप में जाना जाता है, सुन्नी कानून की चार विद्यालयों में से एक के संस्थापक माने जाते हैं। वे अल-इमाम अल-अज़म (ग्रेट इमाम) और सिराज़ अल-आइम्मा (इमामों का दीपक) के रूप में व्यापक रूप से जाने जाते हैं।
मस्जिदे अक्सा का इतिहास
मस्जिद अल-अक्सा फ़िलिस्तीन के दारुलहुकूमत बैतुलमकदस में स्थित है। बैतुलमकदस को अल-कुदस भी कहा जाता है, और अल-कुदस को पश्चिमी शब्दों में यरुशलम कहा जाता है। इबरानी में अल-कुदस को यरुशलम कहा जाता है। इसका एक नाम इलिया भी है। इस्लाम से पहले इसे एक रोमी बादशाह ने इलिया रखा था।