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Complete Ideal Road Map For Daughter Marriage

नौजवान बेटियों के पिता इसे गांठ बाँध लें कि रिश्ता तय करने से लेकर निकाह तक की प्रक्रिया क्या होनी चाहिए।

आपके घर में बेटी है?

यदि आप उनके वली हैं, तो अगली बार उनकी शादियों से जुड़े मामले में यह तरीका समझ लीजिए।

अगर बेटी की कोई पसंद न हो

यदि बेटी ने किसी को पसंद नहीं किया और अब सारी जिम्मेदारी आप पर है क्योंकि वह आपके चयन और अल्लाह की रज़ा में राज़ी है, तो इसका तरीका यह है:

1. पहला कदम आने वाले रिश्तों पर बेटी पर दबाव न डालें। पहले से ही ऐसी परवरिश करें कि उन्हें सही-गलत का फर्क पता हो। प्राथमिकता *शरीअत* और *चरित्र* को दें।

2. दूसरा कदम बेटियों को तमाशा न बनाएं। – यह गैर मुस्लिमों रिति-रिवाज है, इस्लामी नहीं। – मर्दों और औरतों को अलग-अलग बैठाएं। – लड़की से सिर्फ औरतें मिलें। – लड़का और लड़की एक-दूसरे को देखें और जरूरत पड़े तो बातचीत करें।

सबसे पहले, पिता या वली लड़के से अकेले में मिलें।

इस मुलाकात में:

  • 1. सीधे मुद्दे पर बात करें।
  • – इंसान की जिंदगी का मकसद क्या है?
  • – शादी का उद्देश्य क्या है?
  • – इस्लाम के प्रति कितनी संजीदगी है?
  • – कमाई कैसे होती है, हलाल-हराम का फर्क समझते हैं या नहीं?
  • – शादी कैसी करना चाहते हैं?
  • – जहेज का उम्मीदवार तो नहीं?
  • 2. व्यक्तिगत और सामाजिक सोच परखें।
  • – बच्चों की परवरिश में भूमिका क्या होगी?
  • – एक से अधिक शादी पर क्या विचार है?
  • – गुस्सा और असहमति में कैसे प्रतिक्रिया देते हैं?
  • 3. शादी के बाद बेटी की स्थिति क्या होगी?
  • – नान-नफका और रहने की जिम्मेदारी का एहसास है या नहीं?
  • – हक मेहर देने की क्षमता है या नहीं?

इन सवालों का हर जवाब सच्चा हो, यह जरूरी नहीं। यहाँ वली का समझदार, अनुभवशील और ज़हीन होना बहुत महत्वपूर्ण है।

अगर मुलाकात संतोषजनक हो

  • – इखलाक और शराफत से फैसला करें।
  • – लड़की और लड़के की आपसी मुलाकात करवाएं।
  • – निकाह में देरी न करें। दोनों परिवार आपस में मिलें।
  • – दोनों परिवारों की कैमिस्ट्री समझें।
  • – शादी के बाद के लिए अच्छी समझ बनाएं।
  • – सादगी से निकाह करवाएं।
  • – बेटियों को सही इस्लामी दिशा-निर्देश दें।

अगर वह किसी को पसंद करती है

तो जाहिर है कि आपने ही ऐसी परवरिश दी होगी कि वह बालिग होने पर किसी को पसंद करने का साहस कर सकें। आपकी नज़रंदाजी, बेतावज्जोेही रही होगी।

यह समय नाराज़ होने, डांटने-डपटने, अचानक सख्ती दिखाने या कहीं और तुरंत रिश्ता ढूंढकर जबरदस्ती शादी करने का नहीं है कि “इज्जत बच जाए।”

अल्लाह के बंदे, इज्जत बची हुई है, तभी तो बात आपके घर तक पहुंची है।

अपनी परवरिश और अल्लाह की ज़ात पर भरोसा रखिए। लड़के से मिलिए। यह नहीं कि पूरा परिवार बुला लें कि वह सीधे रिश्ता लेकर आए।

लड़के से कैसे मिलें?

फिलहाल वन-ऑन-वन मुलाकात रखें उस लड़के से जिसने आपकी बेटी का हाथ मांगा है। यदि लड़के में इतना आत्मविश्वास नहीं है कि वह आपसे अकेले मिल सके, तो उसे समय दीजिए ताकि वह लड़के के खोल से बाहर निकलकर पुरुष बन सके।

या फिर बेटी को समझाएं कि:

“बेटा, वह तो मुझे ही फेस करने को तैयार नहीं है, तुम्हें लेकर भविष्य में क्या करेगा?”

वली की जिम्मेदारी और मार्गदर्शन

आप वली हैं और शरीअत के मुताबिक आप उनका भला चाहते हैं। यह जिम्मेदारी अल्लाह ने आप पर सौंपी है।

लड़के से मुलाकात के दौरान

  • – इज्जत और शराफत से मिलें।
  • – न तो इतना घमंड दिखाएं कि पहले से ही दिमाग बना लें कि “इसकी औकात क्या है।” – और न ही इतने झुकें कि हर रेड फ्लैग इग्नोर कर दें।

आख़िरी ज़रूरी बातें

यदि किसी कारणवश शादी के बाद समस्या आती है तो

  • – इस्लामी तरीके से हल निकालें।
  • – बेटी की सुरक्षा को प्राथमिकता दें।
  • – ज़रूरत पड़े तो तलाक का सहारा लें, लेकिन बेटी की रज़ा के बिना कुछ न करें।
  • हर स्थिति में अल्लाह का शुक्र अदा करें और अल्लाह पर भरोसा रखें।

यह मार्गदर्शन उन लोगों के लिए है जिनकी जिंदगी का केंद्र अल्लाह और उसकी शरीअत हो

समाज में इस सोच को फैलाएं ताकि बेहतर परिवार और रिश्ते स्थापित हो सकें।

अल्लाह हम सबको हिदायत दे।

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