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27 amazing verses of the Quran about the universe
ब्रह्मांड के बारे में कुरान की 27 अद्भुत आयतें

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कुरान में सबसे ज़्यादा Inspirational और खुबसूरत आयतें हैं जो सब्र, उम्मीद, ज़िंदगी जीने के सही तरीके, शांति और Empowerment के बारे में बात करती हैं। इस ज़मीन पर रहने वाले इंसानों के रूप में हमें इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं है कि बाकी दुनिया में क्या है, या इससे भी ज़्यादा हमें इस बात का अंदाजा है कि बाकी दुनिया कितनी है?

हम कई ग्रहों में से एक हैं, कई सौर मंडलों में से एक, कई आकाश गंगाओं में से एक, सभी एक ही दुनिया में समाहित हैं। हम इस दुनिया की क्षमता की कल्पना तब तक नहीं कर पाते जब तक कि हम इसकी Complexity के जानकार नहीं हो जाते, यह हकीकत में गैर मामूली है, इसमें इतना कुछ है जिसे हमारा दिमाग समझ नहीं सकता, ऐसी है इस दुनिया की खूबसूरती।

हमारी इस दुनिया पर, हमारी प्यारी ज़मीन पर, जो सुन्दर हरियाली और खिलते रंग से भरी है, इतना अधिक ध्यान दिया जा रहा है, के इससे बाहर की दुनिया के बारे में के वहां क्या है?

चमकते नीले आकाश और मधुर संगीत देते तारों के आगे जो कुछ फैला हुआ है, उसके बारे में आप क्या कहेंगे?

हमसे आगे एक पूरा ब्रह्मांड है। हमारी जैसी अरबों आकाश गंगाएँ। तारे और ग्रह। सब कुछ और बहुत कुछ, जितना हमारा मानव मन कभी कल्पना भी नहीं कर सकता।

हमने अपने रचयिता अल्लाह की महानता पर विचार करने में सहायता के लिए पवित्र कुरान से ब्रह्मांड के बारे में 27 आयतें निकाली हैं!

मिसाल के लिए हमने फ़ोटो लगाए हैं जिस से कुछ समझने में आसानी हो आयतों का सही मतलब अल्लाह ही जानता है

हमने समझने के लिए ही बस फोटो का इस्तमाल किया है सांइस की कुछ तहकीक हैं, जिस से बात समझने में आसानी होगी

1

وَالسَّمَاءَ بَنَيْنَاهَا بِأَيْدٍ وَإِنَّا لَمُوسِعُون

और हमने ही ब्रह्माण्ड को अपनी शक्ति से बनाया है और हम ही हैं जो उसे लगातार फैलाते रहते हैं।

51:47

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2

وَهُوَ الَّذِي خَلَقَ اللَّيْلَ وَالنَّهَارَ وَالشَّمْسَ وَالْقَمَرَ كُلٌّ فِي فَلَكٍ يَسْبَحُون

और वही है जिसने रात और दिन और सूरज और चांद को पैदा किया - ये सब अंतरिक्ष में तैरते रहते हैं

21:33
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3

وَالسَّمَاءِ ذَاتِ الْحُبُك

आकाश और उसके रास्तों से

51:7
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4

وَجَعَلْنَا السَّمَاءَ سَقْفًا مَّحْفُوظًا وَهُمْ عَنْ آيَاتِهَا مُعْرِضُون


और हमने आकाश को एक सुरक्षित छत बनाया, फिर भी वे लोग हैं जो उसकी आयतों से मुँह फेर लेते हैं।

21:32
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5

وَيَسْتَعْجِلُونَكَ بِالْعَذَابِ وَلَن يُخْلِفَ اللَّهُ وَعْدَهُ وَإِنَّ يَوْمًا عِندَ رَبِّكَ كَأَلْفِ سَنَةٍ مِّمَّا تَعُدُّون

और वे अज़ाब की जल्दी चाहते हैं। और अल्लाह कभी अपना वादा नहीं तोड़ता। और तुम्हारे रब के यहाँ एक दिन तुम्हारी गिनती के एक हजार वर्ष के बराबर है।

22:47
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6

تَعْرُجُ الْمَلَائِكَةُ وَالرُّوحُ إِلَيْهِ فِي يَوْمٍ كَانَ مِقْدَارُهُ خَمْسِينَ أَلْفَ سَنَة

फ़रिश्ते और रूह उस दिन उसके पास जायेंगे जिसकी अवधि पचास हज़ार वर्ष थी।

70:4
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7

وَأَنزَلْنَا مِنَ السَّمَاءِ مَاءً بِقَدَرٍ فَأَسْكَنَّاهُ فِي الْأَرْضِ وَإِنَّا عَلَىٰ ذَهَابٍ بِهِ لَقَادِرُون

और हम आकाश से एक निश्चित नाप से पानी बरसाते हैं, फिर उसे धरती में गिरा देते हैं, फिर हम उसे रोक लेने पर भी पूर्ण रूप से सक्षम हैं।

23:18
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8

ثُمَّ اسْتَوَىٰ إِلَى السَّمَاءِ وَهِيَ دُخَانٌ فَقَالَ لَهَا وَلِلْأَرْضِ ائْتِيَا طَوْعًا أَوْ كَرْهًا قَالَتَا أَتَيْنَا طَائِعِين

फिर आकाश की ओर ध्यान दिया, जबकि वह धुआँ था, फिर उसने आकाश और धरती से कहा, "तुम दोनों हाज़िर हो जाओ चाहे खुशी से या ना खुशी से।" उन दोनों ने कहा, "हम आज्ञाकारी बनकर हाज़िर होते हैं।"

41:11
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9

أَوَلَمْ يَرَ الَّذِينَ كَفَرُوا أَنَّ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ كَانَتَا رَتْقًا فَفَتَقْنَاهُمَا وَجَعَلْنَا مِنَ الْمَاءِ كُلَّ شَيْءٍ حَيٍّ أَفَلَا يُؤْمِنُون

तो क्या वे लोग जो सच को झुठलाने पर तुले हैं, यह नहीं जानते कि आकाश और धरती एक ही थे, फिर हमने उन्हें अलग कर दिया? और हमने हर जीवित प्राणी को पानी से बनाया है? तो क्या वे ईमान नहीं लाते?

21:30
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10

اَلَمۡ تَرَ اَنَّ اللّٰہَ یَسۡجُدُ لَہٗ  مَنۡ فِی السَّمٰوٰتِ وَ مَنۡ فِی الۡاَرۡضِ وَ الشَّمۡسُ وَ الۡقَمَرُ وَ النُّجُوۡمُ وَ الۡجِبَالُ وَ الشَّجَرُ وَ الدَّوَآبُّ وَ کَثِیۡرٌ  مِّنَ  النَّاسِ ؕ وَ کَثِیۡرٌ حَقَّ عَلَیۡہِ الۡعَذَابُ ؕ وَ مَنۡ  یُّہِنِ اللّٰہُ  فَمَا لَہٗ  مِنۡ مُّکۡرِمٍ ؕ اِنَّ اللّٰہَ  یَفۡعَلُ مَا  یَشَآءُ 

क्या तुम नहीं देखते कि बेशक अल्लाह ही है जिसको सजदा करते हैं, जो कुछ चाहे आकाश में हो या धरती में, और सूर्य और चंद्रमा और तारे और पहाड़ और वृक्ष और पशु और बहुत से मनुष्य भी। और बहुत से ऐसे हैं जिन पर यातना आवश्यक हो गई और जिसे अल्लाह अपमानित कर दे, उसे कोई सम्मान देने वाला नहीं, निश्चय ही अल्लाह जो चाहता है, करता है।

22:18
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11

سَبَّحَ لِلَّهِ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَمَا فِي الْأَرْضِ وَهُوَ الْعَزِيزُ الْحَكِيم

जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है, वह अल्लाह की महिमा का वर्णन करती है और वह प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है।

61:1

12

تُسَبِّحُ لَهُ السَّمَاوَاتُ السَّبْعُ وَالْأَرْضُ وَمَن فِيهِنَّ وَإِن مِّن شَيْءٍ إِلَّا يُسَبِّحُ بِحَمْدِهِ وَلَٰكِن لَّا تَفْقَهُونَ تَسْبِيحَهُمْ إِنَّهُ كَانَ حَلِيمًا غَفُورً

सातों आसमान और ज़मीन और जो कुछ उनमें है, सब उसकी महिमा का गुणगान करते हैं, और कोई चीज़ ऐसी नहीं जो उसकी महिमा और प्रशंसा से अलग हो, फिर भी तुम नहीं समझते कि वे किस तरह उसकी महिमा का गुणगान करते हैं, निस्संदेह वह बहुत सहनशील, अत्यन्त क्षमाशील है।

17:44

13

اِنَّ فِی السَّمٰوٰتِ وَ الۡاَرۡضِ لَاٰیٰتٍ لِّلۡمُؤۡمِنِیۡنَ

आकाश और धरती में उन लोगों के लिए निशानियाँ हैं जो ईमान लाये

45:3

14

وَفِي الْأَرْضِ آيَاتٌ لِّلْمُوقِنِين

और पृथ्वी पर उन सभी के लिए [ईश्वर के अस्तित्व के, दृश्यमान] निशानियां हैं जो यक़ीन वाले हैं

51:20

15

تِلْكَ آيَاتُ الْكِتَابِ الْمُبِين

ये स्पष्टता के शास्त्र के संकेत हैं

26:2

16

وَمِنْهُم مَّن يَقُولُ رَبَّنَا آتِنَا فِي الدُّنْيَا حَسَنَةً وَفِي الْآخِرَةِ حَسَنَةً وَقِنَا عَذَابَ النَّار

किन्तु उनमें से कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कहते हैं कि "ऐ हमारे रब! हमें दुनिया में भी भलाई अता कर और आख़िरत में भी भलाई अता कर और हमें आग की यातना से बचा ले!

2:201

17

أَلَمْ تَرَوْا أَنَّ اللَّهَ سَخَّرَ لَكُم مَّا فِي السَّمَاوَاتِ وَمَا فِي الْأَرْضِ وَأَسْبَغَ عَلَيْكُمْ نِعَمَهُ ظَاهِرَةً وَبَاطِنَةً وَمِنَ النَّاسِ مَن يُجَادِلُ فِي اللَّهِ بِغَيْرِ عِلْمٍ وَلَا هُدًى وَلَا كِتَابٍ مُّنِير

क्या तुम नहीं देखते कि अल्लाह ने आकाशों और धरती में जो कुछ है, उसे तुम्हारे वश में कर दिया है और अपनी नेमतों को तुम्हारे लिए खुला और भीतरी दोनों ही तरह से पूरा कर दिया है? और लोगों में से कोई ऐसा भी है जो अल्लाह के विषय में झगड़ता है, हालाँकि उसके पास न ज्ञान है, न मार्गदर्शन, न कोई प्रकाश देनेवाली किताब

31:20

18

الَّذِي أَحْسَنَ كُلَّ شَيْءٍ خَلَقَهُ وَبَدَأَ خَلْقَ الْإِنسَانِ مِن طِين

जो अपनी हर रचना को सबसे बेहतरीन बनाता है? इस प्रकार, वह मिट्टी से मनुष्य की रचना शुरू करता है

32:7

19

وَلِلَّهِ مُلْكُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَاللَّهُ عَلَىٰ كُلِّ شَيْءٍ قَدِير.إِنَّ فِي خَلْقِ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَاخْتِلَافِ اللَّيْلِ وَالنَّهَارِ لَآيَاتٍ لِّأُولِي الْأَلْبَاب

और अल्लाह ही के लिए आकाश और धरती का राज्य है और अल्लाह हर चीज़ पर अधिकार रखता है। निस्संदेह आकाश और धरती की रचना और रात और दिन के परिवर्तन में बहुत सी निशानियाँ हैं, उन लोगों के लिए जो बुद्धि रखते हैं।

3:189-190

20

وَمَا مِن دَابَّةٍ فِي الْأَرْضِ وَلَا طَائِرٍ يَطِيرُ بِجَنَاحَيْهِ إِلَّا أُمَمٌ أَمْثَالُكُم مَّا فَرَّطْنَا فِي الْكِتَابِ مِن شَيْءٍ ثُمَّ إِلَىٰ رَبِّهِمْ يُحْشَرُون

“और धरती पर कोई भी चलने वाला जानवर या कोई भी पक्षी नहीं जो अपने दो पंखों से उड़ता हो, परन्तु वे सब तुम्हारे ही समान हैं। हमने किताब में कोई भी चीज़ नहीं छोड़ी, फिर वे सब अपने रब की ओर एकत्र किये जायेंगे।”


6:38

21

خَلَقَ السَّمَاوَاتِ بِغَيْرِ عَمَدٍ تَرَوْنَهَا وَأَلْقَىٰ فِي الْأَرْضِ رَوَاسِيَ أَن تَمِيدَ بِكُمْ وَبَثَّ فِيهَا مِن كُلِّ دَابَّةٍ وَأَنزَلْنَا مِنَ السَّمَاءِ مَاءً فَأَنبَتْنَا فِيهَا مِن كُلِّ زَوْجٍ كَرِيم

“उसने आकाश को बिना खंभों के बनाया जैसा कि तुम देख रहे हो, और धरती पर पहाड़ बनाए ताकि वह तुम्हें हिला न सके, और उसने उसमें हर प्रकार के जानवर फैलाए, और हमने बादलों से पानी बरसाया, फिर उसमें हर प्रकार की अच्छी वनस्पति उगाई।”

31:10

22

وَالْأَرْضَ مَدَدْنَاهَا وَأَلْقَيْنَا فِيهَا رَوَاسِيَ وَأَنبَتْنَا فِيهَا مِن كُلِّ زَوْجٍ بَهِيج تَبْصِرَةً وَذِكْرَىٰ لِكُلِّ عَبْدٍ مُّنِيب

“और धरती को हमने फैलाया और उसमें दृढ़ पहाड़ स्थापित किये और हमने उसमें हर प्रकार की सुन्दरता उगाई; ताकि दृष्टि प्रदान करे और प्रत्येक बन्दे के लिए जो अल्लाह की ओर रूजू हो, एक अनुस्मरण बन जाए।”

50:7-8

23

وَهُوَ الَّذِي مَدَّ الْأَرْضَ وَجَعَلَ فِيهَا رَوَاسِيَ وَأَنْهَارًا وَمِن كُلِّ الثَّمَرَاتِ جَعَلَ فِيهَا زَوْجَيْنِ اثْنَيْنِ يُغْشِي اللَّيْلَ النَّهَارَ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَاتٍ لِّقَوْمٍ يَتَفَكَّرُون

"और वही है जिसने धरती को फैलाया और उसमें पहाड़ और नदियाँ बनाईं और उसमें हर प्रकार के फल पैदा किए। और वही रात को दिन पर ढाँपता है। निश्चय ही इसमें उन लोगों के लिए निशानियाँ हैं जो सोच-विचार करें।"

13:3

24

يُنبِتُ لَكُم بِهِ الزَّرْعَ وَالزَّيْتُونَ وَالنَّخِيلَ وَالْأَعْنَابَ وَمِن كُلِّ الثَّمَرَاتِ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً لِّقَوْمٍ يَتَفَكَّرُون

“उससे तुम्हारे लिए घास-पात, जैतून, खजूर, अंगूर और सभी प्रकार के फल उगाता है। निश्चय ही इसमें उन लोगों के लिए बड़ी निशानी है जो सोच-विचार करें।”

16:11

25

وَسَخَّرَ لَكُمُ اللَّيْلَ وَالنَّهَارَ وَالشَّمْسَ وَالْقَمَرَ وَالنُّجُومُ مُسَخَّرَاتٌ بِأَمْرِهِ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَاتٍ لِّقَوْمٍ يَعْقِلُون“

और उसने रात और दिन और सूर्य और चंद्रमा को तुम्हारे लिए वश में कर दिया और तारे भी उसके आदेश से वश में कर दिए गए। निश्चय ही इसमें उन लोगों के लिए निशानियाँ हैं जो सोच-विचार करें।”
16:12

26

ثُمَّ كُلِي مِن كُلِّ الثَّمَرَاتِ فَاسْلُكِي سُبُلَ رَبِّكِ ذُلُلًا يَخْرُجُ مِن بُطُونِهَا شَرَابٌ مُّخْتَلِفٌ أَلْوَانُهُ فِيهِ شِفَاءٌ لِّلنَّاسِ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً لِّقَوْمٍ يَتَفَكَّرُون

"सब प्रकार के फल खाओ और अपने रब के मार्ग पर आज्ञाकारी होकर चलो। उसमें से अनेक रंगों वाला पेय निकलता है, जिसमें मनुष्यों के लिए शिफा है। निश्चय ही इसमें उन लोगों के लिए एक निशानी है जो ध्यान करें।"

16:69

27

اللَّهُ الَّذِي جَعَلَ لَكُمُ الْأَرْضَ قَرَارًا وَالسَّمَاءَ بِنَاءً وَصَوَّرَكُمْ فَأَحْسَنَ صُوَرَكُمْ وَرَزَقَكُم مِّنَ الطَّيِّبَاتِ ذَٰلِكُمُ اللَّهُ رَبُّكُمْ فَتَبَارَكَ اللَّهُ رَبُّ الْعَالَمِين

अल्लाह ही है जिसने तुम्हारे लिए धरती को आरामगाह और आकाश को छत्र बनाया, और तुम्हें आकार प्रदान किया और तुम्हारे आकार को सुन्दर बनाया और तुम्हें जीविका प्रदान की।

401:64

यह ग्रहों, ब्रह्मांड और बहुत कुछ के बारे में प्रचुर ज्ञान का एक संक्षिप्त परिचय मात्र है।

आप हमारे ब्रह्मांड के चमत्कारों के बारे में क्या सोचते हैं? इंशाअल्लाह, नीचे अपने विचार हमारे साथ साझा करें


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