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नसब नामा सूची (वंशावली)

हुज़ूर सरकार ए आलम ﷺ का नसब नामा (वंशावली)

प्राचीन मानव समाजों में वंश की पवित्रता और शुद्धता को व्यक्ति की पवित्रता और शुद्धता का प्रमाण माना जाता था। इस संदर्भ में प्राचीन अरब निवासी विशेष रूप से वंश और रिश्तेदारी के बारे में गहरी जानकारी रखते थे और इस आधार पर व्यक्तियों के गुण और दोष का निर्धारण भी करते थे। वे खून की शुद्धता और अच्छे वंश पर गर्व और अभिमान व्यक्त करते और वंश वृक्ष के संरक्षण और उसकी छानबीन का पूरा ध्यान रखते।

यह एक ऐतिहासिक सत्य है कि अरबों के अलावा किसी भी अन्य जाति ने वंश को इतनी गरिमा के साथ याद करने का प्रयास नहीं किया था।हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को जीवन के हर पहलू में मानवता के लिए सर्वश्रेष्ठ उदाहरण बनाकर भेजा गया है, इसलिए आपका वंश वृक्ष भी हर दृष्टि से बेहतरीन और अद्वितीय था। आपका वंश वृक्ष अपनी सत्यता, ईमानदारी, हमदर्दी और रहमदिली की विशेषताओं के लिए पूरे अरब प्रायद्वीप में प्रसिद्ध और अनूठा था, जिसका उल्लेख स्वयं नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने विभिन्न स्थानों पर किया है।

हुज़ूर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का संबंध हज़रत इस्माईल (अलैहि सलाम) की संतानों से था, जिन्हें सामान्यतः ‘बनू इस्माईल’ (इस्माईल अलैहि सलाम की संतान) कहा जाता है। हज़रत इस्माईल (अलैहि सलाम) की संतानों में एक पुत्र का नाम क़ीदार था, जिनकी संतानों में हज़रत अदनान प्रसिद्ध हुए, जो अरब के सभी अदनानी क़बीलों के प्रधान पूर्वज थे। नबी मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का संबंध भी अदनानियों की एक शाखा से था, जो ‘क़ुरैश’ के नाम से जानी जाती थी। यह शाखा फ़िहर बिन मालिक की संतानों से थी।

सिरत-लेखकों और वंशावली के विशेषज्ञों द्वारा इस बात की पुष्टि की गई है कि हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का वंश वृक्ष उनके प्रधान पूर्वज हज़रत अदनान तक अत्यंत ही सत्यता और सटीकता के साथ दर्ज है। हज़रत अदनान तक आपका वंश वृक्ष अपारंपरिक रूप से स्पष्ट है, जो बीस (20) पीढ़ियों के माध्यम से आप तक पहुँचता है।

पैगंबर मुहम्मद ﷺ का पिता की ओर से नसब

1.मुहम्मद ﷺ

2. इब्न अब्दुल्लाह

3. इब्न अब्दुल मुत्तलिब

4. इब्न हाशिम

5. इब्न अब्दे मनाफ

6. इब्न क़ुसय

7. इब्न किलाब

8. इब्न मुर्रा

9. इब्न काब

10. इब्न लुय्य

11. इब्न गालिब

12. इब्न फिहर

13. इब्न मालिक

14. इब्न अन-नज़र

15. इब्न क़िनाना

16. इब्न खुज़ैमा

17. इब्न मुर्दिका

18. इब्न इलियास

19. इब्न मुज़र

20. इब्न नज़ार

21. इब्न म'अद

22. इब्न अदनान

पैगंबर मुहम्मद ﷺ का माता की ओर से नसब

1. मुहम्मद ﷺ
2. इब्न आमिना
3. इब्न्ते वहब
4. इब्न अब्दे मनाफ
5. इब्न ज़हरा
6. इब्न किलाब
7. इब्न मुर्रा

पैगंबर मुहम्मद ﷺ के पिता और माता दोनों का नसब “किलाब इब्न मुर्रा” पर मिल जाता है और आगे चलकर दोनों सिलसिले एक हो जाते हैं। “अदनान” तक आपका नसब सही प्रमाणों के साथ सभी इतिहासकारों के अनुसार सिद्ध है। इसके बाद के नामों में बहुत भिन्नता है और जब भी पैगंबर मुहम्मद ﷺ अपना नसब बयान करते तो “अदनान” तक ही जिक्र करते थे।

पैगंबर मुहम्मद ﷺ के नसब की फजीलत (महानता)

हज़रत मुत्तलिब बिन अबू वदाअह से रिवायत है: हज़रत अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु पैगंबर मुहम्मद ﷺ की सेवा में हाज़िर हुए और कहा: “कुरैश ने अपने अपने नसब (वंश) का जिक्र करते हुए आपकी मिसाल ऐसे दी है जैसे कोई खजूर का पेड़ किसी टीले पर हो।” इस पर पैगंबर मुहम्मद ﷺ ने फरमाया:

"अल्लाह ने मख़लूक़ात को पैदा किया और मुझे उनके बेहतरीन हिस्से में रखा, फिर उन्हें दो हिस्सों (अरब और अजम) में बांटा और उनमें से बेहतरीन हिस्से (अरब) में मुझे पैदा किया। फिर अल्लाह ने इस हिस्से के कबीलों को चुना और मुझे बेहतरीन कबीले (कुरैश) में रखा और फिर इस बेहतरीन कबीले के घरानों को चुना तो मुझे बेहतरीन घर और नसब (बनु हाशिम) में पैदा किया।" 

हज़रत अब्बास इब्न अब्दुल मुत्तलिब रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है:

"अल्लाह ने मखलूक़ात को पैदा किया और उनमें से इब्राहीम अ.स. की नस्ल को चुना, इब्राहीम अ.स. की नस्ल में से इस्माइल अ.स. को, इस्माइल अ.स. की नस्ल में से बनु क़िनाना को, बनु क़िनाना में से कुरैश को, कुरैश में से बनु हाशिम को, और बनु हाशिम में से मुझे (मुहम्मद ﷺ) को चुना।"

हज़रत वासिला बिन अस्का रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि हुज़ूर रहमत-ए-आलम ﷺ ने फ़रमाया:

"बेशक रब-ए-कायनात ने इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) की औलाद में से इस्माईल (अलैहिस्सलाम) को मुंतखब (चुना) फरमाया, और इस्माईल (अलैहिस्सलाम) की औलाद में से बनी किनाना को, और औलाद-ए-किनाना में से क़ुरैश को, और क़ुरैश में से बनी हाशिम को, और बनी हाशिम में से मुझे शरफ़-ए-इंतिखाब (चुनने का सम्मान) अता फरमाया और पसंद फरमाया।"

हज़रत मुतलिब बिन अबी वदाअह से मरवी ह

हज़रत अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की खिदमत में हाज़िर हुए, (उस समय उनकी हालत ऐसी थी) जैसे उन्होंने (हुज़ूर नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बारे में काफिरों से) कुछ नाज़ेबा (आपत्तिजनक) अल्फाज़ सुन रखे थे, तो हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मिंबर पर तशरीफ़ फरमा हुए और फरमाया: "मैं कौन हूँ?" सब ने अर्ज़ किया: "आप पर सलाम हो, आप अल्लाह के रसूल हैं।" आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया: "मैं अब्दुल्लाह का बेटा मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) हूँ। अल्लाह तआला ने मखलूक को पैदा किया और उस मखलूक में से बेहतरीन गिरोह (इंसान) के अंदर मुझे पैदा किया, फिर उसे दो गिरोह (अरब और अजम) में तक़्सीम किया और उनमें से बेहतरीन गिरोह (अरब) में मुझे पैदा किया। फिर अल्लाह तआला ने इस हिस्से के कबीलों को बनाया और उनमें से बेहतरीन कबीला (कुरैश) के अंदर मुझे पैदा किया और फिर इस बेहतरीन कबीला के घरों को बनाया, तो मुझे बेहतरीन घर और नसब (बनु हाशिम) में पैदा किया।

"(तिर्मिज़ी, अल-जामे अस-सहीह, किताब अद-दुआवात, 5:543, हदीस नं. 3532)

हज़रत मुहम्मद (ﷺ) का वंश वृक्ष स्पष्टीकरण के साथ

  1. मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तस्लीमन कसीरा)
  2. अब्दुल्लाह (आम अल-फील से 25 साल पहले पैदा हुए)
  3. हाशिम (इनका नाम अम्रुल अल्लाह है, इनकी माँ का नाम आतिका बिन्त मुर्रा बिन हिलाल बिन फालिज बिन जक्वान है)
  4. अब्दुल मुत्तलिब (इनका नाम शैबतुल हम्द था, जब ये पैदा हुए तो इनके सर में सफेदी थी। इनके चाचा मुत्तलिब जब इन्हें मक्का में लाए तो कुरैश के लोगों ने पूछा: ये कौन हैं? इनके चाचा ने जवाब दिया “अब्दी”। यही से इन्हें अब्दुल मुत्तलिब कहा जाने लगा। जब आका (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की उम्र मुबारक आठ साल थी तो उनका विसाल हुआ। उनकी औलाद में (1) अब्बास बिन अब्दुल मुत्तलिब, (2) हारिस बिन अब्दुल मुत्तलिब, (3) अबू तालिब बिन अब्दुल मुत्तलिब, (4) अबू लहब बिन अब्दुल मुत्तलिब)
  5. अब्द मुनाफ (इनका नाम मुगीरा है, इनकी खूबसूरती की वजह से इन्हें “क़मर अल-बतहा” भी कहा जाता है, इनकी वालिदा का नाम हब्बी बिन्त हुलैल बिन हबशिया बिन सलूल बिन कब बिन खुजाआ है। इनकी औलाद में (1) मुत्तलिब बिन अब्द मुनाफ (इमाम शाफई इसी सिलसिले से हैं), (2) नौफल बिन अब्द मुनाफ, (3) अब्द शम्स बिन अब्द मुनाफ (इनसे बनू उमय्या हैं
  6. क़ुसै (इनका नाम ज़ै है और इनकी माँ का नाम आतिका बिन्त हिलाल है। इनकी औलाद में (1) अब्दुल उज़्ज़ा बिन क़ुसै, (2) अब्दुद्दार बिन क़ुसै)
  7. किलाब (इनका नाम हकीम है, इनकी माँ का नाम हिंद बिन्त सुरैर बिन थालबा है और इनके दो बेटे हैं कुसै और ज़हरा)
  8. मुर्रा (इनकी कुनीत अबू यक्ज़ा है और इनकी माँ का नाम मख्शिया बिन्त शैबान बिन मुहारिब बिन फिरह है)
  9. बिन काब (इनकी माँ का नाम माविया बिन्त काब बिन अल-क़ैन अल-क़ुदाईया है। इनके तीन बेटे हैं, मुर्रा, हुसीस और अदी)
  10. लुई (इनकी कुनीत अबू काब है। इनके सात बेटे हैं, काब, आमिर, सामा, खुज़ैमा, साद, हारिस और औफ। इनकी माँ का नाम आतिका बिन्त यखलद है और यह भी कहा जाता है कि इनकी माँ का नाम सलमा बिन्त हारिस है)
  11. गालिब (इनकी माँ का नाम लैला बिन्त हारिस बिन तमीम बिन हुज़ैल बिन मुदरिका है। लुई और तैम इनके बेटे हैं)
  12. फिरह (इनकी माँ का नाम जंदला बिन्त आमिर बिन हारिस है)
  13. मालिक (इनकी कुनीत अबुल हारिस है और इनकी माँ का नाम आतिका है)
  14. नज़र (इनका नाम क़ैस है, इनकी माँ का नाम आतिका बिन्त अदवान बिन क़ैस बिन अम्र है)
  15. कनाना (इनकी माँ का नाम अवाना बिन्त साद बिन क़ैस बिन ऐलान बिन मुधर है। इनके बेटों के नाम मिल्कान, नज़र, उमर और आमिर हैं)
  16. ख़ुज़ैमा (इनकी कुनीत अबू असद है, इनकी माँ का नाम सलमा बिन्त असलम बिन अल-हाफ़ बिन क़ुदाईया है)
  17. मुदरिका (इनका नाम अम्र और कुनीत अबू हज़ैल है। यह भी कहा जाता है कि इनकी कुनीत अबू ख़ुज़ैमा है)
  18. इलयास (इनकी माँ का नाम रबाब बिन्त हिदा बिन माद बिन अदनान है और यह भी कहा जाता है कि इनकी माँ का नाम हनफ़ा बिन्त इयाद है)
  19. मुधर (इनका नाम अम्र और कुनीत अबुल इलयास है। इनकी माँ का नाम सौदा बिन्त अक्क बिन अदनान है)
  20. निज़ार (इनकी कुनीत अबू इयाद या अबू रबीआ है और इनकी माँ का नाम मुआना बिन्त जोशम है)
  21. माद (इनकी कुनीत अबू क़ुदाईया या अबू निज़ार है। इनकी माँ का नाम महद्दद बिन्त अल-लहम बिन हजब बिन जदिस है)
  22. अदनान (इनकी कुनीत अबू माद है और इनकी माँ का नाम बल्हा बिन्त यारब बिन क़हतान है)
  23. उड (इनकी माँ का नाम नाजजा बिन्त अम्र बिन तुब्ब है। इब्न हिशाम ने कहा कि उड ही उद्द है। इब्न हिशाम के मुताबिक शजरा इस तरह है, यानि उड बिन मक़ूम बिन नाहूर बिन तैरेह बिन यारुब बिन यश्जब बिन नाबित बिन इस्माईल है)
  24. उद्द (इनकी माँ का नाम हिया अल-क़हतानिया है)
  25. अल-यास बिन अल-हमीसा (इनकी माँ का नाम हारिसा बिन्त मर्दास बिन ज़ुरआ ज़ी रुयैन अल-हमियरी है)
  26. सलमान बिन नब्त (इनकी माँ का नाम हामा बिन्त ज़ैद बिन कहलान बिन सबा बिन यश्जुब बिन यारुब बिन क़हतान है)
  27. हमल बिन क़ैदार (इनकी माँ का नाम हाला बिन्त हारिस बिन मिदास अल-जुर्हमी है)
  28. इस्माईल (अलैहि सलाम) (आप ज़बीहुल्लाह हैं, आपकी माँ का नाम हज़रत हाजरा है)
  29. इब्राहीम ख़लीलुल्लाह (अलैहि सलाम) (आप अबुल-अंबिया हैं, आपकी माँ का नाम नोनार है। यह भी कहा जाता है कि आपकी माँ का नाम लियुथी है)
  30. तारह (आपकी माँ का नाम सलमा है)
  31. नाहूर बिन सारूघ (इनका नाम शारूख भी बताया गया है)
  32. जनाब अरगू
  33. काइन (इनका नाम फ़ालिग भी बताया गया है, क़ैस और यमन के उलेमा का इस बात पर इत्तेफाक़ है कि यह हूद (अलैहि सलाम) हैं)
  34. आबर (इनका नाम ऐबर भी बताया गया है, यह पूरे यमन के जद अमजद हैं। इनकी तरफ़ मंसूब वाले कबीलों में अल-अज़द, ख़सअम, बज़ीला, हमदान, अल्हान, अशआर, तय्यी, मज़हिज, ख़ुलान, माफ़िर, आमिला, जुज़ाम, लहम, किन्दा और हेमयर शामिल हैं)
  35. शालख़ (इमाम सुहैली ने कहा कि इसका मतलब रसूल या वकील होता है)
  36. अरफ़ख़शद
  37. साम
  38. नूह (अलैहि सलाम) (इमाम नववी ने कहा कि यह अजमी नाम है, और यह भी कहा गया कि यह अरबी है और नाहा यनूह नूहा व नीयाह से माखूज़ है)
  39. लमक (इनका नाम लामक भी बताया गया है, इसका मतलब है मुतवाज़े)
  40. मुतुशलख़ बिन अखनूख (इनका नाम ख़नूख भी बताया गया है)
  41. यारद (इनका नाम यारद भी बताया गया है)
  42. महलायील बिन क़यिनान (इनका नाम क़िनन भी बताया गया है)
  43. अनूश (इनका नाम यानश भी कहा गया है)
  44. शीस (अलैहि सलाम)
  45. आदम (अलैहि सलाम) (अबुल बशर और ज़मीन में अल्लाह के खलीफ़ा हैं और दुनिया के पहले इन्सान हैं)

पैग़म्बर-ए-इस्लाम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के वंश का यह सिलसिला यहूदी और ईसाई धर्मग्रंथों में भी मिलता है, और प्राचीन अरब के कवियों की कविताओं से भी इसकी पुष्टि होती है। इसके अलावा, इस वंश की पुष्टि अरब क़बीलों के लोगों के एक बड़े समूह ने भी की है, जो वंशावली के क्षेत्र में असली विशेषज्ञ और इस कला के वास्तविक ध्वजवाहक थे। इमाम अल-सुहारी अल-औतबी के कथन के अनुसार, वंशावली को तभी मान्य माना जाता है जब वह शासकों के पास संरक्षित दस्तावेजों, उनके कार्यों और प्राचीन लोगों की कविताओं से साबित हो, जैसा कि यमन के लोगों का तरीका था।

उपरोक्त प्रमाणों से यह स्पष्ट हो जाता है कि हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का वंश सभी मानवों में सबसे अधिक संरक्षित और प्रामाणिक है। इसके अलावा, इस बात की भी पुष्टि हो जाती है कि हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) हज़रत इब्राहीम (अलैहि सलाम) की संतान थे, और उनके पुत्र इस्माईल (अलैहि सलाम) की संतान में से हज़रत अदनान के परिवार से संबंध रखते थे। हालांकि, इस्माईल (अलैहि सलाम) और हज़रत अदनान के बीच नामों और संतानों की संख्या में अब भी मतभेद है, लेकिन इस बात पर इतिहासकारों और विद्वानों का सहमति है और अरब में यह बात प्रसिद्ध है कि हज़रत अदनान अब्राहीमी वंश के एक सम्मानित व्यक्ति थे। हज़रत अदनान की संताने ज्यादातर उत्तरी अरब में निवास करती थीं, जिनमें थकीफ, तमीम, किनाना और विशेष रूप से क़ुरैश जैसे प्रसिद्ध क़बीले शामिल हैं।

इस प्रकार, पैगंबर मुहम्मद ﷺ का नसब (वंशावली) अल्लाह द्वारा चुनी गई सबसे बेहतरीन वंशावली है।


पैगंबर मुहम्मद () के वंश की महानता और प्रतिष्ठा

अंबिया-ए-किराम का ताल्लुक़ हमेशा उच्च परिवारों और पाक वंशों से रहा है। जाफ़र बिन अबू तालिब ने हबशी बादशाह नजाशी के साथ अपनी बातचीत में इसका उल्लेख किया था। उन्होंने पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) पर ईमान लाने की एक वजह बताते हुए कहा था: “अल्लाह ने हमारे बीच एक ऐसा रसूल भेजा जिसका वंश, सच्चाई, अमानतदारी और पाकीजगी को हम जानते हैं।”

अरब समाज में यह आम बात थी कि जो व्यक्ति भी किसी पद या महत्ता का दावा करता था, उसे सबसे पहले अपना वंश और शजरा लोगों के सामने स्पष्ट करना होता था, जिससे उसकी शख्सियत का अंदाजा लगाया जाता था। शायद इसी वजह से पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने अपने वंश की महानता और प्रतिष्ठा के बारे में खुद भी फरमाया: “अल्लाह ने बनी इस्माईल में से किनाना को चुना, फिर किनाना में से कुरैश को चुना, फिर कुरैश में से बनू हाशिम को चुना, फिर बनू हाशिम में से मुझे चुना।”

यानी मैं (मुहम्मद) अपने वंश के लिहाज से उच्च हूँ और अरबों के श्रेष्ठ परिवार से ताल्लुक रखता हूँ।

आपके तमाम पूर्वज अपनी कौमों में चरित्र, प्रतिष्ठा और तक़्वा में सबसे बेहतर थे। हज़रत अली बयान करते हैं कि रसूल अल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने अपना वंश बताते हुए फरमाया कि “तमाम नस्लों में मेरे तमाम पूर्वजों ने सिर्फ़ शरीअत के अनुसार निकाह से अपने संबंध स्थापित किए हैं। आदम से लेकर अब्दुल्लाह तक इनमें से किसी ने भी बदकारी, ज़ना या किसी और प्रकार का नाजायज फ़ेल या संबंध नहीं किया।”

पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने इस बात की पुष्टि की कि आपकी कौम, कबीला, खानदान और घर सभी मखलूकात में बेहतरीन हैं। इमाम तिर्मिज़ी ने पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का यह कथन नक़ल किया है “अल्लाह ने मखलूक को पैदा किया, फिर मुझे उनमें से बेहतरीन ग्रुप में रखा। फिर उनको दो ग्रुपों में बाँटा, फिर मुझे उनमें से बेहतरीन ग्रुप में रखा। फिर उनको कबीलों की शक्ल दी, फिर मुझे उनमें से बेहतरीन कबीले में रखा। फिर उनको खानदानों की शक्ल दी, और मुझे उनमें से बेहतरीन खानदान में रखा। फिर उसने मुझे रिश्तेदारी और नसब में उनमें सबसे बेहतर रखा।”

उपरोक्त हदीस इस हक़ीक़त पर रोशनी डालती है कि हज़रत मुहम्मद के वंश में तमाम पूर्वज अपने दौर के तौहीद परस्त, मोमिन और अज़ीम इंसान थे। इसकी ताइद इमाम ज़रकानी ने भी एक रिवायत नक़ल करते हुए की है जिसमें कहा गया है कि “नबी हमेशा पाक मर्दों से पाक औरतों के रहमों में मुंतक़िल होते रहे।”

क़ाज़ी अयाज़ इस हदीस की मजीद वज़ाहत करते हुए फरमाते हैं कि नबी का नूर हमेशा शरीफ और पाकीज़ा इंसानों में रहता था। आप इब्न उमर से रिवायत नक़ल करते हैं कि जब आप ज़मीन पर तशरीफ लाए तो आपका नूर आदम की सुलब में मौजूद था। फिर कई नस्लें गुज़रने के बाद यह नूर सुलब-ए-इदरिस तक पहुँचा और फिर सुलब-ए-नूह तक पहुँचा। नूह से यह साम में मुंतक़िल हुआ और फिर इब्राहीम तक पहुँचा। इस नूर ने हर नस्ल और ज़माने में पाक पुश्तों और पाकीज़ा रहमों के जरिए अपना सफर जारी रखा।

इस तरह मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का यह नूर आदम-ओ-हव्वा से अब्दुल्लाह और आमिना तक पहुँचा। यह इस बात की गवाही है कि रसूल अल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के तमाम पूर्वज अपने वक्त के बुज़ुर्ग और मोअज्ज़ज तरीन लोग थे। उनकी शराफ़त और बुज़ुर्गी की वजह से आस-पास के लोग उनकी इज़्ज़त करते थे।

हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के वंश की महानता और प्रतिष्ठा अरब में इस क़दर मशहूर और मआरोफ थी कि मुखालिफ़ीन ने भी इसकी महानता को तस्लीम किया। इस्लाम कुबूल करने से पहले हज़रत अबू सुफ़ियान बिन हरब ने रूमी शहनशाह हेरक्ल के दरबार में इस बात का इक़रार किया था कि मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) उनमें सबसे मोअज्ज़ हैं। हरकुल ने हज़रत अबू सुफ़ियान बिन हरब से रसूल अल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के वंश के बारे में पूछा तो उन्होंने जवाब दिया कि मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) पाकीज़ा और बेहतरीन नसब वाले हैं। रिवायत है कि हेरक्ल ने अबू सुफ़ियान से रसूल अल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के बारे में बहुत से सवालात किए थे। जब उसने अबू सुफ़ियान के तमाम जवाबात सुन लिए तो उसने तमाम सवाल-ओ-जवाब पर तब्सिरा किया और हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के वंश के बारे में फरमाया:

“बेशक! मैंने तुमसे उनके नसब के बारे में इसलिए पूछा था क्योंकि मेरा ख्याल था कि वे नसब में सबसे ज़्यादा बुज़ुर्ग-ओ-बरतर होंगे और यह इसलिए था क्योंकि अंबिया कौम के मोअज्ज़ज़ तरीन लोगों में (से) भेजे जाते हैं।”

हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का एक और मुखालिफ़ उत्बा बिन रबीआ, जो कबीला कुरैश के नामवर सरदारों में से एक था, उसे जब कुरैश की तरफ से इस्लाम की दावत के इब्तेदाई मरहले में भेजा गया तो उसने इस्लाम की दावत को छोड़ने के बदले में हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को मुतअद्दिद पेशकशें कीं। जब वह रसूल अल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के पास पहुँचा और गुफ्तगू शुरू की तो उसने भी इस हक़ीक़त को तस्लीम किया कि बिला शुबहा मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) कुरैश में अपने हिसाब, नसब और किरदार के ऐतबार से बुज़ुर्गी वाले हैं।

संदर्भ/हवाला

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उनके पिता मारे गए, तो हजरत अबू हुज़ैफा रज़ीअल्लाहु अन्हु का चेहरा उदास देखकर पैगंबर…
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Mansa Musa Full History in Hindi

मानसा मूसा (Mansa Musa) या माली के मूसा प्रथम को दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति…
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Adam to Muhammad Family Tree in hindi

Jung e Azadi mein Ulma e Kiram ka Kirdar

इस समय वतन अज़ीज़ हिंदुस्तान में 78वां यौम-ए-आज़ादी बड़े धूमधाम के साथ मनाया जा रहा…
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Gaus e Azam Huzur Gaus e Azam History in hindi

Huzur Gaus e Azam History in hindi

Huzur Gaus e Azam History आपका जन्म, आपकी पढ़ाई, आपके दौर के बादशाह, बादशाहों को हुक्म,…
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