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Chand Ke Do Tukde Kisne Kiye The
Prophet Muhammad History in Hindi Part 19
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Seerat e Mustafa Qist 19
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अपने इन मज़ालिम और बदतर हरकतों के साथ-साथ ये लोग हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से मोज़िज़ात (चमत्कार) का मुतालिबा भी करते रहते थे।
एक रोज़ अबू जहल दूसरे सरदारों के साथ हज़रत नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास आया और बोला:
“ऐ मुहम्मद! अगर तुम सच्चे हो तो हमें चाँद के दो टुकड़े करके दिखाओ, वो भी इस तरह कि एक टुकड़ा अबू क़ुबैस पहाड़ पर नज़र आए और दूसरा क़ईक़आन पहाड़ पर नज़र आए।”
मतलब ये था कि दोनों टुकड़े काफ़ी फ़ासले पर हों ताकि इसके दो टुकड़े होने में कोई शक न रह जाए।
उस रोज़ महीने की चौदहवीं तारीख़ थी। चाँद पूरा था। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उनकी ये अजीब फ़रमाइश सुनकर फ़रमाया:
“अगर मैं ऐसा कर दिखाऊँ तो क्या तुम ईमान ले आओगे?”
उन्होंने एक ज़बान होकर कहा:
“हाँ! बिल्कुल! हम ईमान ले आएँगे।”
आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अल्लाह तआला से दुआ फ़रमाई कि आपके हाथ से ऐसा हो जाए। चुनांचे, चाँद फ़ौरन दो टुकड़े हो गया। उसका एक हिस्सा अबू क़ुबैस के पहाड़ के ऊपर नज़र आया और दूसरा क़ईक़आन पहाड़ पर। उस वक़्त नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया:
“लो, अब गवाही दो।”
लेकिन उनके दिलों पर तो क़ुफ़्ल (ताले) पड़े थे। कहने लगे:
“मुहम्मद ने हम लोगों की आँखों पर जादू कर दिया है।”
कुछ ने कहा:
“मुहम्मद ने चाँद पर जादू कर दिया है मगर उनके जादू का असर सारी दुनिया के लोगों पर नहीं हो सकता।”
मतलब ये था कि हर जगह के लोग चाँद को दो टुकड़े नहीं देख रहे होंगे। अब उन्होंने कहा:
“हम दूसरे शहरों से आने वालों से ये बात पूछेंगे।”
चुनांचे जब मक्का में दूसरे शहरों के लोग दाख़िल हुए तो उन्होंने चाँद के बारे में उनसे पूछा। आने वाले सब लोगों ने यही कहा:
“हाँ हाँ! हमने भी चाँद को दो टुकड़े होते देखा है।”
ये सुनते ही मुशरिक बोल उठे:
“बस! फिर तो ये आम जादू है, इसका असर सब पर हुआ है।”
कुछ ने कहा:
“ये एक ऐसा जादू है जिससे जादूगर भी मुतास्सिर हुए हैं।”
यानी जादूगरों को भी चाँद दो टुकड़े नज़र आया है।
इस पर अल्लाह तआला ने सूरह क़मर की आयतें नाज़िल फ़रमाईं:
“क़यामत क़रीब आ पहुँची और चाँद शक्क (दो टुकड़े) हो गया। और ये लोग कोई मोज़िज़ा देखते हैं तो टाल देते हैं और कहते हैं: ये जादू है जो अभी ख़त्म हो जाएगा।”
मुख्तलिफ़ क़ौमों की तारीख़ से ये बात साबित होती है कि चाँद का दो टुकड़े होना सिर्फ़ मक्का में नज़र नहीं आया था बल्कि दूसरे मुल्कों में भी इसका मुशाहिदा किया गया था।
इसी तरह एक दिन मुशरिकों ने कहा:
“अगर आप वाक़ई नबी हैं तो इन पहाड़ों को हटा दीजिए जिनकी वजह से हमारा शहर तंग हो रहा है, ताकि हमारी आबादियाँ फैलकर बस जाएँ। और अपने रब से कहकर ऐसी नहरें जारी करा दें जैसी शाम (सीरिया) और इराक़ में हैं। और हमारे बाप-दादाओं को दोबारा ज़िंदा कराके दिखाएँ। उनमें क़ुसई बिन क़िलाब ज़रूर हो, क्योंकि वो निहायत दाना और अक़्लमंद बुज़ुर्ग था। हम उससे पूछेंगे कि आप जो कुछ कहते हैं, सच है या झूठ। अगर हमारे इन बुज़ुर्गों ने आपकी तस्दीक़ कर दी और आपने हमारे ये मुतालिबे पूरे कर दिए तो हम आपकी नबूवत का इक़रार कर लेंगे और जान लेंगे कि आप वाक़ई अल्लाह की तरफ़ से भेजे गए हैं, जैसा कि आप दावा करते हैं।”
इसी तरह वो अजीब अजीब मांग करने लगे तरह तरह के सवाल करने लगे जो बेतुके थे जिसका ज़िक्र हम अगले भाग में करेंगे इंशाअल्लाह
