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Dua e Qunoot in Hindi || Dua Qunoot in Arabic

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Dua e Qunoot

Urdu, Hindi, Hinglish

दुआ इ क़ुनूत (Dua e Qunoot in Hindi, Arabic Hinglish With Tarjuma) हर रोज ईशा की नमाज़ में वीतर की तीसरी रकात में पढ़ ने वाली दुआ है।

दुआ-ए-क़ुनूत (دعاء القنوت) इस्लाम में एक महत्वपूर्ण दुआ है, जिसे विशेष रूप से वित्र की नमाज़ में पढ़ा जाता है।

यह दुआ अल्लाह से मदद, रहमत, हिदायत, और माफी मांगने का एक बेहतरीन ज़रिया है।

“क़ुनूत” का मतलब होता है आज्ञाकारिता, नम्रता, और अल्लाह के सामने खुद को पूरी तरह से समर्पित करना।

दुआ-ए-क़ुनूत के माध्यम से एक मुसलमान अपनी हर जरूरत, हिफाज़त और बरकत की दरख्वास्त अल्लाह से करता है।

Dua e Qunoot in Arabic

اَللَّهُمَّ إنا نَسْتَعِينُكَ وَنَسْتَغْفِرُكَ وَنُؤْمِنُ بِكَ وَنَتَوَكَّلُ عَلَيْكَ وَنُثْنِئْ عَلَيْكَ الخَيْرَ وَنَشْكُرُكَ وَلَا نَكْفُرُكَ وَنَخْلَعُ وَنَتْرُكُ مَنْ ئَّفْجُرُكَ اَللَّهُمَّ إِيَّاكَ نَعْبُدُ وَلَكَ نُصَلِّئ وَنَسْجُدُ وَإِلَيْكَ نَسْعأئ وَنَحْفِدُ وَنَرْجُو رَحْمَتَكَ وَنَخْشیٰ عَذَابَكَ إِنَّ عَذَابَكَ بِالكُفَّارِ مُلْحَقٌ

Dua e Qunoot in Hindi

अल्ला हुम्मा इन्ना नस्तईनुका व नास्तगफिरुका व नु’अ मिनु बिका व नतावक्कलु अलाइका वा नुस्नी अलैकल खैर
व नशकुरुक वला नकफुरुका व नख्लऊ व नतरुकु मैंय्यफ-जुरूक।
अल्ला हुम्मा इय्याका नअबुदु व लका नुसल्ली व नस्जुदु व इलैका नस्आ व नहफिज़ु व नरजू
रहमतका व नख्शा अज़ाबका इन्ना अज़ाबका बिल क़ुफ़्फ़ारि मुलहिक़

Dua e Qunoot in Hinglish

Allah humma inna nasta-eenoka wa nastaghfiruka wa nu’minu bika wa natawakkalu alaika wa nusni alaikal khair, wa nashkuruka wala nakfuruka wa nakhla-oo wa natruku mai yafjuruka, Allah humma iyyaka na’budu wa laka nusalli wa nasjud; wa ilaika nas aaa wa nahfizu wa narju rahma taka wa nakhshaa azaabaka; inna azaabaka bil kuffari mulhik.

तर्जुमा/अनुवाद/Translate हिंदी में

ऐ अल्लाह, हम तुझ से मदद चाहते हैं ! और तुझ से माफी मांगते हैं तुझ पर ही ईमान रखते हैं और तुझ पर ही भरोसा करते हैं, और तेरी बहुत अच्छी तारीफ करते हैं और तेरा शुक्र अदा करते हैं और तेरी ना सुकरी नहीं करते, और अलग करते हैं और छोड़ते हैं, उस शख्स को जो तेरी नाफरमानी करें।


ऐ अल्लाह, हम तेरी ही इबादत करते हैं और तेरे लिए ही नमाज़ पढ़ते हैं और सजदा करते हैं और तेरी तरफ दौड़ते और झपटते हैं और तेरी रहमत के हकदार हैं और तेरे आजाब़ से डरते हैं, और बेशक तेरा आजाब़ काफिरों को पहुंचने वाला है।

रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने अपने सहाबा को मुसीबत के समय और कठिनाइयों से निकलने के लिए यह दुआ पढ़ने की हिदायत दी। यह दुआ अल्लाह के सामने हमारी मजबूरी और ज़रूरत को पेश करने का एक खास तरीका है। दुआ ए क़ुनूत हमारे दिलों में अल्लाह की कुदरत और रहमत की भावना को बढ़ाती है और हमें यह याद दिलाती है कि हर मुश्किल वक्त में सिर्फ वही हमारी मदद कर सकता है। यह दुआ इबादत में एक गहरी आत्मीयता लाती है और हमें अल्लाह के करीब करती है

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