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Shab e Barat Kya hai || Shab e Meraj

इस्लामी इतिहास में शब-ए-मेराज एक बहुत ही अहम और रहस्यमयी घटना है, जिसमें पैगंबर मुहम्मद (ﷺ) को जन्नत की यात्रा कराई गई थी। यह घटना हिजरी कैलेंडर के रजब महीने की 27वीं रात को हुई थी और इसे इस्लाम में बहुत पवित्र माना जाता है। इस रात पैगंबर (ﷺ) को मक्का से बैतुल मुकद्दस (अल-अक्सा मस्जिद) और फिर सातों आसमानों से होते हुए अल्लाह तक पहुंचाया गया।

इस्लामी स्रोतों में शब-ए-मेराज

शब-ए-मेराज का ज़िक्र क़ुरआन और हदीस में मिलता है। कुरआन में इसे “इसरा और मेराज” के रूप में उल्लेख किया गया है:

  • “पाक है वह (अल्लाह) जिसने अपने बंदे (मुहम्मद ﷺ) को एक रात मस्जिद-ए-हराम (काबा) से मस्जिद-ए-अक्सा (बैतुल मुकद्दस) तक सफर कराया, जिसकी बरकतों को हमने रखा है, ताकि हम उसे अपनी निशानियां दिखाएं। निश्चय ही वह सुनने और देखने वाला है।” (सूरह बनी इसराईल 17:1)

इस घटना का अधिक विस्तृत विवरण विभिन्न हदीसों में मिलता है, जिनमें बुखारी और मुस्लिम शरीफ की हदीसें प्रमुख हैं।

1. इसरा: मक्का से बैतुल मुकद्दस तक की यात्रा

  • रिवायतों के अनुसार, पैगंबर मुहम्मद (ﷺ) काबा के पास आराम कर रहे थे जब जिब्रईल (Gabriel) फ़रिश्ता उनके पास आए और उनका सीना खोला। फिर उन्हें ज़मज़म के पानी से धोया और हिकमत (बुद्धिमत्ता) और ईमान (आस्था) से भर दिया।
  • इसके बाद जिब्रईल (عليه السلام) उन्हें बुराक़ (एक दिव्य सवारी) पर बैठाकर बैतुल मुकद्दस (येरूशलेम में स्थित अल-अक्सा मस्जिद) ले गए। इस सफर को “इसरा” कहा जाता है। वहां पैगंबर (ﷺ) ने सभी पिछले नबियों – आदम, नूह, इब्राहीम, मूसा, ईसा (अलैहिस्सलाम) आदि के साथ नमाज अदा की।

2. मेराज: आसमानों की यात्रा

बैतुल मुकद्दस से पैगंबर (ﷺ) को जिब्रईल (عليه السلام) के साथ आसमानों की ओर ले जाया गया।

  • 1. पहला आसमान – यहाँ पैगंबर (ﷺ) की मुलाकात आदम (عليه السلام) से हुई।
  • 2. दूसरा आसमान – यहाँ उन्हें हजरत याह्या (John the Baptist) और हजरत ईसा (Jesus) (عليهم السلام) मिले।
  • 3. तीसरा आसमान – यहाँ हजरत यूसुफ (Joseph) (عليه السلام) से भेंट हुई, जिन्हें बेहद सुंदरता का वरदान दिया गया था।
  • 4. चौथा आसमान – यहाँ हजरत इदरीस (Enoch) (عليه السلام) से मुलाकात हुई।
  • 5. पांचवां आसमान – यहाँ हजरत हारून (Aaron) (عليه السلام) मिले।
  • 6. छठा आसमान – यहाँ हजरत मूसा (Moses) (عليه السلام) से भेंट हुई।
  • 7. सातवां आसमान – यहाँ हजरत इब्राहीम (Abraham) (عليه السلام) से मुलाकात हुई, जो बैत-उल-मामूर (स्वर्गीय काबा) के पास विराजमान थे।

3. सिदरतुल मुन्तहा और अल्लाह से मुलाकात

सातवें आसमान के बाद, पैगंबर (ﷺ) को सिदरतुल मुन्तहा तक ले जाया गया, जहाँ जिब्रईल (عليه السلام) ने कहा कि वे इससे आगे नहीं जा सकते। यहाँ से पैगंबर (ﷺ) अकेले आगे बढ़े और अल्लाह की निकटता में पहुंचे।

4. नमाज़ का तोहफा और उम्मत के लिए रहमत

इस मुलाकात में, अल्लाह ने पैगंबर (ﷺ) को उनकी उम्मत के लिए पचास वक़्त की नमाजों का आदेश दिया। जब वे लौट रहे थे, तो हजरत मूसा (عليه السلام) से मिले, जिन्होंने सलाह दी कि यह बोझ तुम्हारी उम्मत पर बहुत भारी होगा, और उन्हें अल्लाह से कम करने की विनती करनी चाहिए।

पैगंबर (ﷺ) बार-बार वापस गए, और अंततः नमाजों की संख्या पांच वक़्त कर दी गई, लेकिन अल्लाह ने कहा कि इनका इनाम पचास के बराबर ही मिलेगा।

शब-ए-मेराज की फ़ज़ीलत

  • 1. पांच वक्त की नमाज – यह पूरी उम्मत के लिए सबसे बड़ा उपहार था।
  • 2. ईमान की परीक्षा – यह घटना मुसलमानों के लिए ईमान की परीक्षा थी। जब पैगंबर (ﷺ) ने अपनी यात्रा का वर्णन किया, तो कुछ लोगों ने विश्वास किया, और कुछ ने इसे नकार दिया।
  • 3. अल्लाह की रहमत और संकेत – इस यात्रा में पैगंबर (ﷺ) को जन्नत और दोज़ख के दर्शन कराए गए, जिससे उम्मत को यह सीखने को मिला कि अच्छे और बुरे कर्मों का अंजाम क्या होगा।

शब-ए-मेराज कैसे मनाई जाती है?

इस्लामी देशों में इस रात को इबादत, नमाज, क़ुरआन की तिलावत और दुआओं के साथ गुजारा जाता है। कुछ लोग इस रात को विशेष दुआएं और तस्बीह पढ़ते हैं। हालांकि, यह जरूरी नहीं कि इस रात को कोई विशेष अनुष्ठान किया जाए, लेकिन इबादत और तौबा करना बहुत फायदेमंद माना जाता है।

निष्कर्ष

शब-ए-मेराज इस्लामी इतिहास की एक चमत्कारी और आध्यात्मिक घटना है, जो पैगंबर मुहम्मद (ﷺ) के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह न केवल मुसलमानों को अल्लाह की असीम शक्ति और दयालुता की याद दिलाती है, बल्कि हमें नमाज की अहमियत, अच्छाई का फल और बुराई के अंजाम का भी संदेश देती है।

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