Tailbone in Islam
इंसानी “पुछिया” (tailbone)के बारे में इस्लाम का अद्भुत चमत्कार
Table of Contents
पहले आपको ये बताते हैं के science Tailbone के बारे में क्या कहती है
Tailbone के बारे में विज्ञान क्या कहता है
Tailbone के बारे में खोज आधुनिक विज्ञान ने 1931 में की
1) पुछिया (कॉक्सिक्स) आपकी रीढ़ की आखिरी हड्डी है।
2) यह शरीर का एकमात्र हिस्सा है जो हादसे नष्ट,नाश और ख़त्म नहीं हो सकता। यह हाई तापमान के में भी जलाकर खत्म नहीं किया जा सकता।
3) बच्चे के अंदर सबसे पहले बनने वाली चीजें “primitive streak” और “node” होती हैं, जिससे बच्चे का पूरा शरीर उत्पन्न होता है और कोशिकाएं बनने लगती हैं। दोनों बाद में “tailbone” में बदल जाते हैं।
4) पुछिया शरीर के लिए मां कोशिका की तरह है। जिस से पूरा शरीर बनता है
5) पश्चिमी वैज्ञानिकों में पहला व्यक्ति जिन्होंने tailbone के रहस्य को खोजा था वो एक जर्मन के रहने वाले थे जिनका नाम हैंस श्पेमन (जन्म 1869 ई०, मृत्यु 1941 ई०) जो जर्मनी के फ्राइबर्ग इम ब्राइसगौ, जर्मनी के यूनिवर्सिटी में काम करते थे। उन्होंने “primitive streak” और node को “primary organizer” कहा, उन्होंने स्पष्ट रूप से सुझाव दिया है कि पुछिया इन्सान के बनने का मैन हिस्सा होती है।
6) कई प्रयोगों के बाद, उन्होंने निर्धारित किया कि primary organizer को कोई ऐसी चीज नहीं है जो प्रभावित हो सकती हो और इसको नष्ट नहीं किया जा सकता है।
7) हांस श्पेमन को इस खोज के लिए 1935 में “नोबल पुरस्कार” प्रदान किया गया।
Tailbone के बारे में इस्लाम क्या कहता है
आईए यहां से जानते हैं की हमारे हुजूर ने इसके बारे में क्या फ़रमाया
1450 साल पहले हुजूर मुहम्मद सल्ललाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया, “औलाद ए आदम (अलैहिस्सलाम) का जिस्म सड़ गल जाएगा, और फ़रमाया के तमाम इंसानों के जिस्म को ज़मीन खा जायेगी सिर्फ़ कॉक्सिक्स ( tailbone) (पुछिया) को छोड़कर। उससे अल्लाह ने इंसास को तखलीक (निर्माण) किया और उसी से फीर से दोबारा इन्सान को बनाएगा (पुनर्निर्माण)।” यह हदीसें सहीह बुखारी और मुस्लिम में मिलती हैं।
أَخْبَرَنَا قُتَيْبَةُ، عَنْ مَالِكٍ، وَمُغِيرَةَ، عَنْ أَبِي الزِّنَادِ، عَنِ الأَعْرَجِ، عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ، قَالَ قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم “ كُلُّ بَنِي آدَمَ – وَفِي حَدِيثِ مُغِيرَةَ كُلُّ ابْنِ آدَمَ – يَأْكُلُهُ التُّرَابُ إِلاَّ عَجْبَ الذَّنَبِ مِنْهُ خُلِقَ وَفِيهِ يُرَكَّبُ ” .
अनुवाद “अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया, ‘आदम के सभी पुत्रों (मनुष्यों) को मिट्टी खा जाती है, लेकिन पूंछ की हड्डी (अज्ब-उज़-ज़नब) नहीं, उसी से इंसान बनाया गया और उसी से उसे दोबारा उठाया जाएगा।'”
وَحَدَّثَنَا قُتَيْبَةُ بْنُ سَعِيدٍ، حَدَّثَنَا الْمُغِيرَةُ، – يَعْنِي الْحِزَامِيَّ – عَنْ أَبِي الزِّنَادِ، عَنِ الأَعْرَجِ، عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ، أَنَّ رَسُولَ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم قَالَ “ كُلُّ ابْنِ آدَمَ يَأْكُلُهُ التُّرَابُ إِلاَّ عَجْبَ الذَّنَبِ مِنْهُ خُلِقَ وَفِيهِ يُرَكَّبُ ” .
अनुवाद “अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया, ‘आदम के सभी पुत्रों (मनुष्यों) को मिट्टी खा जाती है, लेकिन पूंछ की हड्डी (अज्ब-उज़-ज़नब) नहीं, उसी से इंसान बनाया गया और उसी से उसे दोबारा उठाया जाएगा।’
حَدَّثَنَا أَبُو كُرَيْبٍ، مُحَمَّدُ بْنُ الْعَلاَءِ حَدَّثَنَا أَبُو مُعَاوِيَةَ، عَنِ الأَعْمَشِ، عَنْ أَبِي صَالِحٍ، عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ، قَالَ قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم ” مَا بَيْنَ النَّفْخَتَيْنِ أَرْبَعُونَ ” . قَالُوا يَا أَبَا هُرَيْرَةَ أَرْبَعُونَ يَوْمًا قَالَ أَبَيْتُ . قَالُوا أَرْبَعُونَ شَهْرًا قَالَ أَبَيْتُ . قَالُوا أَرْبَعُونَ سَنَةً قَالَ أَبَيْتُ ” ثُمَّ يُنْزِلُ اللَّهُ مِنَ السَّمَاءِ مَاءً فَيَنْبُتُونَ كَمَا يَنْبُتُ الْبَقْلُ ” . قَالَ ” وَلَيْسَ مِنَ الإِنْسَانِ شَىْءٌ إِلاَّ يَبْلَى إِلاَّ عَظْمًا وَاحِدًا وَهُوَ عَجْبُ الذَّنَبِ وَمِنْهُ يُرَكَّبُ الْخَلْقُ يَوْمَ الْقِيَامَةِ ” .
अनुवाद “अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया, ‘दो बार की फूँक (क़ियामत के दिन) के बीच चालीस का अंतराल होगा।’ लोगों ने पूछा, ‘ए अबू हुरैरा! क्या यह चालीस दिन होंगे?’ उन्होंने कहा, ‘मैंने इंकार किया (बताने से)।’ उन्होंने पूछा, ‘चालीस महीने?’ उन्होंने कहा, ‘मैंने इंकार किया।’ उन्होंने पूछा, ‘चालीस साल?’ उन्होंने कहा, ‘मैंने इंकार किया।’ फिर रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया, ‘फिर अल्लाह आसमान से पानी बरसाएगा और लोग इस तरह उगेंगे जैसे सब्ज़ियाँ उगती हैं।’ और रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया, ‘मनुष्य का कोई भी हिस्सा गल जाएगा सिवाय एक हड्डी के, और वह है पूंछ की हड्डी (अज्ब-उज़-ज़नब), और इसी से क़ियामत के दिन इंसान की फिर से रचना की जाएगी।’
حَدَّثَنِي مُحَمَّدٌ، أَخْبَرَنَا أَبُو مُعَاوِيَةَ، عَنِ الأَعْمَشِ، عَنْ أَبِي صَالِحٍ، عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ ـ رضى الله عنه ـ قَالَ قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم ” مَا بَيْنَ النَّفْخَتَيْنِ أَرْبَعُونَ ”. قَالَ أَرْبَعُونَ يَوْمًا قَالَ أَبَيْتُ. قَالَ أَرْبَعُونَ شَهْرًا قَالَ أَبَيْتُ. قَالَ أَرْبَعُونَ سَنَةً قَالَ أَبَيْتُ. قَالَ ” ثُمَّ يُنْزِلُ اللَّهُ مِنَ السَّمَاءِ مَاءً. فَيَنْبُتُونَ كَمَا يَنْبُتُ الْبَقْلُ لَيْسَ مِنَ الإِنْسَانِ شَىْءٌ إِلاَّ يَبْلَى إِلاَّ عَظْمًا وَاحِدًا وَهْوَ عَجْبُ الذَّنَبِ، وَمِنْهُ يُرَكَّبُ الْخَلْقُ يَوْمَ الْقِيَامَةِ ”.
अनुवाद“अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया, ‘दो बार की फूँक (क़ियामत के दिन) के बीच चालीस का अंतराल होगा।’ (अबू हुरैरा से) पूछा गया, ‘क्या यह चालीस दिन होंगे?’ उन्होंने कहा, ‘मैंने बताने से इंकार किया।’ (फिर) पूछा गया, ‘चालीस महीने?’ उन्होंने कहा, ‘मैंने बताने से इंकार किया।’ (फिर) पूछा गया, ‘चालीस साल?’ उन्होंने कहा, ‘मैंने बताने से इंकार किया।’ फिर रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया, ‘फिर अल्लाह आसमान से पानी बरसाएगा और लोग इस तरह उगेंगे जैसे सब्ज़ियाँ उगती हैं।’ और रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया, ‘मनुष्य का कोई भी हिस्सा नहीं बचेगा सिवाय एक हड्डी के, और वह है पूंछ की हड्डी (अज्ब-उज़-ज़नब), और उसी से क़ियामत के दिन इंसान की फिर से रचना की जाएगी।’
حَدَّثَنَا عُمَرُ بْنُ حَفْصٍ، حَدَّثَنَا أَبِي قَالَ، حَدَّثَنَا الأَعْمَشُ، قَالَ سَمِعْتُ أَبَا صَالِحٍ، قَالَ سَمِعْتُ أَبَا هُرَيْرَةَ، عَنِ النَّبِيِّ صلى الله عليه وسلم قَالَ “ بَيْنَ النَّفْخَتَيْنِ أَرْبَعُونَ ”. قَالُوا يَا أَبَا هُرَيْرَةَ أَرْبَعُونَ يَوْمًا قَالَ أَبَيْتُ. قَالَ أَرْبَعُونَ سَنَةً قَالَ أَبَيْتُ. قَالَ أَرْبَعُونَ شَهْرًا. قَالَ أَبَيْتُ، وَيَبْلَى كُلُّ شَىْءٍ مِنَ الإِنْسَانِ إِلاَّ عَجْبَ ذَنَبِهِ، فِيهِ يُرَكَّبُ الْخَلْقُ.
अनुवाद “अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया, ‘दो बार की फूँक (क़ियामत के दिन) के बीच चालीस का अंतराल होगा।’ लोगों ने पूछा, ‘ए अबू हुरैरा! क्या यह चालीस दिन होंगे?’ उन्होंने कहा, ‘मैंने बताने से इंकार किया।’ उन्होंने पूछा, ‘चालीस साल?’ उन्होंने कहा, ‘मैंने बताने से इंकार किया।’ उन्होंने पूछा, ‘चालीस महीने?’ उन्होंने कहा, ‘मैंने बताने से इंकार किया।’ और नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया, ‘मनुष्य का हर हिस्सा गल जाएगा सिवाय पूंछ की हड्डी (अज्ब-उज़-ज़नब) के, और इसी में से इंसान की फिर से रचना की जाएगी।’
ये जी हदीसों को हमे पेश की हैं इन सब में वही एक बात का जिक्र है यानि इंसान की tailbone के अलावा इन्सान का पूरा जिस्म सड़ गल जाएगा और इसी से इन्सान मरने के बाद दोबारा से उठाया जाएगाइस तरह की बहुत सी रिवायतें हदीसों की किताबों में मिलती हैं
अब सोचिए, जब विज्ञान ने इस जानकारी को खोजा है, कि यह इंसान का निर्माण का स्थान है और यह किसी भी हाल में नष्ट नहीं होगा, तो उसका संदेश कि हम इस पुछिये से दूसरी दुनिया में उठाए जाएंगे, वह भी सत्य हो जाएगा, और इस का इंकार नहीं किया जा सकता क्योंकि जब हम इस से बन कर पैदा हो सकते हैं तो मरने के बाद फीर से इस से हमको बनाया जा सकता है।
हमारे आका मुहम्मद सल्लालाहू अलैहि वसल्लम पर दुरूद व सलाम हो, जो सबसे आला और सच्चे रसूल थे, जिन्होंने हमें सैकड़ों साल पहले इस अदृश्य की खबर दी थी!
अगर tailbone को जला दिया जाए तो?
अहदीस में जलाए जाने का कोई ज़िक्र नहीं किया गया है जैसा कि आज कल हड्डियां 1000 डिग्री सेल्सियस पर जलाई जाती हैं अगर उसमे tailbone जल जाती है तो
तो यहां ये कहा जा सकता है के अगर tailbone को जला दिया जाए तो अल्लाह ताअला पहले tailbone को बनाएगा फीर उस से इंसान को मरने के बाद फीर से पैदा किया जाएगा जैसा की वो पहली बार पैदा किए गए थे
واللہ اعلم باالصواب