Lawrence of Arabia: Who Broke the Unity of the Muslim Ummah in Hindi
लॉरेंस ऑफ अरेबिया एक बदनाम व्यक्ति था जिसने एक जासूस के रूप में मुस्लिम उम्माह को तोड़ने की साजिश रची।
‘मशाहिर ए आलम’ का अर्थ है दुनिया के प्रसिद्ध लोग इसमें न केवल नेक नाम बल्कि बदनाम लोग भी शामिल होते हैं। मशहूर लोगों में बुरे और अच्छे दोनों तरह के लोग होते हैं। किसी ने क्या खूब कहा है:
“हम तलबे शोहरत हैं हमें नंग से क्या काम,
बदनाम अगर होंगे तो क्या नाम न होगा?”
ऐसे ही कुख्यात लोगों में लॉरेंस ऑफ अरेबिया भी आता है, एक अंग्रेज जासूस जिसने अपने चालाकी भरे रूपों से अरबों और तुर्कों के बीच नफरत के बीज बोए और अंततः उस्मानी साम्राज्य को टुकड़ों में बांट दिया।
यहूदी मूल के लॉरेंस का असली नाम ‘लेफ्टिनेंट कर्नल थॉमस एडवर्ड लॉरेंस’ था, जो 1888 में पैदा हुआ था। यह कहानी बहुत पुरानी नहीं है। कहा जाता है कि वह अपनी माँ की अवैध संतान था, जैसे कि उसके पांच भाई भी थे।खुद लॉरेंस भी एक चरित्रहीन व्यक्ति था और कई तरह की अनैतिक गतिविधियों में लिप्त था।
छात्र जीवन से ही उसे क्रूसेड्स के इतिहास और पुरानी इमारतों में गहरी दिलचस्पी थी। पुरातत्व में डिग्री हासिल करने पर उसे जल्दी ही एक अधिकारी की नौकरी मिल गई।
इतिहास का अध्ययन करते हुए उसने अरबों और तुर्कों के पुराने मतभेदों को समझा और उसे यकीन हो गया कि उस्मानी साम्राज्य को खत्म करने का एकमात्र तरीका मुस्लिम देशों के बीच संघर्ष पैदा करना था।
इसी मिशन के लिए उसकी पहली पोस्टिंग बासरा में एक पुरानी पुल की मरम्मत के काम में हुई, जहां उसने मुसलमानों के महत्वपूर्ण रहस्यों को अंग्रेजों तक पहुंचाना शुरू किया।
जल्द ही वायसराय ने उसे बुलाकर उसे भेष बदलकर अरबों के बीच भेजा और तुर्की शासकों के खिलाफ भड़काने का काम सौंपा। अब वह केवल ‘लॉरेंस’ नहीं था, बल्कि ‘लेफ्टिनेंट कर्नल थॉमस एडवर्ड लॉरेंस’ बन चुका था।
उसने केवल अरबों का रंग-रूप, लहजा और पहनावा ही नहीं अपनाया, बल्कि अरबी, फारसी, उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी समेत कई भाषाओं में महारत हासिल की।
उसकी प्रेमिका ‘गर्थरूड बेल’ भी उसी के साथ इस मिशन पर शामिल थी। उसने तुर्की और अरब के बीच महत्वपूर्ण रेलवे लाइन को धमाके से उड़ा दिया ताकि उनका जमीनी संपर्क टूट जाए।
बाद में उसने मक्का के गवर्नर ‘शरीफ हुसैन हाशमी’ को सत्ता का लालच देकर उस्मानी साम्राज्य के खिलाफ बगावत के लिए उकसाया। इस ‘डिवाइड एंड रूल’ पॉलिसी के कारण हाशमी के बाद सऊदी राजवंश की सत्ता की शुरुआत हुई, जो आज तक चली आ रही है।
हालांकि लॉरेंस अरब शासकों को उस्मानी साम्राज्य का बड़ा हिस्सा नहीं दिला सका, परंतु विश्व युद्ध ने उस्मानी साम्राज्य को टूटने का मौका दे दिया। उसने अरबों में यह विश्वास जमाने की पूरी कोशिश की कि वह एक सच्चा मुस्लिम और उनका शुभचिंतक है।
उसने अरबी रंग-ढंग, पोशाक और धार्मिक ज्ञान तक में महारत हासिल कर ली, जिससे कोई भी उसकी असली पहचान नहीं जान सका।
16 अगस्त 1888 को जन्मा लॉरेंस 1935 में एक मोटरसाइकिल दुर्घटना में मारा गया।
लॉरेंस की मौत के बाद 1962 में एक अंग्रेजी फिल्म ‘लॉरेंस ऑफ अरेबिया’ बनाई गई जिसमें उसे हीरो के रूप में दिखाया गया। हॉलिवुड के ऑस्कर विजेता एंथनी क्विन ने ‘अउदे अबू ताई’ का किरदार निभाया, जबकि एलेक गिनीज ने ‘शाह फैसल’ का।
इस फिल्म ने लॉरेंस को एक हीरो के रूप में प्रस्तुत किया, जो असल में एक जासूस और मुस्लिम दुश्मन था जिसने अपनी चालों से उस्मानी साम्राज्य को टुकड़े-टुकड़े कर दिया।