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Prophet Muhammad History in Hindi

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Seerat e Mustafa Qist 4
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शाम देश का एक यहूदी ‘ईस’ मक्का से कुछ दूरी पर रहता था। वह जब भी किसी काम से मक्का आता, वहाँ के लोगों से मिलता और कहता:

“बहुत निकट समय में तुम्हारे बीच एक बच्चा पैदा होगा, सारा अरब उसके रास्ते पर चलेगा। उसके सामने सभी नीच और दीन हो जाएंगे। वह अजम और उसके शहरों का भी मालिक हो जाएगा। यही उसका समय है। जो उसकी नबूवत के समय को पाएगा और उसकी पैरवी करेगा, वह अपने उद्देश्य में सफल होगा। जिस भलाई की वह उम्मीद करता है, वह उसे प्राप्त होगी और जो उसकी नबूवत का समय पाएगा लेकिन उसका विरोध करेगा, वह अपनी इच्छाओं में असफल होगा।”

मक्का में जो भी बच्चा पैदा होता, वह यहूदी उस बच्चे के बारे में तहकीकात करता और कहता, अभी वह बच्चा पैदा नहीं हुआ है। आखिरकार जब नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम दुनिया में तशरीफ लाए, तो अब्दुल मुत्तलिब अपने घर से निकलकर उस यहूदी के पास पहुँचे। उसकी उपासना-स्थल के दरवाजे पर पहुँच कर आवाज दी।

‘ईस’ ने पूछा: “कौन है?”

उन्होंने अपना नाम बताया। फिर उससे पूछा: “तुम उस बच्चे के बारे में क्या कहते हो?”

उसने उन्हें देखा, फिर कहा:

“हाँ! तुम ही उसके पिता हो सकते हो। बेशक वह बच्चा पैदा हो गया है जिसके बारे में मैं तुम लोगों से कहता था। वह सितारा आज उग गया है जो उस बच्चे की पैदाइश की निशानी है… और उसकी निशानी यह है कि इस समय उस बच्चे को दर्द हो रहा है, यह तकलीफ उसे तीन दिन रहेगी, और उसके बाद वह ठीक हो जाएगा।”

राहिब ने जो यह कहा था कि बच्चा तीन दिन तक तकलीफ में रहेगा, उसकी तफसील यह है कि आपने तीन दिन तक दूध नहीं पिया था और यहूदी ने जो यह कहा था कि हाँ! आप ही उसके पिता हो सकते हैं, इसका मतलब यह है कि अरबों में दादा को भी पिता कह दिया जाता है, अरबों के अलावा बाक़ी दुनिया में आज भी दादा को बाप का दर्जा दिया जाता है और नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने खुद एक बार फरमाया था:

“मैं अब्दुल मुत्तलिब का बेटा हूँ।”

prophet muhammad history in hindi qist 4

यहूदी ने अब्दुल मुत्तलिब से यह भी कहा था:

“इस बारे में अपनी ज़ुबान बंद रखो, यानी किसी को कुछ मत बताओ, नहीं तो लोग उस बच्चे से जबरदस्त ईर्ष्या करेंगे, इतनी ईर्ष्या जितनी अब तक किसी से नहीं की गई और उसकी इतनी कड़ी मुखालफत होगी कि दुनिया में किसी और की इतनी मुखालफत नहीं हुई।”

पोते के बारे में यह बातें सुनकर अब्दुल मुत्तलिब ने ‘ईस’ से पूछा:

“उस बच्चे की उम्र कितनी होगी?

“यहूदी ने इस सवाल के जवाब में कहा: “अगर उस बच्चे की उम्र सत्तर साल तक नहीं होगी। बल्कि इससे पहले ही 61 या 63 साल की उम्र में इन्तिकाल हो जाएगा और उसकी उम्मत की औसत उम्र भी इतनी होगी। उसकी पैदाइश के वक्त दुनिया के बुत टूटकर गिर जाएंगे।”

यह सारी निशानियाँ उस यहूदी ने पिछले नबियों की भविष्यवाणियों से जानी थीं और वे सभी बिल्कुल सही साबित हुईं।

कुरैश के कुछ लोग ‘अमर बिन नुफैल’ और ‘अब्दुल्लाह बिन हजश’ वगैरह एक बुत के पास जाया करते थे। यह उस रात भी उसके पास गए, जिस रात आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पैदाइश हुई। उन्होंने देखा वह बुत उल्टा गिरा पड़ा है। इन लोगों को यह बात बुरी लगी। उन्होंने उसे उठाया, सीधा कर दिया, मगर वह फिर गिर गया। उन्होंने फिर उसे सीधा किया, वह फिर उल्टा हो गया। इन लोगों को बहुत हैरत हुई। यह बात बहुत अजीब लगी। तब उस बुत से आवाज निकली:

“यह एक ऐसे बच्चे की पैदाइश की खबर है, जिसकी रौशनी से पूरब और पश्चिम में धरती के सभी कोने जगमगा गए हैं।”

बुत से निकलने वाली आवाज ने उन्हें और अधिक हैरत में डाल दिया।

इसके अलावा एक वाकया यह पेश आया कि ईरान के सम्राट ‘किसरा नौशेरवान’ का महल हिलने लगा और उसमें दरारें पड़ गईं। नौशेरवान का यह महल बेहद मजबूत था। बड़े-बड़े पत्थरों और चूने से निर्मित किया गया था। इस घटना से पूरी सल्तनत में दहशत फैल गई। दरारें पड़ने से डरावनी आवाज भी निकली थी। महल के चौदह बुर्ज टूटकर नीचे गिर गए थे।

आपकी पैदाइश पर एक वाकया यह पेश आया कि फ़ारस के सभी अग्नि-स्थलों की वह आग बुझ गई, जिसकी वे लोग पूजा करते थे और उसे बुझने नहीं देते थे। लेकिन उस रात में एक ही समय में सभी अग्नि-स्थलों की आग फौरन बुझ गई। आग के पूजकों में मातम छा गया।

किसरा को यह सारी खबरें मिलीं, तो उसने एक ज्योतिषी को बुलाया। उसे अपने महल में दरारें पड़ने और अग्नि-स्थलों की आग बुझने के बारे में सुनाकर पूछा:

“आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?”

वह ज्योतिषी खुद तो जवाब न दे सका, पर उसने कहा: “इन सवालों के जवाब मेरे मामा दे सकते हैं, उनका नाम ‘सतीह’ है।”

नौशेरवान ने कहा: “ठीक है, तुम जाकर इन सवालों के जवाब लाओ।”

वह गया, ‘सतीह’ से मिला, उसे यह घटनाएँ सुनाईं।

उसने सुनकर कहा:”एक लाठी वाले नबी प्रकट होंगे, जो अरब और शाम पर छा जाएंगे और जो कुछ होने वाला है, होकर रहेगा।”

उसने यह जवाब ‘किसरा’ को बताया। इस बीच किसरा ने दूसरे ज्योतिषियों से भी जानकारी हासिल कर ली थी। यह सुनकर उसने कहा:”तब फिर अभी वह समय आने में देर है।” (यानी उनका प्रभाव मेरे बाद होगा)

पैदाइश के सातवें दिन अब्दुल मुत्तलिब ने आपका ‘अकीका’ किया और नाम ‘मुहम्मद’ रखा। अरबों में पहले यह नाम किसी का नहीं रखा गया था। कुरैश को यह नाम अजीब सा लगा। चंद लोगों ने अब्दुल मुत्तलिब से पूछा:

“ए अब्दुल मुत्तलिब! क्या वजह है कि तुमने इस बच्चे का नाम उसके पिता-दादा के नाम पर नहीं रखा, बल्कि मुहम्मद रखा है। यह नाम न तो तुम्हारे पूर्वजों में किसी का था और न ही तुम्हारी कौम में किसी का है।

“अब्दुल मुत्तलिब ने उन्हें जवाब दिया: “मेरी तमन्ना है कि आसमानों में अल्लाह तआला इस बच्चे की तारीफ करें और ज़मीन पर लोग उसकी तारीफ करें।

“(मुहम्मद के मायने हैं, जिसकी बहुत अधिक तारीफ की जाए।)

इसी तरह माँ की तरफ से आपका नाम ‘अहमद’ रखा गया। ‘अहमद’ नाम भी पहले किसी का नहीं रखा गया था। मतलब यह कि इन दोनों नामों की अल्लाह तआला ने हिफ़ाज़त की और कोई भी यह नाम न रख सका। ‘अहमद’ का मतलब है सबसे ज्यादा तारीफ करने वाला।

पुरानी किताबों में आपका नाम ‘अहमद’ लिखा गया है।

अपनी माँ के बाद आपने सबसे पहले ‘सौबिया’ का दूध पिया। ‘सौबिया’ नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के चाचा ‘अबू लहब’ की दासी थीं। अबू लहब ने आपकी पैदाइश की खुशी में उन्हें आज़ाद कर दिया था। ‘सौबिया’ ने आपको चंद दिनों तक दूध पिलाया। उन्हीं दिनों ‘सौबिया’ के यहाँ अपना बेटा पैदा हुआ था। आपकी माँ ने आपको सिर्फ नौ दिन तक दूध पिलाया। उनके बाद ‘सौबिया’ ने दूध पिलाया। फिर दूध पिलाने की बारी हज़रत ‘हलीमा सअदिया’ रज़ियल्लाहु अन्हा की आई।


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