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Meraj Ka Waqia | Prophet Muhammad History in Hindi Part 27

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Seerat e Mustafa Qist 27
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ताएफ़ के सफ़र के बाद मेराज का वाक़िआ पेश आया


जो हज़ूर नबी करीम ﷺ पर अल्लाह तआला का ख़ास इनाम और नबूवत का बहुत बड़ा मोजिज़ा है। यह वाक़िआ इस तरह हुआ कि हज़ूर ﷺ मक्का मुअज़्ज़मा में हज़रत उम्मे हानी रज़ियल्लाहु अन्हा के घर रात के आराम फ़रमा रहे थे कि अल्लाह तआला ने हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम और हज़रत मीकाईल अलैहिस्सलाम को आपके पास भेजा।

वह आपको मस्जिदे हराम ले गए फिर वहाँ से बुर्राक़ पर सवार करके मस्जिदे अक़्सा ले गए जहाँ तमाम अंबिया अलैहिस्सलाम ने आपकी इक्तिदा में नमाज़ अदा की। इसके बाद आपको सातों आसमानों की सैर कराई गई और आप अल्लाह तआला से हमकलाम हुए।

इस सफ़र की कुछ अहम तफ़सीलात यह हैं:

हज़ूर नबी करीम ﷺ बैतुल मुक़द्दस पहुँचने से पहले हज़रत जिब्रील के साथ चले जा रहे थे कि रास्ते में एक सरसब्ज़ इलाके से गुज़र हुआ। हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम ने आप से कहा:
यहाँ उतरकर दो रकअत नमाज़ पढ़ लीजिए।

आपने बुर्राक़ से उतरकर दो रकअतें अदा कीं। जिब्रील अलैहिस्सलाम ने पूछा, आपको मालूम है यह कौन सा मुक़ाम है? आपने फ़रमाया नहीं। तब जिब्रील अलैहिस्सलाम ने कहा:
यह आपने तैबा यानी मदीना मुनव्वरा में नमाज़ पढ़ी है और यही आपकी हिजरत गाह है। (यानी मक्का से हिजरत करके आपको यहीं आना है)

इसके बाद बुर्राक़ फिर रवाना हुआ। इसका हर क़दम जहाँ तक नज़र जाती थी वहाँ पड़ता था। एक और मुक़ाम पर हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम ने कहा:

आप यहाँ उतरकर नमाज़ पढ़िए। आपने वहाँ भी दो रकअत अदा कीं। उन्होंने बताया: आपने मदयन में नमाज़ पढ़ी है।

इस बस्ती का नाम मदयन हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के बेटे मदयन के नाम पर रखा गया था।
उन्होंने इसी मक़ाम पर क़याम किया था। इसके बाद वहाँ आबादी हो गई थी। हज़रत शुऐब अलैहिस्सलाम इसी बस्ती में मबऊस हुए थे।

इसके बाद फिर आप उसी बुर्राक़ पर सवार हुए। एक मक़ाम पर हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम ने आप से कहा, अब यहाँ उतरकर नमाज़ पढ़िए; आप यहाँ उतरकर नमाज़ पढ़िए; आप ने दो रकअत नमाज़ अदा की। जिब्रील अलैहिस्सलाम ने बताया, यह बैतुल लहम है।

बैतुल लहम बैतुल मुक़द्दस के पास एक बस्ती है जहाँ हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम की पैदाइश हुई थी।

जिहाद करने वालों का हाल

इसी सफ़र में आपने अल्लाह के रास्ते में जिहाद करने वालों का हाल देखा। यानी आपको आख़िरत की मिसाली शक्ल के ज़रिए मुजाहिदीन के हालात दिखाए गए। हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम ने बताया:
“यह अल्लाह की राह में जिहाद करने वाले लोग हैं, अल्लाह ने उनकी हर नेकी का सवाब सात सौ गुना कर दिया है।”

आपके सामने दुनिया पेश करना

इसी तरह हज़रत नबी अकरम ﷺ के सामने दुनिया लाई गई, दुनिया एक हसीन व जमीला औरत की सूरत में दिखाई गई। इस औरत ने आप से कहा:
“ऐ मुहम्मद! मेरी तरफ़ देखिए, मैं आप से कुछ कहना चाहती हूँ।”
आप ने उसकी तरफ़ कोई तवज्जोह नहीं दी और जिब्रील अलैहिस्सलाम से पूछा:
“यह कौन है?”
उन्होंने बताया:
“यह दुनिया है, अगर आप इस तरफ़ तवज्जोह देते तो आपकी उम्मत आख़िरत के मुक़ाबले में दुनिया को इख़्तियार कर लेती।”

इसके बाद आपने रास्ते में एक बुढ़िया को देखा, आपने पूछा:
“यह कौन है?”
जिब्रील अलैहिस्सलाम ने बताया:
“यह दुनिया ही है, दुनिया की उम्र का इतना हिस्सा ही बाक़ी रह गया है जितना कि इस बुढ़िया का हो सकता है।”

अमानत में ख़यानत करने वालों का हाल

इसके बाद अमानत में ख़यानत करने वाले, फ़र्ज़ नमाज़ को छोड़ने वाले, ज़कात अदा न करने वाले, बदकारी करने वाले, रहज़नी करने वाले (डाका डालने वाले) दिखाए गए। उनके भयानक अंजाम आपको दिखाए गए।

अमानत में ख़यानत करने वाले अपने बोझ में इज़ाफ़ा किए जा रहे थे और बोझ को उठाने के क़ाबिल नहीं थे। फ़र्ज़ नमाज़ों को छोड़ने वालों के सर को कुचला जा रहा था। उनके सर रेज़ा-रेज़ा हो रहे थे और फिर असल हालत में आ जाते थे, कुचलने का अमल फिर शुरू हो जाता था, ग़रज़ उन्हें ज़रा भर मोहलत नहीं दी जा रही थी।

ज़कात न देने वालों का अंजाम

अपने माल में ज़कात अदा न करने वालों का अंजाम आपने देखा कि उनके सतर पर आगे और पीछे फटे हुए चीथड़े लटके हुए थे, वह ऊंटों और बकरियों की तरह चर रहे थे… और ज़क़्क़ूम दरख़्त के कड़वे पत्ते और कांटे खा रहे थे। ज़क़्क़ूम दरख़्त के बारे में आता है कि इस क़दर कड़वा और ज़हरीला है कि उसकी कड़वाहट का मुक़ाबला दुनिया का कोई दरख़्त नहीं कर सकता।

इसका एक ज़र्रा दुनिया के मीठे दरियाओं में डाल दिया जाए तो तमाम दरिया कड़वे हो जाएँ। नबी अकरम ﷺ का दुनिया में मज़ाक़ उड़ाने वालों को भी यही दरख़्त खिलाया जाएगा। इस दरख़्त के पत्तों और कांटों के अलावा वे लोग जहन्नम के पत्थर चबाते नज़र आए।

बदकारों का अंजाम

बदकारों का अंजाम आपने देखा कि उनके सामने दस्तरख़्वान लगे हुए थे, उन दस्तरख़्वानों में से कुछ निहायत बेहतरीन भुना हुआ गोश्त था, कुछ में बिल्कुल सड़ा हुआ गोश्त था। वह इस बेहतरीन गोश्त को छोड़कर सड़ा हुआ बदबूदार गोश्त खा रहे थे और बेहतरीन गोश्त नहीं खा रहे थे।

उनके बारे में जिब्रील अलैहिस्सलाम ने आपको बताया:
“यह आपकी उम्मत के वे लोग हैं जिनके पास पाक और हलाल औरतें थीं लेकिन वे उनको छोड़कर बदकार औरतों के पास जाते थे, या ये वे औरतें थीं जिनके ख़ाविंद थे, लेकिन वे उनको छोड़कर बदकार मर्दों के पास जाती थीं।”

सूद खाने वालों का अंजाम

सूद खाने वालों का अंजाम आपको यह दिखाया गया कि वे ख़ून के दरिया में तैर रहे थे और पत्थर निगल रहे थे।

बुरे उलमा का अंजाम

आपको ऐसे आलिमों का अंजाम दिखाया गया जो लोगों को वाज़ किया करते थे और ख़ुद बेमल थे। उनकी ज़बानें और होंठ लोहे की कैंचियों से काटे जा रहे थे, और जैसे ही कट जाते थे, फ़ौरन पैदा हो जाते थे और फिर उसी तरह काटे जाने का अमल शुरू हो जाता था। यानी उन्हें एक लम्हे की भी मोहलत नहीं मिल रही थी।

चुग़लख़ोरों के नाख़ुन तांबे के थे और वे उनसे अपने चेहरे और सीने नोंच रहे थे।

आप ﷺ को जन्नत दिखाई गई

मस्जिदे अक़्सा में अंबिया अलैहिस्सलाम की नमाज़ में इमामत फ़रमाने के बाद हज़रत नबी अकरम ﷺ को सातों आसमानों की सैर कराई गई, जलीलुल क़द्र अंबिया अलैहिस्सलाम से मुलाक़ात कराई गई। फिर आप ﷺ को जन्नत का हाल दिखाया गया।

जहन्नम दिखाने के बाद आपको जन्नत दिखाई गई। आपने वहाँ मोतियों के बने हुए गुम्बद देखे। वहाँ की मिट्टी मुश्क की थी। आपने जन्नत में अनार देखे, वे बड़े-बड़े डोलों जितने थे। और जन्नत के परिंदे ऊँटों जितने बड़े थे।

आपका गुज़र जन्नत की एक वादी से हुआ। उससे निहायत भीनी-भीनी ख़ुशबू आ रही थी और मुश्क से ज़्यादा ख़ुशबूदार ठंडी हवा आ रही थी और एक बेहतरीन आवाज़ सुनाई दे रही थी। वह आवाज़ कह रही थी:
“मेरे इशरत कदे में रेशम, मोती, सोना, चाँदी, मूंगे, शहद, दूध और शराब के जाम व कटोरे बहुत ज़्यादा हो गए हैं।”

इस पर अल्लाह तआला फ़रमा रहा है

“हर वह मोमिन मर्द और औरत तुझ में दाख़िल होगा जो मुझ पर और मेरे रसूलों पर ईमान रखता हो, मेरे साथ किसी को शरीक न ठहराता होगा, न मुझसे बढ़कर या मेरे बराबर किसी को मानता होगा। सुन ले, जिस के दिल में मेरा डर है, उसका दिल मेरे ख़ौफ़ की वजह से महफ़ूज़ रहता है, जो मुझसे माँगता है मैं उसे महरूम नहीं रखूँगा, जो मुझे क़र्ज़ देता है यानी नेकी करता है और मेरी राह में ख़र्च करता है, मैं उसे बदला दूँगा, जो मुझ पर तवक्कुल और भरोसा करता है उसकी जमा पूंजी को उसकी ज़रूरत के लिए पूरा करता रहूँगा, मैं ही सच्चा मअबूद हूँ, मेरे अलावा कोई इबादत के लायक़ नहीं, मेरा वादा सच्चा है, ग़लत नहीं होता, मोमिन की नजात यक़ीनी है और अल्लाह तआला ही बरकत देने वाला है और सब से बेहतरीन ख़ालिक़ यानी पैदा करने वाला है।”

यह सुनकर मैंने कहा:
“बस ऐ मेरे परवरदिगार! मैं ख़ुश और मुतमइन हूँ।”

दोज़ख का हाल यह दिखाया गया

दोज़ख का हाल यह दिखाया गया कि आप वादी में पहुँचे। वहाँ आपने एक बहुत बदनुमा आवाज़ सुनी। आपने बदबू भी महसूस की। आपने पूछा:

“जिबरील! यह क्या है?”

उन्होंने बताया:

“यह जहन्नम की आवाज़ है, यह कह रही है, ‘ए मेरे परवरदिगार! मुझे वह ग़िज़ा दे जिसका तूने मुझसे वादा किया है। मेरी ज़ंजीरें और बेड़ियाँ, मेरी आग, मेरे शोले, गरमी, गर्म हवा, पीप और अज़ाब के दूसरे हैबतनाक सामान बहुत बढ़ गए हैं, मेरी गहराई और उस गहराई में आग की तपिश यानी मेरा पेट और उसकी भूख बहुत ज़्यादा है, इसीलिए मुझे मेरी वह ख़ुराक दे जिसका तूने मुझसे वादा किया है।'”

जहन्नम की इस पुकार के जवाब में अल्लाह तआला ने फ़रमाया:
“हर काफ़िर और मुश्रिक, बदतबीअत, बदमाश और ख़बीस मर्द और औरत तेरी ख़ुराक हैं।”

यह सुनकर जहन्नम ने जवाब दिया:
“बस! मैं ख़ुश हो गई।”

आपको दज्जाल की सुरत दिखाई गई

इसी सफ़र में आपको दज्जाल की सूरत दिखाई गई। उसकी शक्ल अब्दुलउज़्ज़ा बिन क़तन जैसी थी।
यह अब्दुलउज़्ज़ा जाहिलियत के ज़माने में, नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के ज़ुहूर से पहले ही मर गया था।

यतीमों का माल खाने वाले

आपको वहाँ कुछ लोग दिखाए गए। उनके होंठ ऊँटों के होंठों जैसे थे और उनके हाथों में पत्थरों की तरह के बड़े-बड़े अंगारे थे। यानी इतने बड़े-बड़े थे कि एक-एक अंगारे में उनका हाथ भर गया था। वे लोग अंगारों को अपने मुँह में डालते थे।

आपने यह मंज़र देखकर जिबरील अलैहिस्सलाम से पूछा:
“जिबरील! यह कौन लोग हैं?”
जवाब में उन्होंने बताया:
“यह वे लोग हैं जो ज़बरदस्ती और ज़ुल्म से यतीमों का माल खाते थे।”

बदकिरदार मर्द और औरतों का हाल

इसके बाद आपने कुछ लोग देखे, जिनके सामने एक तरफ़ बेहतरीन क़िस्म का गोश्त रखा था और दूसरी तरफ़ सड़ा हुआ बदबूदार गोश्त था। वे अच्छा गोश्त छोड़कर बदबूदार गोश्त खा रहे थे।

आपने जिबरील अलैहिस्सलाम से पूछा:
“यह कौन लोग हैं?”
उन्होंने बताया:
“यह वे लोग हैं जिनको अल्लाह तआला ने पाक-दामन औरतें यानी बीवियाँ दी थीं, मगर ये उन्हें छोड़कर दूसरी औरतों के पास जाते थे। या वे ऐसी औरतें हैं जो अपने शौहर को छोड़कर दूसरे मर्दों के पास जाती थीं।”

एक दूसरे पर लान तान करने वाले

आपने वहाँ ऐसे लोग देखे जो अपने ही जिस्म से पहलुओं का गोश्त नोंच-नोंचकर खा रहे थे। उनसे कहा जा रहा था:
“यह भी इसी तरह खाओ जिस तरह तुम अपने भाई का गोश्त खाया करते थे।”

आपने दरयाफ़्त फ़रमाया:
“यह कौन लोग हैं?”
जिबरील अलैहिस्सलाम ने कहा:
“यह वे लोग हैं जो एक-दूसरे पर आवाज़ें कसा करते थे।”

सिदरा तुल मुंतहा

सातों आसमानों की सैर के बाद आपको सदरतुल मुन्तहा तक ले जाया गया। यह बेर का एक दरख़्त है। हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सदरतुल मुन्तहा की जड़ में एक चश्मा देखा। उससे दो नहरें फूट रही थीं। एक का नाम ‘कोसर’ और दूसरी का नाम ‘रहमत’ था। आप फ़रमाते हैं, “मैंने उस चश्मे में ग़ुस्ल किया।”

एक रिवायत के मुताबिक़ सिदरतुल मुन्तहा की जड़ से जन्नत की चार नहरें निकल रही हैं। इनमें से एक नहर पानी की, दूसरी दूध की, तीसरी शहद की और चौथी नहर शराब की है।

हज़रत जिब्राईल की असल शक्ल

इसी वक़्त सिदरतुल मुन्तहा के पास आपने जिबरील को उनकी असल शक्ल में देखा, यानी जिस शक्ल में अल्लाह तआला ने उन्हें बनाया था। उनके छः सौ पर थे और हर पर इतना बड़ा था कि उससे आसमान का किनारा छुप जाए। उन परों से रंग-बिरंगे मोती और याकूत इतनी तादाद में गिर रहे थे कि उनका शुमार अल्लाह ही को मालूम है।

फिर एक बदली ने आपको आकर घेर लिया। आपको उसी बदली के ज़रिए ऊपर उठा लिया गया। जिबरील वहीं रह गए। (बदली की जगह कुछ रिवायतों में एक सीढ़ी के ज़रिए उठाने का ज़िक्र भी आया है।) यहाँ आपने सरीर-ए-अक़लाम (यानी लौहे महफ़ूज़ पर लिखने वाले क़लमों की सरसराहट) की आवाज़ें सुनीं। यह तक़दीर के क़लम थे और फ़रिश्ते उनसे मख़लूक़ की तक़दीरें लिख रहे थे।

इस तफ़्सील से मालूम हुआ कि जिबरील अलैहिस्सलाम सिदरतुल मुन्तहा से आगे नहीं गए और यह भी मालूम हुआ कि सिदरतुल मुन्तहा सातवें आसमान से ऊपर है। कुछ उलमा ने लिखा है कि यह अर्श-ए-अज़म के दाएँ तरफ़ है।

एक रिवायत में है कि जिबरील अलैहिस्सलाम आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को लेकर सातवें आसमान के ऊपर गए। वहाँ एक नहर पर पहुँचे। उसमें याकूतों, मोतियों और ज़बरजद के ख़ेमे लगे थे। उस नहर में एक सब्ज़ रंग का परिंदा था। वह इस क़दर हसीन था कि उस जैसा परिंदा कभी नहीं देखा था।

जिबरील अलैहिस्सलाम ने बताया:
“यह नहर कोसर है जो अल्लाह तआला ने आपको अता फ़रमाई है।”

आप फ़रमाते हैं, मैंने देखा, उसमें याकूत और ज़मुर्रद के थालों में रखे हुए सोने और चाँदी के जाम तैर रहे थे। उस नहर का पानी दूध से ज़्यादा सफ़ेद था। मैंने एक जाम उठाया, उस नहर से भरकर पिया तो वह शहद से ज़्यादा मीठा और मुश्क से ज़्यादा ख़ुशबूदार था।

आप फ़रमाते हैं, जिबरील अलैहिस्सलाम मुझे लिए हुए सिदरतुल मुन्तहा तक पहुँचे। उसके पास हिजाब-ए-अकबर है। हिजाब-ए-अकबर के पास पहुँचकर उन्होंने कहा:

“मेरी पहुँच का मुक़ाम यहाँ ख़त्म हो गया। अब आप आगे तशरीफ़ ले जाएँ।”

आप फ़रमाते हैं, मैं आगे बढ़ा, यहाँ तक कि मैं सोने के एक तख़्त तक पहुँच गया। उस पर जन्नत का रेशमी क़ालीन बिछा था।

इसी वक़्त मैंने जिबरील अलैहिस्सलाम की आवाज़ सुनी… वे कह रहे थे:

“ऐ मुहम्मद! अल्लाह तआला आपकी तारीफ़ फ़रमा रहा है। आप सुनिए और इताअत कीजिए। आप कलामे इलाही से दहशतज़दा न हों।”

अल्लाह तआला का दीदार

चुनांचे उस वक़्त मैंने हक़ तआला की तारीफ़ बयान की। इसके बाद मुझे अल्लाह का दीदार हुआ। मैं फ़ौरन सजदे में गिर गया। फिर अल्लाह ने मुझ पर वही उतारी, वह यह थी:

“ऐ मुहम्मद! जब तक आप जन्नत में दाख़िल नहीं हो जाएँगे, उस वक़्त तक तमाम अंबिया के लिए जन्नत हराम रहेगी। इसी तरह जब तक आपकी उम्मत जन्नत में दाख़िल नहीं होगी, तमाम उम्मतों के लिए जन्नत हराम रहेगी।”

इसके अलावा अल्लाह तआला ने फ़रमाया:

“ऐ मुहम्मद! हमने कोसर आपको अता फ़रमा दी है। इस तरह आपको यह ख़ुसूसियत हासिल हो गई है कि तमाम जन्नती आपके मेहमान होंगे।”

आप फ़रमाते हैं, मैंने जन्नत के दरवाज़े पर लिखा देखा:

“सदक़े का सिला दस गुना है और क़र्ज़ का सिला अठारह गुना है।”

मैंने जिबरील से पूछा:
“यह क्या बात है कि क़र्ज़ देना सदक़े से अफ़ज़ल है?”

जवाब में उन्होंने कहा:
“इसकी वजह यह है कि साइल जिसे सदक़ा दिया जाता है, वह माँगता है तो उसी वक़्त उसके पास कुछ न कुछ होता है। जब कि क़र्ज़ माँगने वाला उसी वक़्त क़र्ज़ माँगता है जब उसके पास कुछ न हो।”

हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मेराज के दौरान जहन्नम के दारोग़ा मालिक को देखा। वह इन्तेहाई सख़्त तबीयत का फ़रिश्ता है। उसके चेहरे पर ग़ुस्सा और ग़ज़ब रहता है।

आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उसे सलाम किया। दारोग़ा ने सलाम का जवाब दिया, ख़ुश आमदीद भी कहा, लेकिन मुस्कुराया नहीं। इस पर हुज़ूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जिबरील अलैहिस्सलाम से फ़रमाया:

“यह क्या बात है कि मैं आसमान वालों में से जिस से भी मिला, उसने मुस्कुराकर मेरा इस्तेक़बाल किया, मगर दारोग़ा-ए-जहन्नम ने मुस्कुराकर बात नहीं की?”

इस पर जिबरील अलैहिस्सलाम ने कहा:

“यह जहन्नम का दारोग़ा है। जब से पैदा हुआ है, आज तक कभी नहीं हंसा। अगर यह हंस सकता, तो सिर्फ़ आप ही के लिए हंसता।”

यह बात अच्छी तरह जान लें कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को मेराज जागने की हालत में जिस्म और रूह दोनों के साथ हुई।

…कुछ लोग मेराज को सिर्फ़ एक ख़्वाब कहते हैं और कुछ कहते हैं कि सिर्फ़ रूह गई थी, जिस्म साथ नहीं गया था। अगर यह दोनों बातें होतीं, तो फिर मेराज के वाक़िए की भला क्या ख़ुसूसियत थी? ख़्वाब में तो आम आदमी भी बहुत कुछ देख लेता है।

मेराज की असल ख़ुसूसियत ही यह है कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जिस्म समेत आसमानों पर तशरीफ़ ले गए।

लिहाज़ा गुमराह लोगों के बहकावे में मत आएँ। और फिर यह बात भी है कि अगर यह सिर्फ़ ख़्वाब होता या मेराज सिर्फ़ रूह को होती, तो मुशरिकीन-ए-मक्का मज़ाक़ न उड़ाते। जब कि उन्होंने मानने से इनकार किया और मज़ाक़ भी उड़ाया। ख़्वाब में देखे किसी वाक़िए पर भला कोई क्यों मज़ाक़ उड़ाता?

इस सफ़र में 5 वक़्त की नमाज़ भी फ़र्ज़ हुई उसका ज़िक्र हम Part 28 में करेंगे

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